विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 पर 15वीं बैठक के बाद इसके महानिदेशक ट्रेडोस एडहेनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि एक साल से अधिक समय से महामारी के मामलों की संख्या नीचे की ओर रही है. अब अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा समाप्त हो जानी चाहिए.
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 अब वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है.
डब्ल्यूएचओ की अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन आपातकालीन समिति ने बीते बृहस्पतिवार को कोविड-19 पर अपनी 15वीं बैठक में महामारी पर चर्चा की और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहेनॉम घेब्रेयेसस ने सहमति दी कि अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) की घोषणा समाप्त हो जानी चाहिए.
समाचार वेबसाइट सीएनएन के मुताबिक, टेड्रोस ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘एक साल से अधिक समय से महामारी का ट्रेंड (कोविड-19 मामलों की संख्या) नीचे की ओर रहा है.’
टेड्रोस ने कहा, ‘इस ट्रेंड ने अधिकांश देशों को कोविड-19 से पहले वाली जीवनशैली में लौटने की अनुमति दी है.’
वे बोले, ‘आपातकालीन समिति ने 15वीं बार मुलाकात की और मुझसे सिफारिश की कि मैं अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल को समाप्त करने की घोषणा करूं. मैंने वह सुझाव मान लिया है.’
संगठन ने जनवरी 2020 में कोरोन वायरस के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. यह घोषणा कोविड-19 को महामारी के रूप में चिह्नित करने से लगभग छह सप्ताह पहले की गई थी.
पीएचईआईसी आपातकाल के प्रबंधन के लिए डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों का पालन करने के लिए देशों के बीच एक समझौता होता है. बदले में प्रत्येक देश अपने यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करता है.
इन घोषणाओं की कानूनी वैधता होती है. देश संकट को कम करने के लिए उनका इस्तेमाल संसाधनों को दुरुस्त करने और नियमों में छूट के लिए करते हैं.
डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों के मुताबिक, ‘कोविड-19 का प्रसार जारी है, वायरस विकसित हो रहा है और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है, लेकिन चिंता के निचले स्तर पर है.’
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपातकाल कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रयान ने कहा कि अभी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा है, वायरस निरंतर विकसित हो रहा है. इसलिए हम पूरी तरह से उम्मीद करते हैं कि यह वायरस फैलता रहेगा, लेकिन यही महामारियों का इतिहास है.
उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर मामलों में कोई महामारी अगली महामारी शुरू होने पर समाप्त होती है. मुझे पता है कि यह एक भयानक विचार है, लेकिन यही महामारियों का इतिहास है.’
डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी प्रमुख और उभरती बीमारी पर इसके कार्यक्रम की प्रमुख डॉ. मारिया वेन केरखोव ने कहा कि कोविड-19 संकट का आपातकालीन चरण खत्म हो गया है, लेकिन बीमारी ‘रहने वाली है’ और कोरोना वायरस जो बीमारी का कारण बनता है जल्द ही दूर नहीं जाने वाला है.
वेन केरखोव ने कहा, ‘हालांकि हम संकट की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम अपनी सुरक्षा को कम नहीं होने दे सकते हैं. महामारी विज्ञान के अनुसार, यह वायरस लहरें पैदा करता रहेगा. हम जिस चीज से आशान्वित हैं, वह यह है कि हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए साधन हैं कि भविष्य की लहरें अधिक गंभीर बीमारी का कारण न बनें, मृत्यु की लहरें न बनें और हम ऐसा उन साधनों के साथ कर सकते हैं जो हमारे पास हैं.’
डब्लूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, महामारी की शुरुआत के बाद से 76.5 करोड़ (765 मिलियन) से अधिक कोविड-19 मामलों की पुष्टि हुई है. करीब 70 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. कुल मिलाकर यूरोप में सबसे अधिक मामलों की पुष्टि हुई, लेकिन अमेरिका में सबसे अधिक मौतें हुई हैं. कुल 6 में से 1 मौत अमेरिका में हुई है.
दिसंबर 2022 में मामले चरम पर थे, क्योंकि ओमीक्रॉन ने दुनिया भर में तबाही मचाई थी, विशेष रूप से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में. अब कोविड-19 के मामले और मौतें लगभग तीन साल में सबसे कम हैं. फिर भी अप्रैल के अंतिम सप्ताह में 3,500 से अधिक लोगों की मौत हो गई और अरबों लोग बिना टीकाकरण के रहे.
टेड्रोस ने कहा कि यदि भविष्य में कोविड-19 मामलों या मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है तो वह एक और आपातकालीन समिति की बैठक बुलाने और फिर से वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने में संकोच नहीं करेंगे.
टेड्रोस ने कहा कि कोविड-19 ने दुनिया पर गहरे निशान छोड़े हैं, जिनसे हमें भविष्य में उभरने वालों वायरसों के प्रति सतर्क रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वायरस का प्रभाव इतना नहीं होना चाहिए था. हमारे पास महामारी के लिए बेहतर तैयारी करने, पहले से ही उनका पता लगाने, उन पर तेजी से प्रतिक्रिया देने और उनके प्रभाव को सीमित करने के लिए साधन और तकनीक हैं. लेकिन विश्व स्तर पर समन्वय और एकजुटता की कमी का मतलब है कि उन साधनों का उतना प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया, जितना किया जा सकता था.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें खुद से और अपने बच्चों और पोते-पोतियों से वादा करना चाहिए कि हम उन गलतियों को दोबारा नहीं करेंगे.’