आने वाले चुनाव में अधिक संख्या में मतदाताओं के नोटा चुनने की संभावना: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

एक वेबिनार में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा कि मतदाता बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर निकलते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार नहीं मिलते, इसलिए वोट नहीं देने के बजाय वे नोटा पर शिफ्ट हो गए. आने वाले चुनाव के बाद के विश्लेषण का यह विषय हो सकता है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

एक वेबिनार में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा कि मतदाता बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर निकलते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार नहीं मिलते, इसलिए वोट नहीं देने के बजाय वे नोटा पर शिफ्ट हो गए. आने वाले चुनाव के बाद के विश्लेषण का यह विषय हो सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) डॉ. नसीम जैदी ने सोमवार को कहा कि अगर अधिक मतदाता आगामी चुनावों में नोटा या ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ विकल्प चुनने की संभावना रखते हैं, यदि उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि (Antecedents) वाले उम्मीदवार नहीं मिलते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यह 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद विश्लेषण के लायक विषय होना चाहिए.

वह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में चुनावी प्रक्रिया और उम्मीदवारों की जानकारी मतदाता और उनकी पसंद पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात कर रहे थे.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैदी ने कहा, ‘मेरा अपना विचार है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी के प्रसार का मतदाताओं पर प्रभाव नहीं पड़ रहा है. इस चुनाव के बाद शायद आप जो एकमात्र माप देख सकते हैं, वह यह है कि क्या इस सूचना का प्रसार मतदाताओं को नोटा की ओर ले जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘वे (वोटर) बड़ी संख्या में बाहर आते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार नहीं मिलते हैं. इसलिए वोट नहीं देने के बजाय वे नोटा पर शिफ्ट हो गए. संभवत: यह एक उभरती हुई विशेषता होगी यदि हम मतदाताओं पर प्रभाव डालने वाली इस जानकारी के बारे में इतने आशान्वित हैं. यह चुनाव के बाद के विश्लेषण का विषय हो सकता है.’

एडीआर के वेबिनार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 और 2023 में आपराधिक और वित्तीय पृष्ठभूमि, शिक्षा, लिंग और विधायकों के अन्य विवरणों के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया गया.

इसके अलावा मतदाताओं की उदासीनता को दूर करने के लिए नवीन रणनीतियां और चुनावों के दौरान भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा नकद, शराब आदि की जब्ती में सूचना आधारित और नैतिक मतदान, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रोत्साहित करने के अलावा चूक करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ की गई कार्रवाई आदि पर चर्चा की गई.