ख़ुद को सहिष्णु मुस्लिम बताने वाले उपराष्ट्रपति-राज्यपाल बनने के लिए ऐसा कहते हैं: मंत्री

आरएसएस के एक कार्यक्रम में केंद्रीय क़ानून और न्याय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उं​गलियों पर गिना जा सकता है, यहां तक कि जो सहिष्णु दिखाई देते हैं वे भी इसे एक ‘मास्क’ की तरह इस्तेमाल करते हैं. वे ऐसा सिर्फ़ सार्वजनिक जीवन में बने रहने के लिए करते हैं.

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सत्यपाल सिंह बघेल. (फोटो साभार: फेसबुक)

आरएसएस के एक कार्यक्रम में केंद्रीय क़ानून और न्याय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उं​गलियों पर गिना जा सकता है, यहां तक कि जो सहिष्णु दिखाई देते हैं वे भी इसे एक ‘मास्क’ की तरह इस्तेमाल करते हैं. वे ऐसा सिर्फ़ सार्वजनिक जीवन में बने रहने के लिए करते हैं.

सत्यपाल सिंह बघेल. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री सत्यपाल (एसपी) सिंह बघेल ने कहा है कि बहुत कम सहिष्णु मुसलमान हैं, यहां तक कि जो सहिष्णु दिखाई देते हैं वे भी इसे एक ‘मास्क’ की तरह इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा है कि मुस्लिम ऐसा सिर्फ सार्वजनिक जीवन में बने रहने और उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल आदि बनने के लिए करते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार में मंत्री ने कहा, ‘सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है. इनकी संख्या हजारों में भी नहीं है. यह भी एक उपाय है. मास्क लगाकर सार्वजनिक जीवन में बने रहना है. यह मार्ग फिर राज्यपाल और उपराष्ट्रपति या कुलपति बनने की ओर ले जाता है, लेकिन जब वे वहां से सेवानिवृत्त होते हैं, तो वे अपने मन की बात कहने लगते हैं.’

बघेल ने संविधान के मूल ढांचे पर बहस का जिक्र करते हुए कहा कि देश का मूल ढांचा हिंदू राष्ट्र है.

बघेल ने नई दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन में आयोजित वार्षिक नारद पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में दिए गए अपने संबोधन में कहा, ‘लोग संविधान की मूल संरचना और कैसे इसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, के बारे में बात करते रहते हैं. इस राष्ट्र की मूल संरचना 1192 से पहले अखंड भारत हिंदू राष्ट्र की है. मैं (राम मनोहर) लोहिया जी के विचारों से कभी सहमत नहीं हूं कि मोहम्मद गौरी और गजनवी लुटेरे थे, जबकि अकबर, दारा शिकोह और रजिया सुल्तान हमारे पूर्वज थे. दिल्ली सल्तनत शरीयत के आधार पर चलती थी. यह एक कट्टर शासन था.’

उन्होंने ये टिप्पणियां सूचना आयुक्त उदय माहुरकर द्वारा दिए गए एक भाषण के संदर्भ में कीं, जिन्होंने उनके पहले अपनी बात रखी थी और स्पष्ट किया कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, इसे अकबर जैसे लोगों को गले लगाना चाहिए, जो सहिष्णु थे. माहुरकर ने कहा कि इसी तरह भारत में उदार और सहिष्णु मुसलमानों को गले लगाना चाहिए.

बघेल ने अकबर की धार्मिक सहिष्णुता को महज रणनीति बताया.

बघेल ने कहा, ‘अकबर समझ गया था कि यह बहुसंख्यक हिंदुओं का देश है. वह जानता था कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर अखंड भारत पर शासन नहीं कर सकता, लेकिन यह एक रणनीति थी. यह दिल से नहीं निकला था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर अकबर वास्तव में धर्मनिरपेक्ष होता तो चित्तौड़गढ़ का नरसंहार न होता. दीन-ए-इलाही और सुलह-ए-कुल भी नवरत्नों में हिंदुओं को शामिल करने की रणनीति का हिस्सा थे. उसका (जोधाबाई से) विवाह भी एक राजनीतिक विवाह था. जब उसकी मृत्यु हुई, तो उसके अंतिम शब्द थे ‘या अल्लाह!’.’

रिपोर्ट के अनुसार, यह स्वीकार करते हुए कि अकबर का शासन ‘कम कट्टरपंथी’ था, मंत्री ने कहा कि वह गुरु तेग बहादुर की हत्या के लिए जहांगीर और औरंगजेब के कार्यों के लिए मुगलों को कभी माफ नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा, ‘मोहम्मद गौरी से पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराएं खतरे में आ गई हैं. अब वे (मुस्लिम) सोचते हैं कि वे शासक थे, वे प्रजा कैसे बन सकते हैं. यहीं समस्या है. खराब शिक्षा (समुदाय के भीतर) केवल इसे और बढ़ाती है. मदरसों में वे उर्दू, अरबी और फ़ारसी सीखते हैं, जो ठीक है, लेकिन इससे वे केवल इमाम बनेंगे, फिजिक्स और केमिस्ट्री पढ़ेंगे तो अब्दुल कलाम बनेंगे.’

उन्होंने तर्क दिया कि सांप्रदायिकता और जनसंख्या में अनुपातहीन वृद्धि भ्रष्टाचार से बड़े खतरे थे.

आरएसएस के संयुक्त प्रचार प्रभारी नरेंद्र ठाकुर, जिन्होंने इस कार्यक्रम में भी अपनी बात रखी, ने मीडिया से कहा कि वे नकारात्मक पत्रकारिता में शामिल न हों और सकारात्मक खबरों को पहले पन्ने पर रखें.

उन्होंने कहा, ‘मीडिया को ज्यादा नकारात्मक खबरें नहीं दिखानी चाहिए. इसे अपने पहले पन्ने पर सकारात्मक खबर रखनी चाहिए. जब आप लिख रहे हों तो आपको यह भी सोचना चाहिए कि जो कुछ भी आप लिख रहे हैं, उसे लिखने का समय सही है या नहीं. पत्रकारिता समाज और देश के हित में होनी चाहिए.’

उन्होंने फेक न्यूज से भी आगाह किया.

उन्होंने कहा, ‘हमें फर्जी समाचार पत्रकारिता से बचना होगा. सोशल मीडिया एक बड़ा फैक्टर बन गया है. जब उस पर कुछ चलने लगता है तो मीडिया पर उसे फॉलो करने का दबाव होता है और कई बार बिना वेरिफाई किए ही उसे चला दिया जाता है. आरएसएस फर्जी खबरों का सबसे बड़ा शिकार है.’