यूपी की बांदा जेल में बंद मुख़्तार अंसारी की पत्नी ने पुलिस हिरासत में उन्हें समुचित सुरक्षा देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख़ किया था. अदालत ने इसे लेकर यूपी पुलिस को दिए निर्देश में कहा है कि मीडिया को उनका साक्षात्कार लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी और जेल में उनके आने और बाहर निकलने के दौरान उनके साथ पुलिसकर्मी भी रहेंगे.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में मीडियाकर्मियों के सामने यूपी पुलिस की निगरानी में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ गोली मारकर हत्या के कुछ सप्ताह बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस को पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के लिए ‘पूर्ण सुरक्षा’ सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोर्ट ने मीडियाकर्मियों को उनका इंटरव्यू लेने से भी रोक दिया. 3 मई को एक आदेश में जस्टिस डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्याओं का जिक्र किया.
मुख़्तार अंसारी की पत्नी अफशा अंसारी द्वारा 2021 में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक सहित संबंधित अधिकारियों से कहा कि उन्हें एक जेल से दूसरे जेल में ट्रांसफर और जेल से किसी भी अदालत में पेश करते समय रास्ते में या किसी अन्य जगह उन्हें ‘पूरी सुरक्षा’ दी जाए.
अदालत ने जोड़ा, ‘मीडिया को उनका साक्षात्कार लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जेल में उनके आने और बाहर निकलने के दौरान उनके साथ पुलिसकर्मी भी रहेंगे.’
अदालत ने यह भी कहा कि ‘आदेश उत्तर प्रदेश राज्य में हुई हालिया घटना को देखते हुए पारित किया जा रहा है, जिसमें मीडियाकर्मियों की आड़ में कुछ अपराधियों ने पुलिसकर्मियों की हिरासत में दो विचाराधीन कैदियों की हत्या कर दी थी, जो मामला शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं.’
अदालत ने कहा, ‘हालांकि हम आरोपी व्यक्तियों के साक्षात्कार लेने को लेकर मीडिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हालिया घटना को देखते हुए यह प्रतिबंध विचाराधीन कैदियों के हित में उनकी सुरक्षा के लिए होगा.’
उल्लेखनीय है कि बीते 15 अप्रैल को यूपी पुलिस द्वारा रात करीब 10:30 बजे अतीक और अशरफ को जब ‘नियमित चिकित्सा जांच’ के लिए इलाहाबाद स्थित मोतीलाल नेहरू मंडल अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो मीडिया से बातचीत के दौरान खुद को पत्रकार बताने वाले तीन युवकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी द्वारा दायर एक याचिका में निवेदन किया गया था कि अदालत राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को अंसारी को जेल में और अदालत में पेशी के लिए ले जाते समय ‘पर्याप्त सुरक्षा देने’ का निर्देश दे.
अपने जवाब में राज्य सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि ‘जेल अधिकारी और पुलिस याचिकाकर्ता के पति को जेल में रखने या निचली अदालत के समक्ष पेश करने के लिए जेल से बाहर लाने के दौरान उसकी सुरक्षा के लिए हर सावधानी बरत रहे हैं.’
सरकार ने यह भी कहा कि जब अंसारी को जेल से बाहर लाया जाता है, तो सुरक्षा के लिए एक इंस्पेक्टर, दो सब-इंस्पेक्टर, दो हेड कॉन्स्टेबल, आठ कॉन्स्टेबल और दो ड्राइवर मौजूद होते हैं. गाजीपुर के एडिशनल एसपी को याचिकाकर्ता के पति को अदालत में पेश करने के दौरान (फुलप्रूफ) सुरक्षा प्रदान करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था. बांदा जेल में अंसारी को ‘सुरक्षा जेल नियमावली के अध्याय-XXXV में दिए गए मानदंडों और मानक के अनुसार ‘अधिकतम सुरक्षा’ दी गई है. जेल में कुल 70 सीसीटीवी लगाए गए हैं, जिनकी निगरानी जेल महानिरीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक करते हैं.
ज्ञात हो कि गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर मुख्तारके खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं और वे 2005 से जेल में हैं, जब उन्होंने मऊ में एक सांप्रदायिक दंगे, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी, के केस में आत्मसमर्पण किया था.
मुख्तार ने मऊ सदर सीट का पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) प्रतिनिधित्व किया है. बीते दिनों गाजीपुर की एक एमपी/एमएलए अदालत ने अंसारी और उनके बड़े भाई सांसद अफ़ज़ल को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराया और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई.