असम: पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर

असम में एनआरसी अपडेट के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एनजीओ 'असम पब्लिक वर्क्स' के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा का कहना है कि पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने अपनी आत्मकथा में शर्मा को लेकर भ्रामक बातें लिखी हैं. गोगोई पर एक करोड़ रुपये का मानहानि का केस करने के साथ शर्मा ने किताब पर रोक लगाने की भी मांग की है.

अपनी किताब के विमोचन में पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई. (फाइल फोटो: पीटीआई)

असम में एनआरसी अपडेट के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एनजीओ ‘असम पब्लिक वर्क्स’ के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा का कहना है कि पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने अपनी आत्मकथा में शर्मा को लेकर भ्रामक बातें लिखी हैं. गोगोई पर एक करोड़ रुपये का मानहानि का केस करने के साथ शर्मा ने किताब पर रोक लगाने की भी मांग की है.

अपनी किताब के विमोचन में पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एवं राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई के खिलाफ असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने गुवाहाटी की एक अदालत में एक करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दायर किया है. साथ ही उन्होंने गोगोई की आत्मकथा पर रोक लगाने की भी मांग की है.

एनडीटीवी के अनुसार, शर्मा ने गोगोई की आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर द जज’ में उनके (शर्मा के) खिलाफ कथित भ्रामक और मानहानिकारक हिस्सों को लेकर गोगोई के साथ-साथ किताब के प्रकाशक- रूपा प्रकाशन के खिलाफ भी मानहानि का केस दायर किया है.

शर्मा ने कामरूप मेट्रो जिला अदालत में गोगोई और उनके प्रकाशक को ऐसी किसी भी किताब- जिसमें शर्मा के खिलाफ कथित भ्रामक और मानहानिकारक बयान हों, के प्रकाशन, वितरण या बिक्री से रोकने के लिए अंतरिम आदेश देने का अनुरोध करते हुए भी एक याचिका भी दायर की है.

उल्लेखनीय है कि अभिजीत शर्मा गैर-सरकारी संगठन एपीडब्ल्यू के प्रमुख हैं, जो असम में मतदाता सूची से अवैध प्रवासियों के नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद अदालत ने एनआरसी अपडेट के निर्देश दिए थे.

हालांकि, अगस्त 2019 में एनआरसी की फाइनल सूची आने के बाद से इस पर सवाल उठाने वालों में भी शर्मा सबसे आगे रहे थे. एपीडब्ल्यू का कहना था कि अंतिम एनआरसी सूची की प्रक्रिया को दोषपूर्ण तरीके से पूरा किया गया था.

शर्मा ने आरोप लगाया है कि गोगोई की किताब में उनके खिलाफ आरोप ‘स्वाभाविक रूप से झूठे और दुर्भावनापूर्ण’ हैं और उन्हें ‘बदनाम करने के स्पष्ट इरादे’ से लगाए गए हैं.

मामले को मंगलवार और बुधवार को सुना गया और अदालत ने कहा कि याचिका और दस्तावेजों को देखने के बाद पाया गया कि ‘कानून और तथ्य दोनों पर ठोस सवाल है, जिसका समाधान किया जाना है.’

अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों को समन जारी करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई तीन जून को होगी.

किताब पर प्रतिबंध में मामले में जज ने संबंधित पक्षों को समन जारी करने को कहा को कहा और इसकी सुनवाई की तारीख भी तीन जून तय की है.

शर्मा ने अपनी याचिका में दावा किया, ‘आवेदक के खिलाफ किताब में लगाए गए स्वाभाविक रूप से झूठे, निराधार और दुर्भावनापूर्ण आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है.’

शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी ‘बेदाग प्रतिष्ठा’ थी, लेकिन गोगोई द्वारा उनकी आत्मकथा में ‘झूठे, निराधार और मानहानिकारक आरोपों’ ने आम जनता, दोस्तों और परिवार की नजरों में उनकी छवि को ‘खराब और अपूरणीय रूप से धूमिल’ किया है, जिसके कारण उन्हें गहरी मानसिक पीड़ा पहुंची है.

याचिका में शर्मा ने यह भी कहा, ‘मैंने कभी भी गोगोई पर कोई व्यक्तिगत हमला नहीं किया जब वे देश के सबसे प्रतिष्ठित पद पर थे.’

गोगोई ने 2018 से 2019 तक भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश रहे थे. इसके बाद 2020 में उन्हें राज्यसभा में मनोनीत किया गया था.

ज्ञात हो कि असम देश का एकमात्र राज्य है जहां एनआरसी है, जिसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था. असम के नागरिकों की तैयार अंतिम सूची यानी कि अपडेटेड एनआरसी 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी, जिसमें 31,121,004 लोगों को शामिल किया गया था, जबकि 1,906,657 लोगों को इसके योग्य नहीं माना गया था.

नवंबर, 2019 में एपीडब्ल्यू ने एनआरसी के पूर्व संयोजक प्रतीक हजेला पर एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में बड़े स्तर पर सरकारी धनराशि के गबन करने का आरोप लगाया था और उसके खिलाफ सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा में एफआईआर दर्ज कराई थी.

उससे पहले अक्टूबर 2019 में एनआरसी की अंतिम सूची में कथित विसंगतियों के कारण प्रतीक हजेला के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे.

आईएएनएस के अनुसार, शर्मा का कहना है कि गोगोई ने अपनी किताब में हजेला को पद से हटाने और उनका तबादला मध्य प्रदेश करने के बारे में जो बातें लिखी हैं, वे मानहानिकारक हैं.