प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने सीबीआई निदेशक पद के लिए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया था, जिसमें कर्नाटक डीजीपी प्रवीण सूद का नाम शामिल था. बीते मार्च में कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सूद पर भाजपा के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाने के साथ उन्हें कथित तौर पर ‘नालायक’ कहा था.
नई दिल्ली: विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रवीण सूद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अगले प्रमुख बनेंगे. द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पद के लिए उनका नाम तय कर दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने सीबीआई निदेशक पद के लिए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया था.
शॉर्टलिस्ट किए गए अधिकारियों में कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रवीण सूद, मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना और सिविल डिफेंस एवं होम गार्ड की अग्निशमन सेवा के महानिदेशक ताज हसन शामिल थे.
सूद की नियुक्ति की घोषणा करते हुए एक आधिकारिक अधिसूचना रविवार को जारी की गई.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि प्रवीण सूद 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें जनवरी 2020 में 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी अशित मोहन प्रसाद के ऊपर तरजीह देकर, कर्नाटक का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था.
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और अधीर रंजन चौधरी के अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उस समिति के तीसरे सदस्य हैं, जो सीबीआई प्रमुख का चयन करती है, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सीवीसी और सतर्कता आयुक्तों का चयन करने वाली समिति के तीसरे सदस्य हैं.
हालांकि उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति में शामिल विपक्ष के सदस्य कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने चयन प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे नए सिरे से शुरू किए जाने की मांग की थी.
द हिंदू ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि यह पता चला है कि चौधरी ने सूद की सिफारिश के खिलाफ एक असहमति नोट प्रस्तुत किया है ‘क्योंकि वह उन अधिकारियों के मूल पैनल में शामिल नहीं थे, जिन्हें सीबीआई की शीर्ष नौकरी के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. उनका नाम अंतिम समय में शामिल किया गया था.
अखबार ने यह भी कहा कि नामों के चयन के लिए समिति की बैठक बीते 13 मई को हुई, जिस दिन कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की थी. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने उन (प्रवीण सूद) पर भारतीय जनता पार्टी के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाया था.
सूद को 2018 में कर्नाटक डीजीपी बनाया गया था. वह मई 2024 में सेवानिवृत्त होने वाले थे. अब जब वह सीबीआई प्रमुख बन गए हैं, तो उन्हें मई 2023 से दो साल के निश्चित कार्यकाल के लिए नौकरी मिलेगी.
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष ने सूद को ‘नालायक’ और ‘भाजपा एजेंट’ कहा था
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रवीण सूद को 2017 में विवाद का सामना करना पड़ा, जब उन्हें बेंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर के पद से ट्रांसफर कर दिया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया द्वारा सूद के खिलाफ कथित रूप से कई शिकायतें प्राप्त किए जाने के बाद यह ट्रांसफर किया गया था.
छह साल बाद इस साल मार्च में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में सूद को कांग्रेस कर्नाटक के अध्यक्ष डीके शिवकुमार की आलोचना का सामना करना पड़ा, जिन्होंने राज्य पुलिस पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यों की अनदेखी करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था.
शिवकुमार ने चेतावनी दी कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में लौटी, तो वह सूद के खिलाफ कार्रवाई करेगी और उन्हें ‘भाजपा एजेंट’ करार दिया था.
उन्होंने डीजीपी को ‘नालायक’ भी कह दिया था. साथ ही कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.
शिवकुमार ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हमारा डीजीपी एक नालायक (बेकार) है. वह अपनी नौकरी के लायक नहीं है. वह पिछले तीन साल से सेवा में हैं और कितने दिन और भाजपा के कार्यकर्ता बने रहेंगे? उन्होंने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ लगभग 25 मामले दर्ज किए हैं और राज्य में भाजपा नेताओं के खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं किया है. हमने चुनाव आयोग को उनके कर्तव्य और आचरण के बारे में भी लिखा है.’