कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल के ख़िलाफ़ टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष को मानहानि मामले में नोटिस

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आई तो बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेगी. इस पर 'हिंदू सुरक्षा परिषद' नामक इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पंजाब में एक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है.

मल्लिकार्जुन खरगे. (फोटो साभार: ट्विटर)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आई तो बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेगी. इस पर ‘हिंदू सुरक्षा परिषद’ नामक इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पंजाब में एक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है.

मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: पंजाब के संगरूर की एक स्थानीय अदालत ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 100 करोड़ रुपये के मानहानि के मामले में तलब किया है, जो उनके खिलाफ कर्नाटक के चुनावी घोषणा पत्र में उनकी पार्टी द्वारा की गई टिप्पणियों के संबंध में दायर किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शिकायत 51 वर्षीय हितेश भारद्वाज द्वारा दर्ज कराई गई थी, जो ‘हिंदू सुरक्षा परिषद’ नामक बजरंग दल की इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि खड़गे ने घोषणा पत्र में ‘बजरंग दल की तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों’ से करके उसके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी.

बता दें कि राजनीतिक वैज्ञानिक क्रिस्टोफ जेफरलो द्वारा ‘ब्रिगेड जैसे संगठन’ के रूप में वर्णित बजरंग दल एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है जो संघ परिवार के उन संगठनों का हिस्सा है जिनसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संबद्ध है.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई को पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसके पीछे आतंकवादी संगठनों से जुड़ाव और ‘लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में काम करते हुए समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने’ की महत्वाकांक्षा का हवाला दिया गया था.

बीते दिनों अपने घोषणा पत्र के ‘कानून और न्याय’ खंड में कांग्रेस ने कहा था कि वह उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो जाति या धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाते हैं.

घोषणा पत्र में कहा गया था, ‘हमारा मानना है कि कानून और संविधान पवित्र हैं. कोई व्यक्ति या बजरंग दल, पीएफआई और नफरत एवं शत्रुता फैलाने वाले दूसरे संगठन, चाहे वह बहुसंख्यकों के बीच के हों या अल्पसंख्यकों के बीच के हों, वे कानून और संविधान का उल्लंघन नहीं कर सकते. हम ऐसे संगठनों पर कानून के तहत प्रतिबंध लगाने समेत निर्णायक कार्रवाई करेंगे.’

भारद्वाज के वकील ने कहा कि वह इस तुलना से बजरंग दल के सदस्यों को पहुंची क्षति के कारण खड़गे से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘बजरंग दल की पीएफआई के साथ तुलना ने बजरंग दल और हिंदू सुरक्षा परिषद के सदस्यों के नाम और सम्मान को धूमिल किया है, जिनकी संख्या करोड़ों में है और भगवान हनुमान के भक्तों को भी बदनाम किया है, जो करोड़ों हिंदुओं और अन्य द्वारा पूजे जाते हैं.’

बजरंग दल का कर्नाटक कैडर हाल ही में राज्य के शिवमोगा शहर में एक मोरल पुलिस पुलिसिंग के मामले में महिलाओं की एक पार्टी में उपद्रव मचाने के चलते सुर्खियों में रहा था. द हिंदू के मुताबिक, इसके जिला संयोजक राजेश गौड़ा ने कहा था कि वे ‘शिवमोगा में इस तरह के आयोजन की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि (वे) नहीं चाहते कि हमारा शहर एक और मनीपाल बने.’

बता दें कि खड़गे के राष्ट्रीय नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीता है.

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