दर्शकों की फीकी प्रतिक्रिया के चलते सिनेमाघरों ने द केरला स्टोरी दिखाना बंद की: तमिलनाडु सरकार

तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विवादित फिल्म 'द केरला स्टोरी' न दिखाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा था. तमिलनाडु सरकार कहा है कि थिएटरों से फिल्म हटाने के निर्णय में उसकी कोई भूमिका नहीं है, वहीं फिल्म बैन करने वाली बंगाल सरकार का कहना है कि फिल्म सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की क्षमता रखती है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विवादित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ न दिखाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा था. तमिलनाडु सरकार कहा है कि थिएटरों से फिल्म हटाने के निर्णय में उसकी कोई भूमिका नहीं है, वहीं फिल्म बैन करने वाली बंगाल सरकार का कहना है कि फिल्म सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की क्षमता रखती है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि थिएटर मालिकों ने ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर मिलती ठंडी प्रतिक्रिया और इसमें लोकप्रिय कलाकारों के न होने के चलते थिएटरों से हटाया है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस संबंध में जानकारी दी है.

ज्ञात हो कि बीते सप्ताह फिल्म पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुनते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने पूछा था कि तमिलनाडु और बंगाल इस फिल्म को राज्य में क्यों नहीं दिखा रहे हैं.

खबर के अनुसार, तमिलनाडु में 5 मई को फिल्म के रिलीज होने से दो दिन पहले पुलिस के खुफिया विभाग ने पुलिस थानों को एक संदेश भेजा था, जिसमें कहा गया था, ‘ऐसी हर संभावना है कि कट्टरपंथी तत्व और धार्मिक संगठनों के सदस्य राज्य भर में, जहां भी फिल्म रिलीज होती है, थिएटरों के सामने हिंसक आंदोलन/प्रदर्शन कर सकते हैं.’

साथ ही, कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना जताते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया था. इसमें सभी थानों से किसी भी अवांछित घटना को टालने, और कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतने को कहा गया था.

अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सवाल के जवाब में दायर अपने हलफनामे में कहा, ‘इसके (फिल्म) रिलीज के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि मल्टीप्लेक्स मालिकों ने इसकी आलोचना, जाने-माने कलाकारों की कमी, खराब परफॉर्मेंस और दर्शकों की ठंडी प्रतिक्रिया को देखते हुए 7 मई को फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने का फैसला किया. थिएटर मालिकों के फैसले पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘कुछ मुस्लिम संगठनों की आपत्ति और विरोध के बावजूद, 5 मई को राज्य के 19 मल्टीप्लेक्स में फिल्म रिलीज हुई थी. रिलीज के बाद फिल्म की भारी आलोचना हुई थी, कुछ मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया था कि फिल्म आम लोगों के बीच मुस्लिम-विरोधी घृणा व इस्लामोफोबिया फैलाती है और सिर्फ मुस्लिमों के खिलाफ अन्य धर्म के लोगों का ध्रुवीकरण करने के इरादे से बनाई गई है.’

सरकार ने कहा कि उसने फिल्म की सुरक्षित स्क्रीनिंग के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए थे और कहा, ‘फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने के थिएटर मालिकों के फैसले में राज्य सरकारी की संलिप्तता का कोई प्रमाण नहीं है.’

बंगाल ने कहा- फिल्म में हेट स्पीच और तथ्यों से छेड़छाड़

वहीं, हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक बंगाल सरकार ने फिल्म को प्रतिबंधित करने के अपने कदम का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘द केरला स्टोरी’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें ‘नफरती भाषण (हेट स्पीच)’ और ‘तथ्यों से छेड़छाड़’ करना शामिल हैं और इसमें पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक सद्भाव एवं कानून व्यवस्था बिगाड़ने की क्षमता है.

राज्य सरकार ने फिल्म के निर्माता मेसर्स सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड और विपुल अमृतलाल शाह की ओर से प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में अपने हलफनामे में कहा, ‘फिल्म तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों पर आधारित है और इसमें नफरत फैलाने वाले भाषण हैं.’

हलफनामे में कहा गया है कि कई दृश्यों में ‘सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ और ‘समुदायों के बीच वैमनस्य’ पैदा करने की क्षमता है.

सरकार ने यह भी कहा कि फिल्म को प्रतिबंधित करने का फैसला कानून व्यवस्था की स्थिति के संबंध में खुफिया इनपुट के आधार पर लिया गया था. सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम और किसी फिल्म का प्रदर्शन रोकना नीतिगत मसले हैं, जिनमें अदालतों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

इस बात से इनकार करते हुए कि याचिकाकर्ताओं के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है, सरकार ने निर्माताओं द्वारा वित्तीय नुकसान की भरपाई की मांग को खारिज कर दिया.

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित ‘द केरला स्टोरी’ ने देश में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है, कई लोग इसे प्रोपेगेंडा फिल्म बता रहे हैं. फिल्म 5 मई को देश भर में रिलीज हुई थी.

8 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिल्म का कहानी को तोड़-मरोड़ कर पेश किया हुआ बताकर इस पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.

12 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिल्म पूरे देश में चल रही है और पश्चिम बंगाल इसे प्रतिबंधित करके अपवाद नहीं बन सकता.