31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. यह मामला 1 नवंबर 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के आज़ाद मार्केट स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित है. टाइटलर पर भीड़ को उकसाने का आरोप है.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 31 अक्टूबर, 1984 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में शनिवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेता टाइटलर ने 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के पुल बंगश में जमा हुई भीड़ को ‘उकसाया और भड़काया’, जिसके चलते तीन सिखों की हत्या हुई थी.
दिल्ली में राउज एवेन्यू जिला अदालत के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) की अदालत में घटना के लगभग 39 साल बाद आरोप-पत्र दायर किया गया है.
अदालत के सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ दंगा और हत्या सहित अन्य आरोप लगाए हैं. अदालत 2 जून को आरोपों पर विचार करेगी.
बता दें कि जस्टिस नानावती आयोग की स्थापना वर्ष 2000 में भारत सरकार द्वारा सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए की गई थी. आयोग की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद गृह मंत्रालय ने तत्कालीन सांसद और अन्य के खिलाफ मामले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश जारी किए थे.
सीबीआई ने 22 नवंबर 2005 को तत्काल मामला दर्ज किया था. यह मामला 1 नवंबर 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के आजाद मार्केट में गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित था.
सीबीआई ने आरोप-पत्र में दावा किया कि जांच के दौरान ऐसे साक्ष्य मिले कि घटना वाले दिन तत्कालीन सांसद टाइटलर ने गुरुद्वारा पुल बंगश में जमा हुई भीड़ को कथित रूप से उकसाया और भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप धार्मिक स्थल में आग लगा दी गई. भीड़ ने सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह नाम के तीन व्यक्तियों को भी जलाकर मार डाला, जिसके बाद दुकानों में लूटपाट और आगजनी भी की गई.
जांच के हिस्से के रूप में सीबीआई ने पिछले महीने दंगों के दौरान 39 साल पहले दिए गए एक भाषण की रिकॉर्डिंग के साथ जांच के लिए टाइटलर की आवाज के नमूने एकत्र किए थे.
सीबीआई ने कहा, ‘जांच के बाद आज (शनिवार) आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया.’
एजेंसी ने पहले इस मामले में टाइटलर को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन 2015 में अदालत के आदेश पर मामले को फिर से खोलना पड़ा.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के मामले में टाइटलर ने सहभागिता होने की बात से बहुत बार इनकार किया है. उन्हें सीबीआई से इसी मामले में 3 बार क्लीनचिट मिल चुकी है. मामले से जुड़े पीड़ितों ने सीबीआई की रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी थी.