गुजरात: कथित रूप से दूषित पानी पीने से कम से कम 25 ऊंटों की मौत

गुजरात के भरूच ज़िले के कछीपुरा गांव का मामला. ग्रामीणों का कहना है कि कच्चे तेल को क्षेत्र से ले जाने वाली पाइपलाइन के रिसाव के कारण तालाब कथित रूप से दूषित हो गया था. उनके अनुसार, गांव पिछले कुछ समय से पानी की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

गुजरात के भरूच ज़िले के कछीपुरा गांव का मामला. ग्रामीणों का कहना है कि कच्चे तेल को क्षेत्र से ले जाने वाली पाइपलाइन के रिसाव के कारण तालाब कथित रूप से दूषित हो गया था. उनके अनुसार, गांव पिछले कुछ समय से पानी की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात के भरूच जिले के वागरा तालुका के कछीपुरा गांव के पास एक तालाब का दूषित पानी पीने से कम से कम 25 ऊंटों की मौत हो गई.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीणों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना रविवार को हुई जब ऊंट पास के एक जलाशय के पास पानी पीने के लिए रुक गए. ग्रामीणों का कहना है कि कच्चे तेल को क्षेत्र से ले जाने वाली पाइपलाइन के रिसाव के कारण तालाब कथित रूप से दूषित हो गया था.

कछीपुरा के ग्रामीण मवेशी चरवाहों के मालधारी समुदाय के हैं. ऊंट उनके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उनकी आजीविका में अहम भूमिका निभाते हैं.

गांव पीने के पानी के संकट से जूझ रहा है. 67 वर्षीय निवासी रहमानभाई जाट, जिनका परिवार 1916 से ऊंटों सहित पशुपालन में में लगा हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘हमें कुछ निजी आपूर्तिकर्ताओं से पानी के टैंकर मिल रहे थे, लेकिन यह पिछले दो महीनों से बंद है. चिलचिलाती गर्मी से राहत देने के लिए रविवार को ग्रामीणों ने ऊंटों को 5 किमी दूर चंचवेल झील पर ले जाने का प्रयास किया.’

उन्होंने कहा कि हालांकि, रास्ते में मिला एक तालाब त्रासदी का कारण बना. यहां का पानी पीकर ऊंटों की मौत होने लगी.

एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मुसाभाई अली ने पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति के लिए सरकार से ग्रामीणों की बार-बार की गई अपीलों पर प्रकाश डाला, जो अनुत्तरित हो गई हैं.

अधिकारियों ने इसके सटीक कारण का पता लगाने और जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराने के लिए एक जांच शुरू की है. गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक सतर्कता टीम सोमवार को जांच करने के लिए घटनास्थल पर पहुंची.

भरूच में प्रदूषण निगरानी के क्षेत्रीय अधिकारी मार्गी पटेल ने कहा कि प्रदूषण के संभावित स्रोत के रूप में आसपास के किसी भी रासायनिक उद्योग की पहचान नहीं की जा सकती है.

उन्होंने कहा, ‘ओएनजीसी का एक कुआं आसपास के क्षेत्र में मौजूद है, लेकिन रिसाव की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. उस क्षेत्र से नमूने एकत्र किए गए हैं जहां ऊंटों के शव पाए गए थे और एक जांच पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद स्पष्टता मिलेगी.’

भरूच में एक सरकारी पशु चिकित्सक डॉ. हर्ष गोस्वामी ने 25 ऊंटों की मौत की पुष्टि की, हालांकि उनकी मौत का सही कारण अनिश्चित है. उन्होंने कहा कि जांच जारी है और आगे के अपडेट का इंतजार है.

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