दिल्ली में नए जनगणना भवन के उद्घाटन के मौक़े पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिक रजिस्टर, मतदाता सूची और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले लोगों की सूची को अपडेट करने के लिए जन्म और मृत्यु का पंजीकरण महत्वपूर्ण है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि संसद के अगले सत्र में जन्म और मृत्यु पंजी को मतदाता सूची से जोड़ने के लिए एक विधेयक पेश किया जाएगा.
द हिंदू के अनुसार, शाह दिल्ली में नए जनगणना भवन के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि नागरिक रजिस्टर, मतदाता सूची और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले लोगों की सूची को अपडेट करने के लिए जन्म और मृत्यु का पंजीकरण महत्वपूर्ण है.
2021 में पूरी होने वाली दशकीय जनगणना, जो पिछली बार 2011 में हुई थी, को शुरुआत में कोविड-19 महामारी के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. सरकार ने इसे स्थगित करने का कोई विशेष कारण नहीं बताया है.
कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने यह उल्लेख नहीं किया कि अगली जनगणना कब की जाएगी, लेकिन यह जरूर कहा कि जन्म और मृत्यु के पंजीकरण से दो जनगणनाओं के बीच विकास परियोजनाओं को बनाने में मदद मिलती है.
28 अक्टूबर, 2021 को द हिंदू की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि गृह मंत्रालय जन्म और मृत्यु अधिनियम, 1969 के पंजीकरण में संशोधन करने और राष्ट्रीय स्तर पर डेटाबेस बनाए रखने का प्रस्ताव करता है जो भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के पास उपलब्ध होगा और जनसंख्या रजिस्टर, चुनावी रजिस्टर और आधार, राशन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस डेटाबेस को अपडेट करने के लिए काम में आएगा.
शाह ने सोमवार को कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि जैसे ही कोई व्यक्ति 18 वर्ष का होगा, चुनाव आयोग उसे सूचित करेगा और उसका वोटर कार्ड बना देगा. किसी की मृत्यु के मामले में जनगणना रजिस्ट्रार परिवार को नोटिस भेजेगा कि उन्हें व्यक्ति की मृत्यु के बारे में जानकारी मिल गई है और परिवार के पास आपत्ति दर्ज करने के लिए 15 दिन का समय है, जिसके बाद चुनाव आयोग उसका नाम मतदाता सूची से हटा देगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के तहत कवर किए जाने वाले ब्लॉकों की जियोफेंसिंग की जा रही है ताकि प्रगणक डेटा में हेराफेरी न कर सके और जिम्मेदारी तय हो.
शाह ने एक उन्नत एसआरएस मोबाइल एप्लिकेशन सिस्टम भी लॉन्च किया. एसआरएस जन्म दर, मृत्यु दर, साथ ही अन्य प्रजनन और मृत्यु दर संकेतकों का अनुमान लगाने के लिए आरजीआई कार्यालय द्वारा हर साल बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण किया जाता है.
शाह ने कहा, ‘अगर कोई अधिकारी धोखाधड़ी करता है, तो सिस्टम राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अलर्ट भेजेगा. अगर कोई व्यक्ति कहीं और से सर्वे करने की कोशिश करता है तो पता चल जाएगा कि वह प्रखंड में मौजूद नहीं है. छोटी से छोटी त्रुटि का भी पूरे डेटा पर प्रभाव हो सकता है.’
उन्होंने कहा कि पहले जनगणना सटीक नहीं होती थी. सरकार अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनगणना करेगी जहां प्रत्येक व्यक्ति को डेटा भरने का अधिकार होगा जिसे सत्यापित और ऑडिट किया जाएगा. इसमें सामाजिक-आर्थिक स्थिति के 35 से अधिक पैरामीटर शामिल होंगे.
उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं को तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले डेटा पहले की जनगणनाओं में मौजूद नहीं थे और न ही ऐसे डेटा विश्लेषण के लिए कोई व्यवस्था थी.