भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपने ऊपर लग रहे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर अपना और बजरंग पुनिया तथा विनेश फोगाट का नार्कों टेस्ट कराए जाने की बात कही थी.
नई दिल्ली: जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने सोमवार को कहा कि वे नार्को टेस्ट कराने के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के आह्वान का स्वागत करते हैं, बशर्ते कि इस टेस्ट की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाए.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बीते रविवार (21 मई) को कहा था कि पहलवानों द्वारा उन पर लगाए जा रहे आरोपों को झूठा साबित करने के लिए वह नार्को टेस्ट या अन्य किसी भी लाई-डिटेक्टर टेस्ट से गुजरने तैयार हैं, इस शर्त पर कि विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया भी टेस्ट कराएं.
करीब एक महीने से बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों ने उनकी शर्त का स्वागत किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जंतर-मंतर पर एक संवाददाता सम्मेलन में बजरंग पुनिया ने कहा, ‘हमने ही बहुत पहले इसका (नार्को टेस्ट) जिक्र किया था, हम यह लंबे समय से कह रहे हैं और हम इसके लिए तैयार हैं. नार्को टेस्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होना चाहिए और पूरा देश इसे लाइव देख सके.’
बजरंग ने कहा, ‘बृजभूषण ने कहा कि विनेश और बजरंग को भी नार्को टेस्ट देना चाहिए, लेकिन सातों शिकायतकर्ताओं को भी देना चाहिए, उनका भी सच सामने आने की जरूरत है.’
इस बीच, पहलवानों ने अदालत की निगरानी में जांच के लिए दिल्ली के राउज एवेन्यू में मजिस्ट्रेट अदालत का भी रुख किया, यह डर जताते हुए कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है.
बजरंग ने कहा, ‘हम सभी चाहते हैं कि एक निष्पक्ष जांच हो. धारा 164 के तहत उनके (बृजभूषण) बयान अभी बाकी हैं. वह 500 किमी दूर बैठकर ये दावे कर रहे हैं (नार्को टेस्ट को लेकर). हम यहां उनके घर से 200 मीटर दूर बैठकर न्याय मांग रहे हैं.’
कई लड़कियों की तरह मुझे भी चुपचाप सालों तक सब सहना पड़ा: विनेश फोगाट
इस बीच, मंगलवार को इंडियन एक्सप्रेस के लिए विनेश फोगाट ने एक लेख लिखकर अपनी आपबीती और जनवरी से अब तक न्याय के लिए उनका संघर्ष बयां किया है.
फोगाट ने लिखा है, ‘कई दूसरी लड़कियों की तरह ही मुझे भी इस आदमी (बृजभूषण) के कारण सालों तक सब चुपचाप सहना पड़ा और मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.’
उन्होंने लिखा है, ‘कोई भी अनुमान लगा सकता है कि सांसद बृज भूषण को क्यों बचाया जा रहा है.’
महीने भर से जंतर-मंतर पर धरना देने के बाद भी न्याय न मिलने का दर्द बयां करते हुए वह कहती हैं, ‘इंसाफ की हमारी लड़ाई एक महीने पुरानी है, फिर भी ऐसा लगता है जैसे हम जंतर-मंतर पर एक साल से हैं. न्याय के लिए हमारी लड़ाई ऐसी प्रतीत होती है कि जैसे यह हमेशा से जारी है, क्योंकि न्याय का पहिया बहुत धीमी गति से चल रहा है. ऐसा एक नाबालिग समेत सात महिला पहलवानों द्वारा शिकायत करने के बावजूद है.’
वह लिखती हैं, ‘सच कहूं तो जब हमने जनवरी में महिला पहलवानों द्वारा सामना किए गए यौन उत्पीड़न और महासंघ में कुप्रबंधन के बारे में बोलने का फैसला किया था, तो हमें विश्वास था कि हमारी आवाज मायने रखेगी और थोड़े समय के लिए हमें ऐसा लगा भी कि इसने काम किया. खेल मंत्रालय द्वारा आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति का गठन भी किया गया, लेकिन अब हम जानते हैं कि यह एक छलावा था.’
वह सवाल करती हैं, ‘न्याय पाने से पहले पीड़ितों को कितनी बार बोलना पड़ता है? फिर भी न्याय मिलता नहीं दिख रहा है. यौन उत्पीड़न के बारे में बार-बार बात करना शिकायतकर्ताओं के लिए यातना जैसा है.’
उन्होंने फिर दोहराया है कि बृजभूषण की गिरफ्तारी तक वे जंतर मंतर से नहीं हटेंगे.
उन्होंने कुश्ती में भविष्य की प्रतिस्पर्धाओं में अपनी भागीदारी को लेकर लिखा है, ‘एशियाई खेल नजदीक हैं और ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग चक्र शुरू हो रहा है. हालांकि हमें भारत का प्रतिनिधित्व करना है और पदक जीतना है, लेकिन फिलहाल यह एक बड़ी लड़ाई है, क्योंकि अगर हम न्याय पाए बिना अपना विरोध बंद कर देंगे तो यौन उत्पीड़न झेलने वाली महिलाएं चुप रहेंगी और सहेंगी.’
विनेश लिखती हैं, ‘खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने हमारा अपमान किया है. उनका रवैया ऐसा है कि ‘मैं खेल मंत्री हूं, जो मैं कहता हूं आपको वो सुनना पड़ेगा.’ जब यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं ने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई, तो उन्होंने उनकी आंखों में आंखें डालकर सबूत मांगा और निगरानी समिति के सदस्यों ने भी ऐसा ही किया.’
उन्होंने बताया कि अभी कई पीड़िताएं हैं, जो सामने आने से डरी हुई हैं.