मध्य प्रदेश: कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीते के शावक की मौत

कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए चार चीता शावकों में से एक की 23 मई को मौत हो गई. मध्य प्रदेश वन विभाग का कहना है कि शावक कमज़ोर था. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस नेशनल पार्क में चार चीतों की जान जा चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: Vishva Patel/Pexels)

कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए चार चीता शावकों में से एक की 23 मई को मौत हो गई. मध्य प्रदेश वन विभाग का कहना है कि शावक कमज़ोर था. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस नेशनल पार्क में चार चीतों की जान जा चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: Vishva Patel/Pexels)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए चार चीता शावकों में से एक की 23 मई को मौत हो गई. मध्य प्रदेश वन विभाग ने कहा कि चीता ‘ज्वाला’ ने इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में चार बच्चों को जन्म दिया था और जान गंवाने वाला शावक कमजोर था.

रिपोर्ट के मुताबिक, कूनो में मरने वाला यह शावक चौथा चीता है. उपमहाद्वीप में प्रजातियों को फिर से बढ़ाने के लिए इन जीवों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित किया गया था.

बताया गया है कि 23 मई की सुबह निगरानी टीम ने देखा कि चीता ज्वाला अपने चार शावकों के साथ एक जगह आराम कर रही है. थोड़ी देर बाद वयस्क चीता उठकर चली, लेकिन उसके पीछे उसके तीन शावक ही थे. चौथा साथ चलने के लिए नहीं उठा.

सरकारी प्रेस नोट में कहा गया है कि निगरानी दल ने आराम कर रहे चीता शावक को गौर से से देखा, लेकिन यह जमीन पर पड़ा रहा. निगरानी टीम को देखकर शावक ने भी सिर उठाने का प्रयास किया. टीम ने तुरंत पशु चिकित्सा टीम को सूचना दी. पशु चिकित्सकों ने शावक की मेडिकल जांच की, लेकिन कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया.

प्रेस नोट के अनुसार शावक का पोस्टमॉर्टम किया गया और प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि उसकी मौत कमजोरी के कारण हुई.

अधिकारियों के अनुसार, यह विशेष शावक शुरू से ही चीते से पैदा हुए चार शावकों में सबसे छोटा, सबसे कम सक्रिय और सबसे कम स्वस्थ था.

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कमजोर शावक दूध के लिए अपने भाई-बहनों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होते हैं और इससे उनके जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है और वे बहुत लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं. प्रेस नोट में कहा गया है कि इसे ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ के संदर्भ में देखने की जरूरत है.

प्रेस नोट में यह भी दावा किया गया है कि अफ्रीका में चीता शावकों के जीवित रहने की दर बहुत कम है. नोट दावा करता है कि विशेषज्ञों और उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, खुले जंगलों में उनके जीवित रहने की दर केवल 10 प्रतिशत है. प्राकृतिक परिस्थितियों में 10 में से केवल 1 चीता शावक वयस्कता प्राप्त करता है. यही कारण है कि इस प्रजाति के अन्य जीवों की तुलना में चीता शावकों की संख्या अधिक है.

उल्लेखनीय है कि प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद कूनो नेशनल पार्क में यह शावक चौथा चीता है और मरने वाला पहला शावक है. आखिरी चीता ‘दक्षा’ नाम की एक मादा थी, जिसकी मृत्यु 9 मई को संभोग के दौरान लगी चोट के कारण हुई थी.

ज्ञात हो कि बीते साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पहली खेप में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो लाया गया था. इनमें से एक मादा चीता साशा की मार्च में मौत हो गई थी. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. अप्रैल में इनमें से एक नर चीते उदय की मौत हो गई थी. इसी दौरान पहली खेप में नामीबिया से आई ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था.

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