ओडिशा: सरकार द्वारा शिव मंदिरों में गांजे पर प्रतिबंध लगाने पर विवाद

ओडिशा के कुछ शिव मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला गांजा लंबे समय से इस क्षेत्र में धार्मिक महत्व से जुड़ा रहा है. सरकार ने सभी 30 ज़िला कलेक्टरों को राज्य भर के सारे शिव मंदिरों में गांजे के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.

ओडिशा के संबलपुर स्थित शिव मंदिर. (फोटो साभार: ट्विटर/@PIBBhubaneswar)

ओडिशा के कुछ शिव मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला गांजा लंबे समय से इस क्षेत्र में धार्मिक महत्व से जुड़ा रहा है. सरकार ने सभी 30 ज़िला कलेक्टरों को राज्य भर के सारे शिव मंदिरों में गांजे के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.

ओडिशा के संबलपुर स्थित शिव मंदिर. (फोटो साभार: ट्विटर/@PIBBhubaneswar)

नई दिल्ली: ओडिशा सरकार ने राज्य के सभी 30 जिला कलेक्टरों को राज्य भर के सभी शिव मंदिरों में गांजा के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक बाबा बलिया के अनुरोध के आधार पर उड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति (ओएलएलसी) विभाग ने 10 मई को एक निर्देश जारी किया था कि प्रतिबंधित सामग्री के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जाएं. यह पत्र मंगलवार को सामने आया.

राज्य के कुछ शिव मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला गांजा लंबे समय से इस क्षेत्र में धार्मिक महत्व से जुड़ा रहा है. इसे भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किया जाता है.

जहां राज्य सरकार के फैसले से कुछ शिव मंदिरों के सेवकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया आई है, ओएलएलसी मंत्री अश्विनी पात्रा ने फैसले को सही ठहराया.

पात्रा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जिस तरह बानपुर में भगवती मंदिर और ओडिशा के अन्य लोकप्रिय मंदिरों में पशु बलि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, उसी तरह शिव मंदिरों के परिसर में गांजा के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है. तदनुसार, हमने एक आदेश जारी किया है और जिला कलेक्टरों को इसे लागू करने के लिए कहा है.’

ओएलएलसी मंत्री ने कहा कि सिर्फ शिव मंदिर ही नहीं, मंदिर परिसर के भीतर किसी भी तरह के वर्जित सामग्री के इस्तेमाल की जांच की जानी चाहिए और इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

बाबा बलिया, जो पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हैं, ने ओडिशा सरकार के फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘हमने शिव मंदिरों में गांजा के उपयोग पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ केंद्र और ओडिशा सरकार दोनों को पत्र लिखा था. अनुरोध पर विचार करने के लिए मैं ओडिशा सरकार का आभारी हूं. गांजा के कई नकारात्मक स्वास्थ्य खतरे हैं.’

हालांकि, 11वीं सदी के लिंगराज मंदिर के सेवकों ने कहा कि मंदिर में देवता को गांजा नहीं चढ़ाया जाता है. भद्रक जिले के अराडी में अखंडलामणि मंदिर के मुख्य सेवक बिजय कुमार दास ने कहा कि भगवान शिव के ‘घरसाना’ अनुष्ठान के दौरान भोग में गांजा या भांग का उपयोग परंपरा के अनुसार किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों को चढ़ाया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘यह हमारे मंदिर में एक सदी पुरानी रस्म है. हम इस बारे में परामर्श करेंगे कि क्या किया जा सकता है.’

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश राउत्रय, जो भगवान लिंगराज के भक्त हैं, ने इसे ‘गैर-जरूरी आदेश’ करार दिया.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि मंदिर परिसर में गांजे की बड़े पैमाने पर खपत की जांच की जा सके. लेकिन पूर्ण प्रतिबंध सही नहीं है क्योंकि कई मंदिरों में भगवान शिव के भोग में गांजे का इस्तेमाल किया जाता है.’

बीजू जनता दल (बीजद) के पूर्व सांसद तथागत सतपथी, जिन्होंने पहले लोकसभा में भांग के सेवन पर कानून बनाने की मांग की थी, ने भी ओडिशा सरकार के आदेश की निंदा की.

उन्होंने कहा, ‘संस्कृति विभाग, ओडिशा सरकार ने शिव मंदिरों में गांजे पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह अत्यधिक प्रतिगामी और उड़िया विरोधी रवैये को दिखाता है. आज के प्रशासकों को पता नहीं है कि उड़िया संस्कृति क्या है! इस अधिसूचना की कड़ी निंदा करते हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं.’