एक और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में पुष्टि- भारतीय कफ सीरप के चलते ही गांबिया में बच्चों की मौत हुई थी

गांबिया में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि भारतीय कंपनी मेडन फार्मा की दवाइयों में मौजूद टॉक्सिन वहां सत्तर बच्चों की मौत की वजह थे. ऐसा निष्कर्ष देने वाली यह चौथी रिपोर्ट है. भारत सरकार अब तक उक्त दवाओं में टॉक्सिन की मौजूदगी की बात से इनकार करती रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार : Pixabay)

गांबिया में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि भारतीय कंपनी मेडन फार्मा की दवाइयों में मौजूद टॉक्सिन वहां सत्तर बच्चों की मौत की वजह थे. ऐसा निष्कर्ष देने वाली यह चौथी रिपोर्ट है. भारत सरकार अब तक उक्त दवाओं में टॉक्सिन की मौजूदगी की बात से इनकार करती रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार : Pixabay)

नई दिल्ली: गांबिया की एक और रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल इस देश में 70 बच्चों की मौत भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा बनाए गए एक उत्पाद, जिसमें विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) थे, के चलते गुर्दे को पहुंचे गंभीर नुकसान के कारण हुई थी.

ये टॉक्सिन डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) थे. यह रिपोर्ट, जिसमें मौत की वजहों का आकलन किया गया है, (कैज़ुअलटी असेसमेंट रिपोर्ट) इस तरह का निष्कर्ष निकालने वाली चौथी रिपोर्ट है.

ये सभी चार रिपोर्ट भारत सरकार की प्रतिक्रिया का खंडन करती हैं, जिसमें कहा गया है कि इसने उक्त उत्पादों के आकलन में कोई मिलावट नहीं पाई.

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के पूर्व प्रमुख वीजी सोमानी ने 13 दिसंबर, 2022 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को एक अपमानजनक पत्र लिखते हुए कहा था कि चारों उत्पादों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी की चेतावनी का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

हालिया कैज़ुअलटी असेसमेंट रिपोर्ट, जो अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है, कहती है, ‘इस बात की पुष्टि की जाती है कि गांबिया में बच्चों में एकेआई [एक्यूट किडनी इंजरी] के 56 मामलों की विस्तृत समीक्षा के आधार पर एकेआई के कारण और 22 बच्चों की मृत्यु की वजह डीईजी और ईजी विषाक्तता थी. शेष 34 मामलों के लिए, डीईजी/ईजी विषाक्तता को कम से कम 30 [बच्चों] में संभावित कारण माना जाना चाहिए.’

संक्षेप में, असेसमेंट कमेटी ने प्रमाणित किया है कि गांबिया में बच्चों में किडनी से जुड़ी गंभीर समस्या की वजह वे दवाइयां रहीं, जिनमें डीईजी/ईजी मौजूद था.’

द वायर ने इस रिपोर्ट की एक प्रति देखी है और सीडीएससीओ के मौजूदा प्रमुख राजीव रघुवंशी से जवाब मांगा है, जो भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल हैं. खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. उनकी और सरकार की तरफ से जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

मेडन फार्मा की दवाइयों के बारे में लैब के निष्कर्ष. (साभार: Causality Assessment Report)

हालिया रिपोर्ट में उन तीन प्रयोगशालाओं के निष्कर्षों को भी जोड़ा गया है जहां इन दवाओं के निर्माता- मेडन फार्मा के उत्पादों को डब्ल्यूएचओ द्वारा परीक्षण के लिए भेजा गया था.

उल्लेखनीय है कि द वायर ने इससे पहले बताया था कि इनमें से एक लैब के निष्कर्ष में बताया गया था कि इनमें अत्यधिक मात्रा में डीईजी मौजूद था. फ्रांस और घाना में अन्य दो प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट का सारांश, जहां ज़्यादा मात्रा वाले उत्पाद को भेजा गया था, ने भी डीईजी और ईजी की मौजूदगी की पुष्टि की थी.

अन्य देशों के निर्माताओं द्वारा बनाई गई अड़तीस उत्पादों को भी परीक्षण के लिए भेजा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडन फार्मा द्वारा बनाई गई चार दवाओं को छोड़कर 34 में से कोई भी दूषित नहीं पाई गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी 34 उत्पाद, जिनमें ईजी और डीईजी नहीं पाए गए, उन्हें 11 नवंबर, 2022 को मार्केटिंग के लिए रिलीज़ किया गया.

इन लैब रिपोर्टों के अलावा, यूएस-सीडीसी की एक रिपोर्ट और गांबिया की एक संसदीय रिपोर्ट ने भी निष्कर्ष निकाला है कि इन बच्चों की मौतें मेडन फार्मास्युटिकल्स के उत्पादों से जुड़ी थीं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)