छत्तीसगढ़: फोन पाने के लिए जलाशय का 21 लाख लीटर पानी निकलवाने वाला अधिकारी निलंबित

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. बीते 21 मई को ज़िले पखांजूर क़स्बे में तैनात एक खाद्य निरीक्षक ने सेल्फी लेते समय अपना नया मोबाइल फोन बांध के पास बने एक जलाशय में गिरा दिया था. विश्वास और उनके दोस्त बांध पर घूमने गए थे.

परलकोट जलाशय. (फोटो साभार: गूगल मैप्स)

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. बीते 21 मई को ज़िले पखांजूर क़स्बे में तैनात एक खाद्य निरीक्षक ने सेल्फी लेते समय अपना नया मोबाइल फोन बांध के पास बने एक जलाशय में गिरा दिया था. विश्वास और उनके दोस्त बांध पर घूमने गए थे.

परलकोट जलाशय. (फोटो साभार: गूगल मैप्स)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक सरकारी अधिकारी को बीते शुक्रवार को एक बांध के बगल में बनाए गए एक जलाशय से कथित तौर पर लगभग 21 लाख लीटर पानी निकालने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. जलाशल में अपना फोन गिर जाने के बाद अधिकारी ने यह कदम उठाया था.

बीते 21 मई को पखांजूर कस्बे में तैनात खाद्य निरीक्षक 32 वर्षीय राजेश विश्वास ने सेल्फी क्लिक करते समय गलती से अपना नया मोबाइल फोन परलकोट जलाशय में गिरा दिया था. विश्वास और उनके दोस्त बांध पर घूमने गए थे. बताया जा रहा है कि फोन की कीमत लगभग 95,000 रुपये थी.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वास ने बताया कि फोन की तलाश में उन्होंने जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) से मौखिक अनुमति लेकर पंप से जलाशय का पानी निकलवाया. उन्होंने कहा कि पानी पीने या खेती के लायक नहीं था.

उन्होंने कहा, ‘फोन की खोज के लिए मैंने कुछ स्थानीय गोताखोरों को लगाया, लेकिन मंगलवार (23 मई) तक फोन नहीं मिल पाया. गोताखोरों ने मुझे बताया कि फोन पाने के लिए पानी के स्तर को कुछ फीट कम करने की जरूरत है.’

इस बीच कांकेर कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने कहा कि एसडीओ आरसी धीवर को जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

जल संसाधन विभाग द्वारा भेजा गया नोटिस खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास द्वारा किए गए दावों का भी खंडन करता है.

नोटिस में कहा गया है, ‘यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि गर्मियों के दौरान सिंचाई और जल निकासी के लिए सभी जलाशयों में पानी की आवश्यकता होती है. पानी बर्बाद करना एक दंडनीय अपराध है.’

नोटिस में खाद्य निरीक्षक से इस बात का जवाब मांगा गया है कि पानी की बर्बादी के बराबर राजस्व की वसूली उनके वेतन से क्यों नहीं की जाए.

विश्वास ने कहा कि वह अपने फोन के लिए चिंतित थे, जो उन्होंने फाइनेंस पर खरीदा था और इसलिए यह कदम उठाया.

कलेक्टर शुक्ला ने कहा, ‘पानी कीमती है और राजेश विश्वास ने जो किया है, वह किसी भी तर्क या विवेक से परे है. यह सत्ता का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग है.’