शिवसेना (उद्धव गुट) का सवाल- क्या नई संसद के उद्घाटन में लालकृष्ण आडवाणी को बुलाया गया है

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मोदी इस परिसर को अपनी 'जागीर' समझते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने इसे बनवाया है. पार्टी नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले 20 दलों में शामिल है. 

नया संसद भवन. (फोटो साभार: ट्विटर/BJP4Karnataka)

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मोदी इस परिसर को अपनी ‘जागीर’ समझते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने इसे बनवाया है. पार्टी नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले 20 दलों में शामिल है.

नया संसद भवन. (फोटो साभार: ट्विटर/BJP4Karnataka)

नई दिल्ली: नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस समारोह में आमंत्रित न करने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मोदी इस परिसर को अपनी ‘जागीर’ समझते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने इसे बनवाया है.

द हिंदू के अनुसार, पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में इस बात पर भी तंज़ किया कि क्या भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 28 मई के कार्यक्रम में बुलाया है या नहीं. पूछा गया, ‘क्या आडवाणी, जिनकेकारण भाजपा के अच्छे दिन आए हैं, उन्हें आमंत्रित किया गया है?’

उल्लेखनीय है कि शिवसेना (यूबीटी) समेत करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अपमान का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है. इन दलों का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए.

अपने मुखपत्र में भी शिवसेना (यूबीटी) ने यह कहा कि राष्ट्रपति देश की प्रमुख होने के साथ भारत की पहली नागरिक भी हैं इसलिए इस पद का अपमान नहीं किया जाना चाहिए.

इसमें कहा गया, ‘मोदी की नीति है कि नया संसद भवन मैंने बनाया है और यह मेरी जागीर है. इसलिए तख्ती पर सिर्फ मेरा नाम होगा. यह अहंकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.’

इसमें आगे लिखा गया, ‘नई संसद किसी पार्टी की नहीं बल्कि देश की है. भाजपा नेताओं द्वारा लोकतंत्र की बात करना मजाक है. क्या आडवाणी, जिनके कारण भाजपा के ‘अच्छे दिन’ देखे, को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया है?’

मुखपत्र में यह भी खा गया है कि विपक्ष के नेता को प्रधानमंत्री के बराबर का दर्जा प्राप्त होता है. इसलिए यह और भी अच्छा होता अगर निमंत्रण पत्र में विपक्ष के नेता का नाम भी होता.

पार्टी ने लाहा, ‘सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि आप हमारी निजी पार्टी में आते हैं तो आपका अपमान किया जाएगा. ‘मिंधे-फडणवीस’ (एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस) ऐसी पार्टियों में जाना पसंद करते हैं. जरा देखें कि क्या वहां आडवाणी के लिए जगह है. जब भारत के राष्ट्रपति को ही इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया, तो इस बात का कोई मतलब नहीं रहा हटा है कि किसी और को आमंत्रित किया गया या नहीं.

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