प्रदूषण के चलते दिल्ली हाफ मैराथन स्थगित करवाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा आईएमए

16 नवंबर को होगी सुनवाई. दिल्ली में ज़हरीली हवा बरक़रार. कोलंबियाई अनुसंधानकर्ता ने आॅड-ईवेन में बाइक और आॅटो शामिल करने का सुझाव दिया.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

16 नवंबर को होगी सुनवाई. दिल्ली में ज़हरीली हवा बरक़रार. कोलंबियाई अनुसंधानकर्ता ने आॅड-ईवेन में बाइक और आॅटो शामिल करने का सुझाव दिया.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को खराब और बेहद खतरनाक बताते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह दिल्ली हाफ मैराथन के आयोजन को स्थगित करने का आदेश दे

शहर में वायु प्रदूषण की मौजूदा स्थिति और इस संबंध में आईएमए की अर्जी पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने दिल्ली सरकार, पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और मैराथन आयोजकों को नोटिस भेजकर उनसे मामले की सुनवाई की अगली तारीख (16 नवंबर) तक जवाब मांगा है.

आईएमए ने कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश गीता मित्तल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिख मैराथन स्थगित करने का अनुरोध किया था. हाफ मैराथन 19 नवंबर को होना है.

इस चिट्ठी को दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर दर्ज मुख्य जनहित याचिका के साथ जोड़ दिया गया है. अदालत इस याचिका पर सुनवाई करने के साथ ही समय-समय पर अपना निर्देश भी दे रही है.

अदालत ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता सुधारने के संबंध में 9 नवंबर को कई निर्देश जारी किए थे.

दिल्ली में ज़हरीली हवा बरक़रार, 10 ट्रेनें रद्द

राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार सुबह भी ज़हरीली हवा का कहर जारी रहा जिससे कई इलाकों में दृश्यता घट गई और 10 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा.

भारतीय रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 73 ट्रेनें देरी से चल रही हैं, 34 का समय बदला गया और 10 को रद्द कर दिया गया.

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, न्यूनतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री पर है. सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर आर्द्रता का स्तर 84 प्रतिशत दर्ज किया गया.

अधिकारी ने बताया, बुधवार को हल्की बारिश हो सकती है, जिससे कोहरा गहरा सकता है लेकिन धुंध की ज़हरीली चादर छंट सकती है.

People cross the road in Delhi, India, November 7, 2017. REUTERS/Saumya Khandelwal
(फोटो: रॉयटर्स)

दिल्ली में करीब एक हफ्ते से ज़हरीली हवा का असर बना हुआ है जिससे अधिकारियों को निर्माण गतिविधियों और ईंट-भट्ठों को प्रतिबंधित करने जैसे आपात कदम उठाने पड़े हैं.

प्रदूषण पर सरकारों ने दिया अपने काम का हिसाब

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के गहराते संकट को देखते हुए राज्य सरकारों ने इस दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी केंद्र सरकार को दी है.

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित समिति को दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार ने पराली जलाने और वाहन जनित प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण करने के लिए किए गए तात्कालिक उपायों की जानकारी दी है.

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत दिल्ली के प्रवेश मार्गों से आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले ट्रकों के अलावा अन्य ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश प्रतिबंधित करने सहित अन्य उपायों की जानकारी दी है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हरियाणा और पंजाब ने भी पराली जलाने को रोकने के लिए की गयी कार्यवाही से अवगत कराया है. हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष के समुचित प्रबंधन के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी 45 करोड़ रुपये की राशि में 39 करोड़ रुपये खर्च कर पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण करने का दावा किया है.

दिल्ली सरकार ने मंत्रालय को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भवन निर्माण परियोजनाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. जिससे भवन निर्माण जनित धूल की समस्या से निजात मिल सके.

साथ ही शिक्षा विभाग ने प्राथमिक स्कूलों का अवकाश और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को कक्षाओं तक ही सीमित रखने को कहा गया है जिससे बच्चे बाहर प्रदूषण जनित धुंध के संपर्क में आने से बच सकें.

इसके अलावा सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए पार्किंग की दर में चार गुना बढ़ोतरी लागू कर परिवहन निगम की बसों और मेट्रो के फेरे बढ़ा दिये गए हैं.

हालांकि इसके साथ ही राज्य सरकारों के बीच इस समस्या को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली में लगभग 40 हज़ार किसानों द्वारा 40 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर की जा रही खेती से निकलने वाली पराली को जलाने से रोकने के लिये किये उपाय बताने को कहा.

खट्टर ने केजरीवाल पर प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीति न करने की नसीहत देते हुए पंजाब सरकार पर भी पराली जलाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया.

खट्टर ने लिखा कि हरियाणा सरकार पराली को जलाने से रोकने के लिए इसके उचित प्रबंध पर 39 करोड़ रुपये ख़र्च कर चुकी है. इसका असर उपग्रह से मिल रही तस्वीरों से लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया, इन तस्वीरों में पिछले सालों की तुलना में हरियाणा में जलायी जाने वाली पराली से उठने वाले धुंए की मात्रा में खासी कटौती साफ देखी जा सकती है. जबकि पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन कोष से जारी 97.58 करोड़ रुपये राशि का अब तक बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया है.

A man walks along a railway platform on a smoggy morning in New Delhi, India, November 10, 2017. REUTERS/Saumya Khandelwal
(फोटो: रॉयटर्स)

उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने गत आठ नवंबर को खट्टर को पत्र लिखकर पराली जलाने की दिशा में हरियाणा सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने की शिकायत की थी.

बाइक और आॅटो को आॅड-ईवेन योजना में शामिल करना होगा: कोलंबियाई अनुसंधानकर्ता

आॅड-ईवेन योजना की सफलता के लिए इसके दायरे में दो पहिया और तीन पहिया वाहनों को भी लाना होगा. यह बात न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक अनुसंधानकर्ता ने इसके दीर्घकालिक प्रभाव पर संदेह जताते हुए कही है.

केमिकल इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर वीएफ मैकनिल ने कहा कि आॅड-ईवेन योजना का प्रभाव अंतत: असफल हो जाता है क्योंकि चालक पाबंदियों से बच निकलने के तरीके खोज लेते हैं.

यह मैक्सिको सिटी एवं मनीला जैसे बड़े शहरों में देखा गया है जहां पूर्व में यह योजना लागू की गई थी.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, परिवहन वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन मुझे नहीं लगता कि दीर्घकाल में आॅड-ईवेन योजना कोई समाधान होगा.

मैकनिल ने कहा कि उन्होंने जो आंकड़े देखे हैं उससे संकेत मिलता है कि जनवरी महीने में आॅड-ईवेन यातायात योजना के परीक्षण के दौरान यातायात के पीक आवर्स के दौरान पीएम 2.5 कुछ हद तक (करीब 20 प्रतिशत) कम हुआ.

उन्होंने कहा, यद्यपि मनीला और मैक्सिको सिटी जैसे अन्य बड़े शहरों में अनुभव से पता चलता है आॅड-ईवेन योजना दीर्घकालिक प्रदूषण कम करने या यातायात कम करने का व्यावहारिक उपाय नहीं है क्योंकि चालक पाबंदियों से बचने के लिए अन्य तरीके निकाल लेते हैं.

मैकनिल ने कहा कि हवा शहर, राज्य या यहां तक कि राष्ट्रीय सीमाओं का पालन नहीं करती इसलिए उत्सर्जन को स्थानीय स्तर के साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर भी काबू करने की ज़रूरत है. उन्होंने इसके लिए लॉस एंजिलिस और मैक्सिको सिटी के उदाहरण दिए जहां दिल्ली जैसी स्थिर हवा की प्रवृत्तियां हैं.

उन्होंने दिल्ली में पूर्व में लागू हुई दो दौर की आॅड-ईवेन योजना का विश्लेषण करते हुए जनवरी 2016 में पायलट आधार पर लागू किए गए चरण को अप्रैल के दूसरे चरण के मुकाबले अधिक सफल बताया. ठंड के मौसम में हवा अधिक ठंडी और स्थिर होती है और आधारभूत प्रदूषण का स्तर अधिक होता है जिससे प्रदूषण के स्तर में कोई भी गिरावट दिखाई देती है.

उन्होंने कहा, दो और तीन पहिया वाहन, विशेष तौर पर टू स्ट्रोक इंजन जो मिश्रित ईंधन पर चलते हैं, वे प्रदूषण के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं और उन्हें वायु गुणवत्ता नीति में छोड़ा नहीं जाना चाहिए. आॅड-ईवेन योजना के प्रभाव की कोई उम्मीद हो तो उन्हें पाबंदियों में शामिल किया जाना चाहिए.

दिल्ली के प्रदूषण पर आईआईटी कानपुर के अध्ययन के अनुसार शहर में वाहनों से होने वाले कुल प्रदूषण में ट्रकों और दो पहिया वाहनों का हिस्सा क्रमश: करीब 46 और 33 प्रतिशत है. अनुमान के अनुसार चार पहिया वाहनों का प्रदूषण में हिस्सा करीब 10 प्रतिशत है.

कारगर उपायों से हवा की गुणवत्ता सुधरी: पर्यावरण मंत्री

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मामलों के मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण के संकट से निपटने के लिये संबद्ध एजेंसियों द्वारा किए गए कारगर उपायों के परिणामस्वरूप हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है.

डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि हवा की गुणवत्ता को खराब करने वाले प्रदूषक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में लगातार दर्ज की जा रही गिरावट को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी से बाहर आ जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण से संबद्ध एजेंसियों के सामूहिक प्रयासों के कारण हवा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

उन्होंने कहा कि गत सात नवंबर को शुरू हुआ यह संकट 11 नवंबर तक बरकरार रहा. इसके बाद प्रदूषण के स्तर में मामूली गिरावट दर्ज करने के बाद 12 नवंबर को एक बार फिर हालात गंभीर हो गए. हालांकि सभी संबद्ध एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से प्रदूषण की स्थिति में फिर से सुधार दिखने  लगा है.