मानव स्वतंत्रता सर्वोपरि है… जेल नहीं, ज़मानत नियम है: कलकत्ता हाईकोर्ट

एक वित्तीय घोटाले पर सुनवाई के दौरान आरोपी को ज़मानत देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में एक इंसान के लिए उसकी स्वतंत्रता अमूल्य है.

कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/Kolkata Calling)

एक वित्तीय घोटाले पर सुनवाई के दौरान आरोपी को ज़मानत देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में एक इंसान के लिए उसकी स्वतंत्रता अमूल्य है.

कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/Kolkata Calling)

नई दिल्ली: यह कहते हुए कि मानव स्वतंत्रता सर्वोपरि है, कलकत्ता हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि ‘यह किसी भी सभ्य समाज में एक इंसान के लिए स्वतंत्रता अमूल्य है.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अदालत करोड़ों रुपये के एक वित्तीय घोटाले में मुकदमे का सामना कर रही एक महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मामले में महिला को जमानत दे दी गई.

जस्टिस आईपी मुखर्जी और बिस्वरूप चौधरी की पीठ ने अपने 19 मई के आदेश में यह भी कहा, ‘मानव स्वतंत्रता हर सभ्य इंसान के लिए सबसे मूल्यवान है.’

हाईकोर्ट ने कहा कि कथित हेराफेरी 2011 में हुई थी. 2020 में शिकायत दर्ज की गई थी. एक एफआईआर दर्ज की गई थी और जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने अपना आरोप-पत्र पेश किया था. हालांकि जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि आगे की जांच जारी है, लेकिन उसने कोई पूरक आरोप-पत्र दायर नहीं किया.

साथ ही, उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी इतने वर्षों तक फरार नहीं हुआ, और न ही उसका कोई आपराधिक इतिहास है.

जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अभियुक्त को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा, हर दिन ट्रायल में शामिल होना होगा और वह कोलकाता नहीं छोड़ सकतीं.

19 मई के अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि शीर्ष अदालत ने भी मानव स्वतंत्रता पर जोर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक एक आरोपी को दोषी साबित नहीं किया जाता है, तब तक बेगुनाही की धारणा है और आर्थिक अपराध आयोग ने जमानत से आरोपी को वंचित नहीं किया है.

अदालत ने कहा, ‘जमानत, जेल नहीं, यही नियम है.’