साल 2022 में देश में मैलवेयर हमलों में 31 फीसदी की वृद्धि: रिपोर्ट

अमेरिकी साइबर सुरक्षा प्रदाता कंपनी सोनिकवॉल के एशिया-प्रशांत और जापान के उपाध्यक्ष देबाशीष मुखर्जी ने कहा है कि अन्य क्षेत्रों में मैलवेयर हमलों में कमी आई है लेकिन भारत में वे चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर बने हुए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: पिक्साबे)

अमेरिकी साइबर सुरक्षा प्रदाता कंपनी सोनिकवॉल के एशिया-प्रशांत और जापान के उपाध्यक्ष देबाशीष मुखर्जी ने कहा है कि अन्य क्षेत्रों में मैलवेयर हमलों में कमी आई है लेकिन भारत में वे चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर बने हुए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: पिक्साबे)

नई दिल्ली: भारत में 2022 में मैलवेयर हमलों में 31 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. सोनिकवॉल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे कंपनियों को साइबर हमलों के खिलाफ खुद को सुरक्षित रखने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए प्रेरित होना चाहिए.

एनडीटीवी ने इसकी रिपोर्ट के हवाले से बताया है, पिछले वर्ष की तुलना में ‘घुसपैठ के प्रयासों’ में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी और ‘रैंसमवेयर हमलों’ में भी 53 प्रतिशत की आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है.

इसके अलावा, ‘2023 सोनिकवॉल साइबर ख़तरा रिपोर्ट’ में ‘क्रिप्टो-जैकिंग हमलों [क्रिप्टो करेंसी पर होने वाले हमले]’ में 116 प्रतिशत की वृद्धि और ‘आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) अटैक [आईओटी उपकरणों पर होने वाले हमले]’ में 84 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि का खुलासा हुआ है.

सोनिकवॉल अमेरिका की साइबर सुरक्षा समाधान प्रदाता कंपनी है.

सोनिकवॉल में एशिया-प्रशांत और जापान (एपीजे) के उपाध्यक्ष देबाशीष मुखर्जी के अनुसार, हालांकि अन्य क्षेत्रों में मैलवेयर हमलों में कमी आई है लेकिन भारत में वे चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर बने हुए हैं.

उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों में, खतरे के कारक अपने हमले के दायरे का विस्तार कर रहे हैं, विभिन्न तरीकों को नियोजित कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बना रहे हैं. ये लगातार अवसरों की तलाश करते हैं और बार-बार हमले करते हैं.

उन्होंने इस पर जोर दिया कि हमलावरों द्वारा नियोजित रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं (टीटीपी) को समझना संगठनों के लिए आवश्यक है.