बंगाल: विधायक के टीएमसी में जाने पर कांग्रेस बोली- ऐसे विपक्षी एकता नहीं, भाजपा मज़बूत होगी

कुछ माह पहले ही सागरदिघी उपचुनाव में जीतने वाले बायरन बिस्वास पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे. उनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस ने कहा कि इस तरह की ख़रीद-फ़रोख़्त केवल भाजपा के मक़सद को पूरा करती है.  

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी (बाएं) और बायरन बिस्वास. (फोटो साभार: ट्विटर/टीएमसी पेज)

कुछ माह पहले ही सागरदिघी उपचुनाव में जीतने वाले बायरन बिस्वास पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक थे. उनके तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस ने कहा कि इस तरह की ख़रीद-फ़रोख़्त केवल भाजपा के मक़सद को पूरा करती है.

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी (बाएं) और बायरन बिस्वास. (फोटो साभार: ट्विटर/टीएमसी पेज)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अपने इकलौते विधायक के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने के एक दिन बाद कांग्रेस ने मंगलवार को ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि इससे विपक्षी एकता मजबूत नहीं होगी और केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मकसद पूरा होगा.

द टेलीग्राफ के मुताबिक, कांग्रेस के एकमात्र विधायक बायरन बिस्वास सोमवार को सत्तारूढ़ टीएमसी में चले गए. वे टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजदूगी में पार्टी में शामिल हुए.

टीएमसी पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में एक ऐतिहासिक जीत में कांग्रेस विधायक निर्वाचित होने के तीन महीने बाद बायरन बिस्वास को टीएमसी ने प्रलोभन देकर अपने में शामिल कर लिया.’

रमेश ने ट्विटर पर कहा, ‘यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के जनादेश के साथ पूर्ण विश्वासघात है. इस तरह की खरीद-फरोख्त जो पहले गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में हुई है, विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नहीं है और केवल भाजपा के उद्देश्यों को पूरा करती है.’

कांग्रेस विधायक का टीएमसी में चले जाना और ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी की आलोचना करने वाली रमेश की टिप्पणी का महत्व है क्योंकि यह ऐसे समय में हुआ है जब 2024 के आम चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिये विपक्षी एकता तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

मेदिनीपुर के घाटाल में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने के समारोह में बायरन ने दावा किया कि कांग्रेस ने उनकी जीत में कोई भूमिका नहीं निभाई, और वह अपनी स्वयं की छवि के कारण जीते. स्थानीय ‘बीड़ी’ कारोबारी बायरन ने इस साल के शुरू में हुए उपचुनाव में सागरदिघी सीट पर तृणमूल कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी को हराकर जीत हासिल की थी, जिससे सत्ताधारी खेमे में खलबली मच गई थी.

उधर, रमेश के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ‘दो हफ्ते पहले कांग्रेस ने कहा था कि ‘ममता बनर्जी के समर्थन के बावजूद कांग्रेस बंगाल में ममता बनर्जी से लड़ने को प्रतिबद्ध है.’ कांग्रेस विपक्षी एकता का भरोसा तोड़ती है और फिर उम्मीद करती है कि इसके बदले उसे फूलों का गुलदस्ता मिलेगा! और जहां तक भाजपा को मजबूत करने की बात है, तो कृपया बेहतर सोचिए.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस दौरान अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस और वाम दल के तथाकथित गठबंधन ने पश्चिम बंगाल में केवल भाजपा की मदद की थी क्योंकि राज्य में टीएमसी मुख्य राजनीतिक ताकत है.

उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक राज्य के चुनाव जीतने पर हमने कांग्रेस को बधाई दी थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा था कि जो दल भाजपा से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं, उन्हें ऐसा करना चाहिए.’

बिस्वास ने भी कहा कि उन्होंने कांग्रेस इसलिए छोड़ी क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भाजपा के खिलाफ उतने आक्रामक नहीं थे. बिस्वास ने कहा, ‘वह हमेशा अपना हमला टीएमसी पर केंद्रित करते हैं.’

इस दौरान अभिषेक बनर्जी ने चौधरी पर भी कटाक्ष किया, जिन्होंने सागरदिघी से वाम-कांग्रेस गठबंधन की जीत को ‘ममता बनर्जी के अंत की शुरुआत’ बताया था.

बनर्जी ने कहा, ‘अगर मैं एक बटन दबाता हूं तो कांग्रेस के चार सांसद, जिनमें से कुछ अन्य राज्यों से हैं, कल हमारे साथ जुड़ जाएंगे. अगर मैं उनका नाम बताऊंगा तो आप चौंक जाएंगे. हम ऐसा इसलिए नहीं करते क्योंकि हम शिष्टाचार में विश्वास रखते हैं. मैं अधीर रंजन चौधरी को चुनौती देता हूं. अगर हम अपने दरवाजे खोलते हैं तो वह अपनी पार्टी के नेताओं को पार्टी छोड़कर जाने से नहीं रोक पाएंगे.’

बता दें कि सागरदिघी उपचुनाव तीन बार सीट जीतने वाले टीएमसी विधायक सुब्रत साहा की मृत्यु के कारण हुए थे. बिस्वास को 47.35 फीसदी वोट मिले, जबकि टीएमसी की हिस्सेदारी घटकर 34.94 फीसदी रह गई थी. भाजपा 13.94 फीसदी मतों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

चिदंबरम ने कांग्रेस को परस्पर समर्थन देने के ममता बनर्जी के आह्वान का स्वागत किया

इस बीच, विपक्षी एकजुटता को लेकर बीते दिनों ममता बनर्जी का बयान भी सोमवार को तब सुर्खियों में रहा जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने उनके परस्पर समर्थन के प्रस्ताव का स्वागत किया.

द हिंदू के मुताबिक, बनर्जी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी जहां कांग्रेस मजबूत है वहां उसका समर्थन करेगी, बदले में उसे क्षेत्रीय दलों को भी परस्पर समर्थन देना होगा.

बनर्जी ने कहा था, ‘कांग्रेस जहां भी मजबूत है, उन्हें लड़ने दें. हम उन्हें समर्थन देंगे, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. लेकिन उन्हें अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन करना होगा.’

इस पर चिदंबरम ने पीटीआई से कहा, ‘मैं ममता बनर्जी के बयान का स्वागत करता हूं. उन्हें कांग्रेस पार्टी के साथ बातचीत में इसे आगे बढ़ाना चाहिए. मुझे विश्वास है कि एक समझ तक पहुंचना संभव है.’

चिदंबरम ने यह संकेत दिया कि वे इस विचार के विरुद्ध नहीं हैं और कहा कि ‘राज्य में सबसे मजबूत गैर-भाजपाई दल को वहां के चुनाव में गठबंधन में अग्रणी दल होना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा व्यक्तिगत विचार है कि किसी राज्य में सबसे मजबूत गैर-भाजपाई दल को उस राज्य के चुनावी गठबंधन में अग्रणी दल होना चाहिए. कांग्रेस कई राज्यों में सबसे मजबूत गैर-भाजपाई दल है. यह स्वाभाविक है कि राज्यीय स्तर पर मजबूत दल पारस्परिक समर्थन की अपेक्षा करेंगे.’