बीते 28 मई को अभिनेता रणदीप हुडा ने वीडी सावरकर के जीवन पर बनी उनकी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का एक फोटो सोशल मीडिया पर डाला था, जिसके साथ लिखा गया था कि सावरकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे.
नई दिल्ली: बीते 28 मई को वीडी सावरकर की जयंती पर अभिनेता रणदीप हुडा ने अपनी आगामी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का एक नया पोस्टर जारी किया. हुडा फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.
हालांकि, इस दौरान उनके एक ट्वीट ने विवाद खड़ा कर दिया जिसमें उन्होंने दावा किया कि भगत सिंह और खुदीराम बोस के साथ-साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस सावरकर से प्रेरित थे.
The most wanted Indian by the British. The inspiration behind revolutionaries like – Netaji Subhash Chandra Bose, Bhagat Singh & Khudiram Bose.
Who was #VeerSavarkar? Watch his true story unfold!Presenting @RandeepHooda in & as #SwantantryaVeerSavarkar In Cinemas 2023… pic.twitter.com/u0AaoQIbWt
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) May 28, 2023
इंडिया टुडे के मुताबिक, अब बोस के परिवार ने इस दावे की कड़ी निंदा की है.
वीडी सावरकर की 140वीं जयंती पर ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ फिल्म के निर्माताओं ने इसके नए पोस्टर का अनावरण किया. फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हुडा ने इसे ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अंग्रेजों द्वारा सर्वाधिक वांछित भारतीय. नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों के पीछे की प्रेरणा. वीर सावरकर कौन थे? उनकी सच्ची कहानी की परतें खुलती देखें.’
अब उनके इस दावे पर विवाद खड़ा हो गया है कि सावरकर नेताजी के प्रेरणास्रोत थे. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने इसकी कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि रणदीप हुडा का दावा एक पब्लिसिटी स्टंट है क्योंकि उनकी फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है.
ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्र कुमार बोस ने इंडिया टुडे को बताया, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस केवल दो महान व्यक्तित्वों से प्रेरित थे. एक स्वामी विवेकानंद, जो उनके आध्यात्मिक गुरु थे और दूसरे व्यक्ति थे स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास, जो उनके राजनीतिक गुरु थे. इन दो लोगों के अलावा मुझे नहीं लगता कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस किसी अन्य स्वतंत्रता सेनानी से प्रेरित थे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सावरकर एक महान व्यक्तित्व, एक स्वतंत्रता सेनानी थे लेकिन उनकी विचारधारा और नेताजी की विचारधारा बिल्कुल विपरीत थी. इसलिए, मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि नेताजी सावरकर के सिद्धांतों और विचारधारा का पालन क्यों करेंगे. उन्होंने वास्तव में सावरकर का विरोध किया था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘नेताजी ने अपने लेखन में स्पष्ट रूप से कहा था कि हम ब्रिटिश साम्राज्यवादी सत्ता के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर और मुहम्मद अली जिन्ना से कुछ भी उम्मीद नहीं कर सकते. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदू महासभा और मुहम्मद अली जिन्ना से कुछ भी उम्मीद नहीं की जा सकती है. नेताजी बहुत ही धर्मनिरपेक्ष नेता थे. उन्होंने उन लोगों का विरोध किया जो सांप्रदायिक थे. सांप्रदायिकता का दोनों भाइयों- शरद चंद्र बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पूरी तरह से विरोध किया था.’
उन्होंने सवाल किया, ‘तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि नेताजी सावरकर का अनुसरण या समर्थन करते थे? सेलुलर जेल जाने से पहले सावरकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक क्रांतिकारी थे. वह भारत की आजादी चाहते थे, लेकिन बाद में वह बदल गए.’
उन्होंने हुडा की आलोचना करते हुए कहा, ‘रणदीप हुडा का दावा बिल्कुल गलत है. वह एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, मैं उनसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सही इतिहास को पेश करें. मुझे लगता है कि अगर आप गलत इतिहास पेश करते हैं तो यह युवाओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा. यह कहना पूरी तरह से गलत है कि सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह और खुदीराम बोस सावरकर से प्रेरित थे और उनकी विचारधारा का अनुसरण करते थे, बल्कि उन्होंने उनकी विचारधारा का पुरजोर विरोध किया था.’
दावे को ‘अपराध’ बताते हुए चंद्र बोस ने कहा, ‘फिल्म के निर्देशक एक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि फिल्म को कुछ लाभ मिले, लेकिन कुछ फायदा पाने के लिए गलत इतिहास पेश करना अपराध है. इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और मुझे लगता है कि हर किसी को कुछ भी पेश करने का अधिकार है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी को भी गलत इतिहास पेश करने का अधिकार है.’