नरेंद्र मोदी स्टेडियम को विश्वस्तरीय बताने का अमित शाह का दावा एक ही बारिश में धुल गया!

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम को उद्घाटन के समय केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने विश्व के अत्याधुनिक स्टेडियम में से एक बताया था. लेकिन, इस अत्याधुनिकता की पोल बीते दिनों आईपीएल के फाइनल मैच के दौरान खुली, जब बारिश के बाद मैदान को सुखाने के लिए बाल्टी और स्पंज का सहारा लिया गया.

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केंद्रीय मंत्री अमित शाह, आईपीएल फाइनल मैच के दौरान पिच को स्पंज से सुखाता स्टाफ. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम को उद्घाटन के समय केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने विश्व के अत्याधुनिक स्टेडियम में से एक बताया था. लेकिन, इस अत्याधुनिकता की पोल बीते दिनों आईपीएल के फाइनल मैच के दौरान खुली, जब बारिश के बाद मैदान को सुखाने के लिए बाल्टी और स्पंज का सहारा लिया गया.

केंद्रीय मंत्री अमित शाह, आईपीएल फाइनल मैच के दौरान पिच को स्पंज से सुखाता स्टाफ. (फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

नई दिल्ली: अस्सी के दशक में गुजरात के अहमदाबाद स्थित मोटेरा में अस्तित्व में आए सरदार पटेल स्टेडियम को वर्ष 2015 में गिराकर दोबारा बनाना शुरू किया गया था. जब 24 फरवरी 2021 को गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) के इस नवनिर्मित स्टेडियम का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा किया गया तो इसका नाम बदलकर ‘नरेंद्र मोदी स्टेडियम’ कर दिया गया था.

स्टेडियम के पुनर्निर्माण की जानकारी देते हुए जीसीए की वेबसाइट पर लिखा गया है, ‘अक्टूबर 2015 में, तत्कालीन जीसीए अध्यक्ष और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन ने स्टेडियम का पुनर्निर्माण करने और इसे दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाने का फैसला किया.’ इस स्टेडियम को जीसीए द्वारा प्रधानमंत्री ‘मोदी का सपना’ बताया गया है.

दुनिया के इस सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के उद्घाटन समारोह के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘जब स्टेडियम बनाने की बात आई तब उन्होंने (मोदी) हमें सबके सामने कहा था कि छोटा मत सोचिए, गुजरात में जो भी होगा विश्व का सबसे बड़ा होगा…’

इसके बाद शाह क्रिकेट स्टेडियम के बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं. ‘… इसको सभी दृष्टि से संपूर्ण बनाने का जीसीए की टीम ने प्रयास किया है और मैं उनको कहना भी चाहता हूं कि आपका प्रयास सफल रहा है. विश्व में किसी भी क्रिकेट स्टेडियम में एक साथ 11 पिच नहीं हैं. एक साथ चार ड्रॉइंग रूम नहीं हैं… एक दिन में दो मैच भी करने हैं तो स्टेडियम कर सकता है.’

आगे वह जो दावा करते हैं, हाल ही में उसी पर सवाल उठे हैं- खास तौर पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2023 के बारिश बाधित फाइनल मुकाबले के बाद. अमित शाह ने तब स्टेडियम की विशेषताओं के कसीदे पढ़ते हुए दावा किया था, ‘स्टेडियम में पूरी अत्याधुनिक जल निकासी प्रणाली (ड्रेनेज सिस्टम) भी बनाई गई है. बारिश आती है तो कितनी भी बारिश हो, आधे घंटे में मैच डिस्टर्ब करे बगैर आगे का खेल बारिश रुकते ही हम शुरू कर सकते हैं.’

हालांकि, आईपीएल-2023 के फाइनल मुकाबले में कुछ और ही देखा गया. 28 मई को होने वाला मुकाबला भारी बारिश के चलते रिजर्व डे यानी अगले दिन 29 मई के लिए स्थगित कर दिया गया. 29 मई को तय समय पर मुकाबला शुरू भी हुआ और गुजरात टाइटंस की पहली पारी बिना किसी बारिश की बाधा के समाप्त हो गई, लेकिन दूसरी पारी में चेन्नई सुपरकिंग्स के बल्लेबाजों ने केवल 3 गेंद ही खेली थीं कि तेज बारिश शुरू हो गई और खेल रोकना पड़ा.

बारिश की आमद 9 बजकर 50 मिनट पर हुई और आईपीएल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 10 बजकर 26 मिनट पर किया गया ट्वीट बताता है कि उस समय तक बारिश बंद हो गई थी और मैदान को बारिश से बचाने के लिए लगाए गए कवर भी हटा दिए गए थे. ईएसपीएन क्रिकइंफो के मुताबिक, 10 बजकर 07 मिनट पर पिच/मैदान को सुखाने वाले सुपर सोपर्स भी मैदान पर आ गए थे. यानी कि करीब 15-20 मिनट के बाद बारिश रुक गई थी.

अमित शाह के दावे के अनुसार तो बारिश रुकने के आधे घंटे के भीतर खेल फिर से शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन खेल शुरू हुआ 30 मई को रात 12 बजकर 10 मिनट पर. यानी कि बारिश रुकने के करीब दो घंटे बाद.

बारिश शुरू होने से खेल शुरू होने के बीच मैदान पर बारिश से निपटने के जो इंतजाम देखे गए, वे विश्व के सबसे बड़े स्टेडियम की अत्याधुनिक व्यवस्थाओं की विश्व भर में खिल्ली उड़ाए जाने के लिए पर्याप्त थे.

सबसे पहले तो बारिश शुरू होते ही दर्जनों की संख्या में ग्राउंड स्टाफ तेज हवा और बारिश से जूझते हुए तारपोलिन के कवर बाउंड्री लाइन से खींचकर पिच तक लाए. बारिश में तरबतर ग्राउंड स्टाफ जब तक पिच तक पहुंच पाता, पिच का एक बड़ा हिस्सा काफी पानी सोख चुका था. जीसीए के अधिकारी भी इस बात को स्वीकारते हैं कि तेज हवा के चलते कवर ठीक से नहीं डाले जा सके.

फिर, बारिश रुकने के बाद उस हिस्से को सुखाने के लिए स्पंज और प्लास्टिक की बाल्टी का सहारा लिया गया.

यह सब देखकर सोशल मीडिया पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर यह कहकर निशाना साधा जाने लगा कि दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड के पास बारिश से निपटने तक के इंतजाम नहीं हैं. साथ ही, अमित शाह के उपरोक्त दावे पर भी लोगों ने सवाल खड़े किए.

इंग्लैंड के मैदानों पर अमूमन इस्तेमाल होने वाले होवर कवर का भी उदाहरण दिया गया, जो केवल दो लोगों द्वारा खींचकर बेहद ही कम समय में पिच तक पहुंचाए जा सकते हैं और वह ऐसी स्थिति से बचा सकते हैं जो नरेंद्र मोदी स्टेडियम में बनी.

अमित शाह का दावा ‘चुनावी जुमला’ तो नहीं!

अमित शाह ने किसी ‘चुनावी जुमले’ की तरह उक्त दावा कर दिया हो, ऐसा भी नहीं है क्योंकि स्टेडियम का निर्माण होने के बाद समान शब्द जीसीए के संयुक्त सचिव अनिल पटेल ने भी कहे थे. उन्होंने कहा था, ‘अत्याधुनिक जल निकासी प्रणाली भारी बारिश की स्थिति में मैदान को जल्दी सुखाने में मदद करेगी.’

पटेल ने कहा था, ‘घास के नीचे रेत का इस्तेमाल किया गया है. यह एक अत्याधुनिक जल निकासी प्रणाली के साथ अन्य नियमित मैदानों की तुलना में बारिश के पानी को बहुत जल्दी निकाल देगा. मैच के दौरान 8 सेंटीमीटर बारिश होने पर भी पानी बहुत तेजी से निकल जाएगा. इससे बारिश के कारण मैच रद्द होने की संभावना कम हो जाती है.’ साथ ही, उन्होंने बताया था कि 2 करोड़ रुपये के उपकरण सिर्फ मैदान के रखरखाव के लिए खरीदे गए हैं.

वो बात अलग है कि शायद उन उपकरणों में बारिश से निपटने संबंधी उपकरण शामिल नहीं रहे होंगे, इसलिए पिच सुखाने के लिए स्पंज और पेंट की पुरानी बाल्टियों की ‘जुगाड़ तकनीक’ अपनाई गई.

खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने भी स्टेडियम के उद्घाटन के समय कहा था, ’63 एकड़ में फैले स्टेडियम में छह लाल और पांच काली मिट्टी की ग्यारह पिचें तैयार की गई हैं. मुख्य और अभ्यास पिचों के लिए दो रंगों की मिट्टी का उपयोग करने वाला यह पहला स्टेडियम है. अगर बारिश होती है तो पिच को सिर्फ 30 मिनट में सुखाया जा सकता है.’

अगर यह भी मानकर चलें कि मैदान ‘मैच के दौरान होने वाली अधिकतम 8 सेंटीमीटर बारिश’ के पानी की ही निकासी कर सकता है, तो भी 29 मई को हुई 15-20 मिनट की बारिश में इतना पानी गिरना असंभव था क्योंकि 8 सेंटीमीटर बारिश तो 28 मई को भी नहीं हुई थी जिस दिन आईपीएल फाइनल मुकाबला नहीं खेला जा सका था.

मौसम विभाग के मुताबिक 28 मई को अहमदाबाद में शाम 6 बजे से रात 10 बजे के बीच यानी चार घंटों में 3 इंच मतलब 7.6 सेंटीमीटर बारिश हुई थी.

अत्याधुनिक स्टेडियम में बारिश से निपटने की पुरातन तकनीक

यह बात एकदम सही है कि आजकल क्रिकेट मैदान के निर्माण में जल निकासी के लिए आधुनिक तकनीकों का निर्माण हो रहा है. लेकिन, ऐसा नहीं कि नरेंद्र मोदी स्टेडियम इकलौता है जहां ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो, बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भी एक ऐसी ही प्रणाली से जल निकासी की व्यवस्था की गई है.

लेकिन, मैदान (आउटफील्ड) से जल निकासी होना और बारिश से पिच का खेलने लायक न रहना दो अलग बातें हैं. नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आउटफील्ड पर जल निकासी प्रणाली ने भले ही शायद अपना काम बखूबी किया हो लेकिन अत्यानुधिकता के दावों के बीच पिच ढंकने व सुखाने के लिए आधुनिक साधनों का न होना और उनके स्थान पर पारंपरिक तालपोलिन के कवर इस्तेमाल करना या पिच खेलने लायक बनाने के लिए स्पंज का सहारा लेना, अत्याधुनिकता के दावों पर कई सवाल खड़े करता है.

सवाल तो यह भी है कि मंत्रालय के दावे के मुताबिक पिच 30 मिनट में क्यों नहीं सूखी?

यदि होवर कवर को छोड़ भी दें, तो विश्व के अन्य देशों में बारिश की स्थिति में कवर पिच तक पहुंचाने के लिए कैरियर ह्वीकल (कवर ले जाने वाले वाहन) का इस्तेमाल होता है. भारत के भी कई स्टेडियम में ये मौजूद हैं. लेकिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम में वह भी नहीं थे, जबकि स्टेडियम के उद्घाटन के समय तत्कालीन केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू कहते नजर आ रहे थे, ‘यह दुनिया के आधुनिकतम स्टेडियम में से एक है.’

दुनिया की अगर बात भी न करें तो होवर कवर बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी स्टुअर्ट कैनवास के मुताबिक, भारत में ही पुणे स्थित महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के स्टेडियम में उनके बनाए होवर कवर का इस्तेमाल होता है.

‘मोदी के सपनों का स्टेडियम’ बनाते समय दुनिया भर के स्टेडियम से तुलना करने से बेहतर अपने ही देश के किसी स्टेडियम में इस्तेमाल हो रही आधुनिक तकनीक पर शोध कर लिया होता तो अत्याधुनिकता के इतने बड़े-बड़े दावे करने से बचा जा सकता था.

साथ ही, यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि पूरे स्टेडियम का निर्माण अमित शाह और उनके बेटे जय शाह (बीसीसीआई के वर्तमान सचिव) की ही निगरानी में हुआ था, क्योंकि मोदी द्वारा जीसीए के अध्यक्ष का पद छोड़े जाने के बाद अमित शाह ही जीसीए के अध्यक्ष बने थे और जय शाह सचिव थे. इसलिए देश भर में जिसे दुनिया का सबसे बड़ा और आधुनिकतम स्टेडियम बताकर प्रस्तुत किया गया था, वहां ऐसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव की बात शायद ही उनसे छिपी हो.

या फिर प्रधानमंत्री मोदी के ‘सपनों का स्टेडियम’ ऐसा ही था? चांद में दाग की तरह उन्होंने यहां भी कुछ दाग छोड़ दिए होंगे, ताकि नज़र न लगे! या फिर ‘देश के विकास के वादों’ के साथ ही ‘खेल के विकास के दावों’ के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है? लगता तो ऐसा ही है.

रियो ओलंपिक में 15-20 पदक जीतने के दावों से लेकर खेलों के माध्यम से देश को फिट बनाने के ‘फिट इंडिया‘ अभियान तक और पदक विजेता पहलवानों को देश का गर्व व महिला पहलवानों को देश की बेटी बताने के बावजूद उनके द्वारा भाजपा सांसद पर लगाए गए यौन शोषण के आरोपों पर कोई कार्रवाई न करते हुए चुप्पी साधने तक, खेलों को बढ़ावा देने के दावों के साथ खिलवाड़ ही तो हो रहा है.

वैसे, दोष तो बरसात को भी दिया जा रहा है कि अहमदाबाद में कभी इतनी बारिश नहीं होती और कहा जा रहा है कि ‘कुदरत के आगे तो कुछ कर नहीं सकते.’

हां, सारा दोष कुदरत का ही है. कभी कुदरत गुजरात के अहमदाबाद में 800 करोड़ की लागत से बने ‘प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के स्टेडियम’ के ख़िलाफ़ साजिश करती है तो कभी मध्य प्रदेश के उज्जैन में उनके द्वारा उद्घाटित 800 करोड़ की लागत वाले ‘महाकाल लोक‘ की प्रतिमाओं को तोड़-फोड़कर औंधे मुंह पटक देती है.

नरेंद्र मोदी स्टेडियम. (फोटो साभार: गुजरात क्रिकेट संघ)

पहले भी बीसीसीआई की व्यवस्थाओं पर उठे हैं सवाल

वैसे, आलोचना बीसीसीआई के इंतजामात की भी होनी चाहिए क्योंकि यह पहली बार नहीं है कि जब एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच के आयोजन में मैदान सुखाने के लिए ऐसे घिसे-पिटे तरीके आजमाए गए हों.  5 जनवरी 2020 को गुवाहाटी में भारत और श्रीलंका के बीच टी-20 मैच खेला जाना था, जो बारिश के चलते रद्द हो गया था.

उस मैच के दौरान भी मैदान को सुखाने के लिए विश्व के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड द्वारा किए जा रहे आयोजन में बालों को सुखाने के लिए इस्तेमाल होने वाले हेयर ड्रायर और क्लॉथ आयरन (कपड़ों पर करने वाली प्रेस) से मैदान सुखाया जा रहा था. उस समय जाने-माने कमेंटेटर हर्षा भोगले ने ट्विटर पर लिखा था, ‘उम्मीद है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा.’

यहां बताना मौजूं होगा कि 5 जनवरी 2020 की उन्हीं तस्वीरों को सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी स्टेडियम की तस्वीरें बताकर शेयर किया जा रहा है.

बहरहाल, नरेंद्र मोदी स्टेडियम के उद्घाटन के समय इसकी तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए अमित शाह ने कहा था, ‘स्टेडियम में जिस प्रकार का हाईटेक मीडिया रूम बनाया है, मुझे कहने में कोई झिझक नहीं है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे हाईटेक मीडिया रूम है जो यहां खेलने वाले हर खेल को दुनिया तक पहुंचाने का काम करेगा.’

कम से कम यह बात तो अमित शाह ने बिल्कुल ठीक कही थी, तभी तो स्पंज से मैदान सुखाने की जो तस्वीरें छिपाई जानी चाहिए थीं, वे सार्वजनिक हो गईं.