भारतीय रेलवे की एक प्रमुख उत्पादन इकाई कपूरथला रेल कोच फैक्टरी ने 2022-23 में 32 वंदे भारत ट्रेनों के लक्ष्य को पूरा करने में विफलता के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी और बिजली के घटकों की आपूर्ति में कमी को ज़िम्मेदार ठहराया.
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे की एक प्रमुख उत्पादन इकाई कपूरथला रेल कोच फैक्टरी 2022-23 में एक भी वंदे भारत ट्रेन को डिलीवर करने में विफल रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने कुछ दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि कोच फैक्टरी ने 2022-23 में 32 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लक्ष्य को पूरा करने में विफलता के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी और बिजली के घटकों की आपूर्ति में कमी को जिम्मेदार ठहराया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदे भारत ट्रेनों के उत्पादन के अपने लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के अलावा यह फैक्टरी सभी प्रकार के कोचों का उत्पादन करने में भी विफल रही.
पीटीआई के हाथ लगे एक दस्तावेज के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक 1,885 के लक्ष्य के मुकाबले फैक्टरी ने 1,478 कोचों का निर्माण किया.
इतना ही नहीं यह फैक्टरी 3एचपी मेमू (3HP MEMU) ट्रेनों के निर्माण को लेकर दिए गए अपने लक्ष्य से भी पीछे रही. इसने मार्च 2023 तक 256 के लक्ष्य के मुकाबले 153 ऐसी ट्रेनों का निर्माण किया. साथ ही इसने 1,520 के लक्ष्य के मुकाबले 1,325 एलएचबी कोचों का निर्माण किया.
अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि फैक्टरी में वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन सितंबर 2024 तक शुरू होने की संभावना है.
रेलवे बोर्ड ने 2023-24 के लिए कपूरथला रेल कोच फैक्टरी को 64 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का लक्ष्य दिया है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि रेल कोच फैक्टरी ने अभी तक वंदे भारत ट्रेनों के डिजाइन को मंजूरी नहीं दी है. ट्रेनों को फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय रोलिंग स्टॉक निर्माता एल्सटॉम (Alstom) द्वारा डिजाइन किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, 92 डिजाइनों में से केवल चार को ही मंजूरी मिली है.
हालांकि, रेल कारखाने ने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से उत्पादन दर प्रभावित हुई है, जिसके कारण बर्थ, 60 केवीए ट्रांसफार्मर, स्विच बोर्ड कैबिनेट और शेल घटकों/सब-असेंबली जैसी व्यापारिक वस्तुओं की आपूर्ति में कमी आई है.
दस्तावेजों में कहा गया है, ‘मई से सितंबर 2022 तक पहियों की आपूर्ति में गंभीर कमी थी, जिससे उत्पादन में कमी आई. इस कारण 87 कोचों के उत्पादन का नुकसान हुआ. बीएचईएल (BHEL) द्वारा बिजली के उपकरणों की आपूर्ति में देरी के परिणामस्वरूप मेमू रेकों के उत्पादन में कमी आई. वीबी ट्रेनसेट कोचों में देरी हुई, क्योंकि रेल कोच फैक्टरी को मैसर्स मेधा से बिजली के उपकरण नहीं मिले.’
फिलहाल 15 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें देश के अलग-अलग शहरों के बीच चलाई जा रही हैं. ये विश्व स्तर की यात्री सुविधाओं से लैस भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें हैं. ये ट्रेनें यात्रा के समय को 25 प्रतिशत से 45 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं.
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