हरियाणा भाजपा के नेताओं ने स्वीकार किया कि पहलवानों के विरोध पर पार्टी चुप्पी साधे हुए है

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पिछले एक महीने से दिल्ली में जारी पहलवानों के विरोध को किसान संघों, खाप पंचायतों के अलावा कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला है. वहीं हरियाणा भाजपा के तमाम नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कई पहलवान इसी राज्य से आते हैं.

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जंतर मंतर पर धरने पर बैठीं विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और साक्षी मलिक. (फोटो साभार: ट्विटर/@Phogat_Vinesh)

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पिछले एक महीने से दिल्ली में जारी पहलवानों के विरोध को किसान संघों, खाप पंचायतों के अलावा कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला है. वहीं हरियाणा भाजपा के तमाम नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कई पहलवान इसी राज्य से आते हैं.

जंतर मंतर पर धरने पर बैठीं विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और साक्षी मलिक. (फोटो साभार: ट्विटर/@Phogat_Vinesh)

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व सरकार के साथ पहलवानों का गतिरोध लगातार बढ़ने के साथ ही गति पकड़ रहा है. इसे देखते हुए अगले साल होने वाले लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में हरियाणा भाजपा के भीतर बेचैनी बढ़ रही है.

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पिछले एक महीने से दिल्ली के जंतर मंतर पर जारी पहलवानों के विरोध प्रदर्शनों से हरियाणा के अधिकांश नेताओं ने दूरी बना रखी है. कुछ बोल रहे हैं, लेकिन बहुत ही सोच समझकर.

पहलवानों को राज्य के मजबूत किसान संघों का पूरा समर्थन मिला है. केंद्र द्वारा रद्द किए गए विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर किसान संघों के बीच पहले से ही गुस्सा है. वहीं हरियाणा भाजपा के तमाम नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कई पहलवान इसी राज्य से आते हैं.

भाजपा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के जनसंवाद कार्यक्रमों में विरोध और व्यवधान का सामना करने से पहले से ही घबराई हुई है. कुछ मौकों पर खट्टर अपना आपा भी खो बैठे थे.

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया हरियाणा के ही मूल निवासी हैं. मलिक रोहतक के मोखरा गांव, विनेश चरखी दादरी और पुनिया झज्जर के खुदन गांव के रहने वाले हैं.

इस बीच पहलवानों के विरोध में विपक्षी कांग्रेस को भी सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ मौका मिल गया है. ज्यादातर पहलवान जाट समुदाय के हैं और कांग्रेस का उनमें मजबूत जनाधार है. पहलवानों को जाट-केंद्रित पार्टी इनेलो और आम आदमी पार्टी का भी समर्थन प्राप्त है.

पहलवानों के समर्थन की इन बढ़ती आवाजों और बृजभूषण शरण सिंह पर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद हरियाणा भाजपा नेतृत्व इस मामले को लेकर खुलकर सामने नहीं आई है.

कुछ अपवादों की बात करें तो राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने पहलवानों की मांगों को ‘पार्टी के भीतर शीर्ष स्तर’ तक पहुंचाने की पेशकश कर चुके हैं, हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा है कि वह ‘पहलवानों के दर्द और लाचारी को महसूस करते हैं’, और उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह जंतर-मंतर पहलवानों से मुलाकात कर चुके हैं.

इस महीने की शुरुआत में पहलवानों ने मामले में मुख्यमंत्री खट्टर से समर्थन और हस्तक्षेप की मांग की थी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया था, ‘मामला हरियाणा का नहीं, खिलाड़ियों की टीमों और केंद्र सरकार का है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया है. मामले की जांच की जाएगी.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने उठाया था और उनसे कहा था कि ‘इससे पार्टी की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचेगी’.

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पार्टी प्रमुख से दो बार मिला. दोनों बार मैंने उनसे कहा कि पार्टी को इसे एक राज्य के पहलवानों से जुड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. यह गंभीर चिंता का विषय है और पार्टी की साख दांव पर है. मैंने उनसे (नड्डा) हस्तक्षेप करने, खेल मंत्रालय या जो भी जल्द से जल्द इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर सकता है, से बात करने का अनुरोध किया था. मैंने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, इसलिए हमें इस पर काम करना चाहिए.’

सिंह ने आगे कहा, ‘मैंने पार्टी अध्यक्ष से यह भी कहा कि भले ही यह माना जाए कि वे (पहलवान) किसी राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रहे हैं या किसी के द्वारा उकसाए गए हैं, लेकिन उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए. वे एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं, जिसका समाधान किया जाना चाहिए.’

उन्होंने खेल संघों के नियंत्रण को लेकर भी सवाल उठाए.

उन्होंने कहा, ‘समस्या राजनेताओं, विशेष रूप से सत्ता में रहने वालों के साथ-साथ उद्योगपतियों और ऐसे संघों को चलाने वाले नौकरशाहों के साथ है. सरकार को खेल संघों को चलाने के तरीके में सुधार करना चाहिए.’

पहलवानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि उन्होंने इसे केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने उठाया था.

उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बात पर जोर दिया कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाली हमारी बेटियां हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए. तब मंत्री ने कहा कि उन्हें निश्चित रूप से न्याय मिलेगा.’

भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि यह मामला हरियाणा से संबंधित नहीं है, लेकिन यही मुद्दा यह है… भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और मुख्यमंत्री इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल सकते हैं.’

एक अन्य भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि इस मामले पर पार्टी की चुप्पी का उलटा असर हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे ऊपर पार्टी की नीतियों से निपटने की जरूरत है. न केवल अपने मन की बात कहने का साहस होना चाहिए, बल्कि जमीनी हकीकत को सुनने और समझने का भी साहस होना चाहिए. विरोध के पीछे कारण जो भी हो, तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने में देरी से जमीनी धारणा बदल जाएगी.’