बीते 28 मई को उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर जाने के लिए बनाए गए महाकाल लोक कॉरिडोर में स्थापित सप्तऋषि मूर्तियों में से छह तेज़ हवाओं के साथ गिर गई थीं. लोकायुक्त ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. कांग्रेस इसके निर्माण में अनियमितता का आरोप लगा रही है.
भोपाल: मध्य प्रदेश के लोकायुक्त ने हाल ही में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर जाने के लिए बनाए गए महाकाल लोक कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में स्थापित छह मूर्तियों को तेज हवाओं के कारण पहुंचे नुकसान का स्वत: संज्ञान लिया है और जांच का आदेश दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लोकायुक्त के एक अधिकारी ने बीते बृहस्पतिवार को कहा कि जस्टिस एनके गुप्ता ने जांच का आदेश दिया है. जल्द ही एक टीम घटनास्थल पर भेजी जाएगी और प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
अधिकारियों ने कहा कि टीम को प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री, निर्माण कंपनी की जिम्मेदारी और क्या उसने मूर्तियों के निर्माण के लिए घटिया सामग्री का उपयोग किया है, की जांच करने का काम सौंपा जाएगा.
महाकाल लोक कॉरिडोर परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में किया था. परियोजना की कुल लागत 856 करोड़ रुपये है, जिसमें पहले चरण की लागत 351 करोड़ रुपये है.
अखबार के मुताबिक, उज्जैन के जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने मीडिया को बताया कि मूर्तियां एफआरपी (फाइबर रिइंफोर्स्ड पॉलीमर) से बनी हैं.
उन्होंने कहा, ‘मूर्तियों को एक आसन पर रखा गया था और उन्हें (सहारा देने के लिए) सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था, क्योंकि इससे प्रतिमाओं के सौंदर्यीकरण में बाधा उत्पन्न होती. तीन दिनों में हम उन्हें बदल देंगे. मुख्य उद्देश्य उन्हें समय के साथ पत्थर की मूर्तियों में बदलना है.’
इसी बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नंदी द्वार (महाकाल लोक परिसर में) पर रखा कलश भी गिर गया, उस समय वहां से लोग गुजर रहे थे, जो बाल बाल बच गए.
विपक्षी दल ने नुकसान को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला और कहा कि, ‘शिवराज शर्म करो. आपने तो भगवान को भी लूट लिया.’
पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर मामले की जांच किए बिना क्लीनचिट जारी करने का आरोप लगाया.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘भगवान महाकाल समस्त हिंदू समाज की आस्था का केंद्र हैं. जिस तरह से महाकाल लोक में सप्तऋषि की मूर्तियां गिरी और अब अन्य देव प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचने के समाचार भी सामने आ रहे हैं, ऐसे में शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह मामले की लीपापोती करने का नजर आ रहा है. मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने के बजाय शिवराज सरकार के मंत्री बिना जांच के ही अपनी सरकार को क्लीनचिट दे रहे हैं.’
भगवान महाकाल समस्त हिंदू समाज की आस्था का केंद्र हैं। जिस तरह से महाकाल लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियां गिरी और अब अन्य देव प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचने के समाचार भी सामने आ रहे हैं, वैसे में शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह मामले की लीपापोती करने का नजर आ रहा है।
मामले की स्वतंत्र और…— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) June 1, 2023
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि महाकाल लोक घोटाले की जांच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए. अगर सरकार कांग्रेस की यह मांग स्वीकार नहीं करती तो जनता में स्पष्ट संदेश जाएगा कि शिवराज सरकार की मानसिकता हिंदुओं की आस्था पर चोट करने की और घोटालेबाजों को पूर्ण संरक्षण देने की है.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भाजपा पिछली कांग्रेस सरकारों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रही है, जिसमें कमलनाथ के नेतृत्व वाली अल्पकालिक सरकार भी शामिल है, क्योंकि यह परियोजना लंबे समय से चल रही थी.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस से भ्रष्टाचार के सबूत पेश करने के लिए कहा और आरोप लगाया है कि मूर्तियों से संबंधित निर्णय कांग्रेस के शासन के दौरान लिया गया था.
उन्होंने कहा कि सात मार्च 2019 को 7.75 करोड़ रुपये लागत की 100 एफआरपी मूर्तियों का कार्यादेश (Work Order) जारी किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी द्वारा परियोजना का उद्घाटन करने के ठीक एक हफ्ते बाद उज्जैन के कांग्रेस विधायक महेश परमार ने इसके निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से संपर्क किया था, जिसके बाद 15 अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए थे.
परमार का कहना है कि अधिकारियों ने गुजरात स्थित मेसर्स एमपी बाबरिया को टेंडर देने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रक्रिया में कम कीमतों वाली निविदाओं की अनदेखी की गई, ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन में बदलाव पर सहमति जताई गई और पर्याप्त सत्यापन के बिना ‘अनुचित चालान’ को मंजूरी दी गई.
कांग्रेस विधायक का आरोप है कि नोटिस जारी होने के बाद ‘मामला आगे नहीं बढ़ा क्योंकि राज्य सरकार ने दबाव बनाया था’. उन्होंने कहा, ‘अगर मेरी शिकायत पर कार्रवाई कर दोषी अधिकारियों की जांच की जाती तो यह घटना नहीं होती.’
रिपोर्ट के अनुसार, महाकाल लोक कॉरिडोर, जिसे देश में सबसे लंबा कॉरिडोर कहा जाता है, पुरानी रुद्रसागर झील से होकर गुजरता है, जिसे देश के 12 ‘ज्योतिर्लिंगों’ में से एक महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में पुनर्जीवित किया गया है.
900 मीटर से अधिक लंबे इस कॉरिडोर में जटिल नक्काशीदार सैंडस्टोन से बने लगभग 108 अलंकृत स्तंभ हैं, जो भगवान शिव के नृत्य के एक रूप ‘आनंद तांडव’ और भगवान शिव और देवी शक्ति की 200 मूर्तियों और भित्ति चित्रों को दर्शाते हैं.