नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसके एक भित्तिचित्र की एक तस्वीर ट्वीट कर इसे कथित रूप से ‘अखंड भारत’ बताया था. इसका विरोध करते हुए नेपाल में प्रदर्शन किए गए हैं. पाकिस्तान ने भी इस पर आपत्ति जताई है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन में बने भारतीय उपमहाद्वीप के भूभाग से संबंधित भित्तिचित्र (Mural) को लेकर नेपाल में विवाद छिड़ गया है. इसकी व्याख्या ‘अखंड भारत’ के मानचित्र के रूप में की जा रही है.
नेपाल के कई नेताओं ने इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. यहां इसके विरोध में प्रदर्शन भी हुए हैं.
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार (2 जून) को कहा कि नई संसद में बना भित्तिचित्र अशोक के साम्राज्य की सीमा के बारे में है. हालांकि एक भारतीय मंत्री द्वारा इसे ‘अखंड भारत’ बताने पर मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भित्तिचित्र की एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिसका शीर्षक था, ‘संकल्प स्पष्ट है – अखंड भारत’.
ಸಂಕಲ್ಪ ಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿದೆ – ಅಖಂಡ ಭಾರತ 🇮🇳#NewParliamentBuilding#MyParliamentMyPride pic.twitter.com/tkVtu3CCoh
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) May 28, 2023
नक्शा लुम्बिनी और कपिलवस्तु जैसे नेपाली शहरों को विस्तारित साम्राज्य की सीमाओं के भीतर चित्रित करता प्रतीत होता था. यह विवाद ऐसे समय उभरा है, जब नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ बुधवार (31 मई) से 4 दिवसीय भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली ने आशा व्यक्त की है कि इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘भारत जैसा देश जो खुद को एक प्राचीन, स्थापित देश के साथ लोकतंत्र के मॉडल के रूप में देखता है, वह नेपाली क्षेत्रों को अपने नक्शे में शामिल करता है और संसद में इस नक्शे को लगाता है, इसे उचित नहीं माना जा सकता है.’
नेपाल सोशलिस्ट पार्टी के नेता बाबूराम भट्टराई ने ट्वीट किया कि भारत को इस नक्शे के पीछे अपनी मंशा व्यक्त करनी चाहिए.
बीते मंगलवार (30 मई) को उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत नए संसद भवन में ‘अखंड भारत’ का विवादास्पद भित्तिचित्र नेपाल सहित पड़ोसी देशों में अनावश्यक और हानिकारक कूटनीतिक विवाद को भड़का सकता है. इसमें भारत के अधिकांश निकटतम पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को पहले से ही खराब कर रहे विश्वास की कमी को और अधिक बढ़ाने की क्षमता है. भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के लिए यह विवेकपूर्ण होगा कि वह समय रहते इस भित्ति चित्र की वास्तविक मंशा और प्रभाव को उजागर करे.’
The controversial mural of ‘Akhand Bharat’ in the recently inaugurated new Parliament building of India may stoke unnecessary and harmful diplomatic row in the neighborhood including Nepal. It has the potential of further aggravating the trust deficit already vitiating the… pic.twitter.com/dlorSZ05jn
— Baburam Bhattarai (@brb1954) May 30, 2023
इस बीच राजशाही समर्थक दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की युवा शाखा ने शुक्रवार को काठमांडू में भारतीय दूतावास के सामने इस भित्तिचित्र के खिलाफ प्रदर्शन कियात्र
रिपब्लिका अखबार में प्रकाशित एक के अनुसार, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारेबाजी. प्रदर्शनकारियों ने ‘हम अपने देश को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं’, ‘छोटे राष्ट्रों पर हावी होना/अपमान करना बंद करो’, ‘अखंड भारत का भित्तिचित्र हटाओ’, ‘भारतीय विस्तारवाद मुर्दाबाद’ और ‘कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधुरा हमारे हैं’, जैसे नारे लगाए.
The youth organization affiliated to Rastriya Prajatantra Party (RPP) has staged demonstrations in front of the Indian embassy in Kathmandu protesting against India's release of Akhanda Bharat map that includes some Nepali territories.https://t.co/1bhjCoLmNl
— República (@RepublicaNepal) June 2, 2023
इस भित्तिचित्र को लेकर बीते बृहस्पतिवार (1 जून) को नेपाल के प्रधानमंत्री की यात्रा पर विदेश मंत्रालय की मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल उठाया गया था. हालांकि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने जवाब नहीं दिया था.
साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि भित्तिचित्र का मुद्दा नेपाली नेता द्वारा नहीं उठाया गया था. उन्होंने कहा, ‘इसलिए मुझे नहीं पता कि विरोध अभी भी जारी है या नहीं. निश्चित रूप से नेपाली पक्ष ने इसे नहीं उठाया.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि भित्तिचित्र ‘अखंड भारत’ के बारे में नहीं था, बल्कि प्राचीन मौर्य साम्राज्य का विस्तार था.
बागची ने कहा, ‘भित्तिचित्र अशोक के साम्राज्य के प्रसार और जिम्मेदार और जन-उन्मुख शासन के विचार को दर्शाती है, जिसे उन्होंने अपनाया और प्रचारित किया. भित्तिचित्र और इसके सामने लगी पट्टिका यही कहती है. इसके अलावा इस बारे में मैं और कुछ नहीं कह सकता.’
उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के ट्वीट पर भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से अन्य नेताओं द्वारा दिए गए बयानों पर टिप्पणी नहीं करने जा रहा हूं.’
इस बीच पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज बलोच ने कहा कि वह भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के बयानों से ‘हैरान’ थीं, जिसमें भित्तिचित्र को ‘अखंड भारत’ से जोड़ा था.
शुक्रवार को इस्लामाबाद में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, ‘हम एक केंद्रीय मंत्री सहित कुछ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से हैरान हैं, जो भित्तिचित्र को ‘अखंड भारत’ से जोड़ रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अखंड भारत का अनावश्यक दावा एक संशोधनवादी और विस्तारवादी मानसिकता का प्रकटीकरण है, जो न केवल भारत के पड़ोसी देशों बल्कि अपने स्वयं के धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपने अधीन करना चाहता है.’
उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि सत्ताधारी दल के नेता इस थ्योरी का प्रचार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘भारतीय राजनेताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने विभाजनकारी और संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अन्य देशों के खिलाफ बयानबाजी न करें.’
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