महाराष्ट्र: आंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति लाने वाले युवक की ‘उच्च’ जाति के लोगों ने हत्या की

महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िले के बोंदर हवेली गांव में रहने वाले आंबेडकरवादी युवक अक्षय भालेराव ने गांव में बीते 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती मनाने के लिए ग्रामीणों को पुलिस से अनुमति दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिससे गांव का बहुसंख्यक मराठा समुदाय उनसे चिढ़ा हुआ था.

/
अक्षय भालेराव. (फोटो साभार: ट्विटर)

महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िले के बोंदर हवेली गांव में रहने वाले आंबेडकरवादी युवक अक्षय भालेराव ने गांव में बीते 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती मनाने के लिए पुलिस से अनुमति दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिससे कथित तौर पर गांव का बहुसंख्यक मराठा समुदाय नाराज़ था.

अक्षय भालेराव. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबई: अजय (सुरक्षा कारणों से परिवर्तित नाम) उस समय बौद्ध कॉलोनी के सामुदायिक जल आपूर्ति स्टेशन पर थे, जब उन्होंने मराठा समुदाय के 100 से अधिक पुरुषों को एक बारात में जाते देखा.

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के बोंदर हवेली गांव की दलित बस्ती के लिए गांव के मराठा पक्ष में ‘जश्न’ के किसी भी अवसर का मतलब केवल परेशानी होता है. 1 जून की शाम भी वही हुआ.

जैसे ही अजय बाल्टियां भरकर खड़े हुए. उन्होंने देखा कि मराठा युवक तलवार और खंजर लिए हुए हैं और डीजे पर कर्कश संगीत बजाते हुए उस गली से गुजरते हैं, जो गांव में दलितों और मराठों को एक-दूसरे से अलग रखने वाली एकमात्र गली है.

इस बीच किसी बात को लेकर उनका 24 वर्षीय अक्षय भालेराव और उनके भाई आकाश से झगड़ा हो गया. उन्होंने दोनों भाइयों को जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं और कुछ ही मिनटों में उन्होंने अक्षय के पेट में खंजर से कई बार कर दिए. आकाश को भी कई चोटें आईं. बीचबचाव का प्रयास करने वाली उनकी मां भी घायल हो गईं.

अजय ने द वायर को बताया कि उनमें बीच में पड़ने की हिम्मत नहीं थी. वह कहते हैं, ‘वे उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को मार देते. वे गुस्से से पागल थे.’

एक बार मराठा युवक वहां से चले गए, तो अजय ने अक्षय को एक ऑटोरिक्शा में डाला और उसे सात किलोमीटर दूर नांदेड़ शहर के एक सिविल अस्पताल में ले गए. तब तक चोटों के चलते अक्षय की मौत हो चुकी थी.

अजय और कई अन्य ग्रामीणों ने बताया कि हमला संयोग नहीं था.

कट्टर आंबेडकरवादी अक्षय ने गांव में आंबेडकर जयंती मनाने के लिए पुलिस से अनुमति दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. कई सालों से मराठा समुदाय गांव में आंबेडकर जयंती मनाने के विचार के खिलाफ रहा है.

द वायर से बात करने वाले कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने भी सवर्ण हिंदुओं का समर्थन किया और अनुमति देने से इनकार कर दिया.

अनुमति प्रक्रिया में अक्षय की मदद करने वाले नांदेड़ के वरिष्ठ आंबेडकरवादी कार्यकर्ता राहुल प्रधान ने बताया, ‘लेकिन फिर अक्षय ने इस चुनौती को स्वीकार किया और आखिरकार इस साल 14 अप्रैल को बोंदर हवेली गांव में आंबेडकर जयंती मनाई गई.’

1 जून को अक्षय और उनके परिवार पर हमला होते ही सबसे पहले गांव पहुंचने वालों में प्रधान भी शामिल थे.

घटना की रात पीड़ित परिवार और पड़ोसियों के साथ राहुल प्रधान. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

प्रधान का कहना है कि मराठा समुदाय अक्षय को सबक सिखाने का इंतजार कर रहा था और यह बात आकाश भी जानता था. प्रधान कहते हैं, ‘अक्षय ने सुनिश्चित किया था कि गांव का दलित समुदाय अपने अधिकार का प्रयोग कर सके, लेकिन इसमें उसे अपनी जान गंवानी पड़ी.’

प्रधान आगे कहते हैं कि हालांकि घटना (1 जून) शाम 7:30 बजे हुई, लेकिन पुलिस ने शिकायत तड़के 4 बजे दर्ज की.

वह कहते हैं, ‘कई अन्य युवा पैंथर कार्यकर्ताओं के साथ मैं यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस थाने में मौजूद था कि पुलिस कोई गड़बड़ न करे. पूरी रात हमने देखा कि पुलिस नेताओं और क्षेत्र के शक्तिशाली मराठाओं के आ रहे फोन का जवाब देती रही.’

पुलिस ने अंतत: 9 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की. पुलिस ने पुष्टि की है कि उनमें से सात को गिरफ्तार करके 9 जून तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.

पुलिस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत 16 अलग-अलग आरोप लगाए हैं. सभी धाराएं लगभग गैर-जमानती हैं.

घटनास्थल पर मौजूद पुलिस. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

लगभग 800 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में 300 लोग दलित समुदाय से हैं, बाकी सभी मराठा हैं. अधिकांश दलित परिवार भूमिहीन मजदूर हैं, जबकि मराठा समुदाय के पास करोड़ों रुपये की कीमत रखने वाली जमीन हैं. गांव में दुकान लगाना और गांव का शासन सभी मराठा समुदाय के नियंत्रण में है.

पीड़ितों के परिवार का कहना है कि मराठा समुदाय के कई लोग खुलेआम तलवारें और कटार लेकर घूमते हैं. अजय कहते हैं कि यह सामाजिक-आर्थिक असंतुलन गांव के दलितों पर भारी बोझ है.

2017 में दलित समुदाय के कई लोगों के साथ उन पर मराठा समुदाय के कुछ लोगों ने ने हमला किया था. पुलिस में एक मामला भी दर्ज हुआ था. लेकिन शिकायतकर्ता, जो अजय के रिश्तेदार भी हैं, को पुलिस के साथ सहयोग न करने के लिए डराया-धमकाया गया और मामले तब से ठंडे बस्ते में है.

अजय कहते है कि गांव ने जातीय अत्याचार की ऐसी कई हिंसक घटनाएं देखी हैं, फिर भी पुलिस लगातार ताकतवरों का साथ देती है.

अन्य बौद्ध आंबेडकरवादी युवकों की तरह ही अक्षय सरकारी नौकरी पाकर अपने परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के इच्छुक थे.

उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि वह राज्य पुलिस की परीक्षा की तैयारी कर रहा था. अब उनकी मौत के बाद उनके भाई आकाश को सरकारी नौकरी और परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई है. प्रधान ने यह भी मांग की है कि इस मामले पर फास्ट-ट्रैक अदालत द्वारा सुनवाई की जाए.

प्रधान कहते हैं, ‘पीड़ित का परिवार अब गांव में सुरक्षित नहीं है. हमने मामले में पीड़ित और गवाहों के लिए पूर्णकालिक पुलिस सुरक्षा की भी मांग की है.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq