प्रख्यात अभिनेत्री सुलोचना का निधन

सुलोचना ने 250 से अधिक हिंदी और लगभग 50 मराठी फिल्मों में अभिनय किया था. उनकी उम्र 94 साल थी. हिंदी सिनेमा में वह अधिकांशत: हीरो की मां की भूमिका निभाने के लिए जानी जाती थीं. साल 1999 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया था.

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अभिनेत्री सुलोचना. (फोटो साभार: ट्विटर/@juniorbachchan)

सुलोचना ने 250 से अधिक हिंदी और लगभग 50 मराठी फिल्मों में अभिनय किया था. उनकी उम्र 94 साल थी. हिंदी सिनेमा में वह अधिकांशत: हीरो की मां की भूमिका निभाने के लिए जानी जाती थीं. साल 1999 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया था.

अभिनेत्री सुलोचना. (फोटो साभार: ट्विटर/@juniorbachchan)

नई दिल्ली: 250 से अधिक हिंदी और 50 मराठी फिल्मों में अभिनय करने वाली दिग्गज अभिनेत्री सुलोचना का उम्र संबंधी समस्याओं के कारण रविवार को मुंबई में निधन हो गया. वह 94 वर्ष की थीं.

सुलोचना ने 1940 के दशक की शुरुआत में मराठी फिल्मों के साथ अपने करिअर की शुरुआत की थी. 1946 से लेकर 1961 के बीच वह ससुरवास (1946), वाहिनीच्या बंगद्या (1953), मीठ भाकर (1949), संगीत्ये आइका (1959) और धक्ति जाउ (1958) जैसी मराठी फिल्मों में मुख्य भूमिकाओं में नजर आई थीं.

हिंदी सिनेमा में वह अधिकांशत: हीरो की मां की भूमिका निभाने के लिए जानी जाती थीं. उन्होंने 1959 में आई शम्मी कपूर की फिल्म ‘दिल देके देखो’ से लेकर 1995 तक मां की भूमिकाएं निभाई थीं.

उन्होंने और निरूपा रॉय ने 1959 से 1990 के दशक की शुरुआत तक हीरो की ‘मां’ की भूमिकाओं को सिनेमा के पर्दे पर ​जीवंत किया था.

दिलीप कुमार की आदमी (1968) और देव आनंद की जॉनी मेरा नाम (1970) जैसी फिल्मों में भी उन्होंने मां की भूमिका अदा की थी.

इसके अलावा सरस्वतीचंद्र (1968) में नूतन, मजबूर (1974) में अमिताभ बच्चन, मुकद्दर का सिकंदर (1978) में विनोद खन्ना, आशा (1980) में जीतेंद्र और अंदर बाहर (1984) नाम की फिल्म में जैकी श्रॉफ की मां की भूमिका निभाई थी.

सुलोचना ने देव आनंद अभिनीत कई फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें जब प्यार किसी से होता है (1968), दुनिया (1968), अमीर गरीब (1974) और वॉरंट (1975) शामिल हैं. इन फिल्मों में उन्होंने या तो उनकी मां या रिश्तेदार की भूमिका निभाई थी.

वह राजेश खन्ना के साथ भी कई फिल्मों में नजर आई थीं. उन्होंने बहारों के सपने (1967), कटी पतंग (1970), मेरे जीवन साथी (1972), दिल दौलत दुनिया (1972), प्रेम नगर (1974), आशिक हूं बहारों का (1977) और अधिकार (1986) जैसी कुछ फिल्मों में राजेश खन्ना के साथ अभिनय किया था.

सुलोचना अब दिल्ली दूर नहीं (1957), बंदिनी (1963), आई मिलन की बेला (1964), जौहर महमूद इन गोवा (1965), नई रोशनी (1967), कोरा कागज (1974), आजाद (1978), हिम्मतवाला (1983), गुलामी (1985), काला धंधा गोरे लोग (1986) और खून भरी मांग (1988) जैसी हिंदी फिल्मों में भी थीं.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उनकी बेटी कंचन घनेकर ने उनकी मौत की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं और सांस लेने में कठिनाई थी. आज (रविवार) शाम 6 बजे उनका निधन हो गया.’

परिवार के एक बयान के अनुसार, उनके ‘अंतिम दर्शन’ शहर में उनके प्रभादेवी आवास पर होंगे. उनका अंतिम संस्कार सोमवार को शाम 5:30 बजे शिवाजी पार्क श्मशान घाट में किया जाएगा.

साल 1999 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. 2004 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और 2009 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.