यूपी: कांग्रेस नेता की हत्या मामले में मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा

3 अगस्त, 1991 को वाराणसी में कांग्रेस नेता अवधेश राय की उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस संबंध में मुख़्तार अंसारी व अन्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. 2005 से जेल में बंद अंसारी को बीते अप्रैल में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में भी दोषी ठहराया गया था.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: www.thebhojpuri.com)

3 अगस्त, 1991 को वाराणसी में कांग्रेस नेता अवधेश राय की उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस संबंध में मुख़्तार अंसारी व अन्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. 2005 से जेल में बंद अंसारी को बीते अप्रैल में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में भी दोषी ठहराया गया था.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: www.thebhojpuri.com)

लखनऊ: वाराणसी की एक अदालत ने 30 साल से अधिक पुराने कांग्रेस नेता अवधेश राय की हत्या के मामले में गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी को सोमवार को दोषी करार दिया.

कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की 3 अगस्त, 1991 को उनके लहुराबीर आवास के गेट पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले में मुख्तार अंसारी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

द टेलीग्राफ के मुताबिक, एक वकील ने वाराणसी में संवाददाताओं को बताया, ‘मुख्तार को 1991 के अवधेश राय हत्या मामले में दोषी ठहराया गया है.’

वाराणसी की एमपी-एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम ने मामले में अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय राय ने कहा, ‘यह हमारे कई सालों के इंतजार का अंत है. मैंने, मेरे माता-पिता, अवधेश की बेटी और पूरे परिवार ने सब्र रखा… सरकारें आईं और गईं और मुख्तार ने खुद को मजबूत किया. लेकिन हमने हार नहीं मानी. हमारे वकीलों के प्रयासों के कारण आज अदालत ने मुख्तार को मेरे भाई की हत्या के मामले में दोषी ठहराया है.’

ज्ञात हो कि 3 अगस्त, 1991 की रात करीब 1 बजे कांग्रेस नेता अजय राय और उनके भाई वाराणसी में अपने घर के गेट पर खड़े थे, तभी अंसारी समेत कुछ हमलावर वहां एक कार में आए और अवधेश को गोली मार दी.

अजय राय ने जवाबी कार्रवाई में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से गोली चला दी, जिसके बाद हमलावर कार छोड़कर फरार हो गए थे. अवधेश को कबीरचौरा के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.

मऊ सदर सीट से पांच बार के विधायक अंसारी ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और यह सीट उनके बेटे अब्बास अंसारी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीती, जिसने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था.

ज्ञात हो कि गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर मुख्तार के खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं और वे 2005 से जेल में हैं, जब उन्होंने मऊ में एक सांप्रदायिक दंगे, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी, के केस में आत्मसमर्पण किया था.

मुख्तार ने मऊ सदर सीट का पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) प्रतिनिधित्व किया है.

बीते दिनों गाजीपुर की एक एमपी/एमएलए अदालत ने अंसारी और उनके बड़े भाई सांसद अफ़ज़ल को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी.