ज्ञानवापी मामले के मुख्य पक्षकार केस वापस लेंगे, संसाधनों की कमी और उत्पीड़न का हवाला दिया

अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग की थी. अब जितेंद्र ने घोषणा की है कि वे और उनका परिवार ज्ञानवापी मामले से जुड़े सभी केस वापस ले रहे हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग की थी. अब जितेंद्र ने घोषणा की है कि वे और उनका परिवार ज्ञानवापी मामले से जुड़े सभी केस वापस ले रहे हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: हिंदू संगठन ‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने घोषणा की है कि वह और उनका परिवार वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित सभी मामलों को वापस ले रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने ‘संसाधनों की कमी’ और विभिन्न तबकों द्वारा कथित ‘उत्पीड़न’ का हवाला दिया है.

गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.

राखी सिंह विसेन की भतीजी हैं और सिंह उनकी ओर से ‘मुख्य पक्षकार’ हैं.

दैनिक भास्कर के अनुसार, बीते शनिवार को जारी एक बयान में विसेन ने कहा, ‘मेरा परिवार उन सभी मुकदमों से अपने आप को हटा रहा है, जो मुकदमे देश और धर्म के हित में हमारे परिवार द्वारा विभिन्न न्यायालयों में दायर किए गए थे. इन सभी मुकदमों को डालने के बाद मैं और मेरा परिवार हर तरह से विधर्मियों और हिंदू द्वारा प्रताड़ित किए गए. इस धर्म युद्ध को लड़ते हुए अपने ही समाज द्वारा उल्टा हमें गद्दार घोषित किया जा चुका है. शासन द्वारा भी केवल हमें ही प्रताड़ित करने का काम किया गया है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘शक्ति और सामर्थ्य सीमित होने की वजह से ही इस धर्म युद्ध को बीच में ही छोड़ रहा हूं. इसे शुरू करके शायद हमने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती की थी. यह समाज धर्म के नाम पर भ्रमित करने वाले लोगों के साथ खड़ा रहता है. अपना सर्वस्व न्योछावर करके देश और समाज की रक्षा का काम करने वाला उपेक्षित और अपमानित किया जाता है. इसलिए क्षमा चाहता हूं, अब और नहीं सहा जाता है.

इसके अलावा विसेन ने वित्तीय मुश्किलों का भी हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले उन्हेंने केस लड़ने के लिए अपनी कार बेचनी पड़ी थी.

श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले के अलावा विसेन मई 2022 में उनकी पत्नी किरण सिंह द्वारा दायर मुकदमे में मुख्य याचिकाकर्ता भी हैं, जिसमें देवता आदि विश्वेश्वर विराजमान की पूजा की मांग की गई थी, जिनके मंदिर के बारे में माना जाता था कि वह आज जहां 17वीं शताब्दी की ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां है.

उधर, मामले से जुड़े अन्य वकीलों ने कहा कि विसेन ने अभी तक अदालत में अपने फैसले के संबंध में आवेदन नहीं दिया है. हिंदू पक्षकारों में से एक के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, ‘जितेंद्र ने मीडिया में मुकदमे की पैरवी से हटने का ऐलान किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके बारे में पोस्ट किया. लेकिन उन्होंने अभी तक अपने फैसले के बारे में अदालत में लिखित आवेदन जमा नहीं किया है. मामला अब भी अदालत में लंबित है.’

उनका यह भी कहना है कि जितेंद्र के केस वापस लेने से बाकी मुकदमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं में से एक एकलाक अहमद ने कहा कि (जितेंद्र की)  घोषणा की कोई कानूनी वैधता नहीं है क्योंकि उन्होंने इस संबंध में अदालत के समक्ष कोई आवेदन पेश नहीं किया है.

इससे पहले विसेन के वकील शिवम गौड़ ने विसेन परिवार की तरफ से यह मुकदमा न लड़ने की घोषणा करते हुए विसेन परिवार पर अस्पष्टवादिता और संपर्कहीनता का आरोप लगाया था.

दैनिक भास्कर से बातचीत ने गौड़ ने कहा था कि वे 2021 से से ज्ञानवापी मामले और 2022 से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में बिना कोई फीस लिए पैरवी कर रहे हैं, लेकिन अब स्थितियां बदल गईं हैं. उन्होंने ‘ख़राब बहस और संपर्कहीनता’ का हवाला देते हुए सभी मुकदमों से अपना नाम वापस लेने की बात कही थी.

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