बिहार के भागलपुर ज़िले में गंगा नदी पर बने पुल का एक हिस्सा ढह गया था. हालांकि अधिकारियों ने कहा था कि निर्माण में ख़ामियों को देखते हुए इसे योजनाबद्ध तरीके से गिराया गया है. इसके निर्माण का ठेका एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड को मिला था, जो गुजरात में पुल समेत कई निर्माण परियोजनाओं से भी जुड़ी है.
नई दिल्ली: बिहार में एक निर्माणाधीन पुल के एक साल में दो बार गिरने से बड़ी चिंता पैदा हो गई है. राज्य के भागलपुर जिले में 1760 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे अगुवानी-सुल्तानगंज गंगा पुल का एक हिस्सा रविवार (4 जून) को ढह गया. अब निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं.
गंगा नदी पर बिहार पुल का निर्माण करने वाली इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म द्वारका में सिग्नेचर ब्रिज परियोजना के अलावा गुजरात में दो अन्य परियोजनाओं की भी ठेकेदार है.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने सोमवार (5 जून) को कहा कि गुजरात में एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड की परियोजनाएं अब जांच के घेरे में हैं, जो अब पूरी होने वाली हैं.
भागलपुर में पुल निर्माण का ठेका भी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के पास है.
यही कंपनी गुजरात में बेट द्वारका द्वीप को समुद्र के पार ओखा से जोड़ने वाले 962 करोड़ रुपये के चार-लेन वाले केबल सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण कर रही है.
इस समुद्री पुल का निर्माण 2017 में शुरू हुआ था. इसकी लंबाई लगभग 2,452 मीटर है और केबल स्पैन 900 मीटर है. इसके तोरण 150 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेंगे और दो वाहनों के लेन और पैदल मार्गों को सपोर्ट देंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार की घटना के बाद कंपनी द्वारा गुजरात में बनाए गए पुलों की समीक्षा की जाएगी, गुजरात के सड़क और भवन विभाग (आर एंड बी) के सचिव एसबी वसावा ने कहा, ‘बेट द्वारका पुल पूरा होने के कगार पर है. (बिहार में) जो घटना हुई है, उसके बारे में हमें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. अगर कुछ बुरा होता है तो हम इसके बारे में सोच सकते हैं.’
पुल का निर्माण नए राष्ट्रीय राजमार्ग-51 के हिस्से के रूप में किया गया है.
रविवार की घटना को लेकर जहां इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसके खिलाफ कार्रवाई का संकल्प लिया है.
एक रिपोर्ट में 29 मार्च को गुजरात विधानसभा में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने विशेष रूप से कहा था कि सिग्नेचर ब्रिज के पास पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में निर्मित होने के बावजूद पर्यावरणीय मंजूरी नहीं थी.
एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड वडोदरा के सिनोर तालुका में नर्मदा नदी पर 180 करोड़ रुपये की लागत से एक और पुल भी बना रही है. पुल दभोई-सिनोर-मलसार-आसा सड़क का हिस्सा है, जिसके लिए आर एंड बी विभाग ने 2018 में एक निविदा जारी की थी.
वसावा ने कहा, ‘जब हम एक निविदा देते हैं, तो हम किसी भी प्रतिकूल घटनाक्रम सहित कंपनी की साख की जांच करते हैं. नर्मदा पर पुल का काम तीन साल पहले दिया गया था और तब फर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं था. नर्मदा ब्रिज का सुपरस्ट्रक्चर अब पूरा हो गया है. केवल फिनिशिंग का काम बाकी है.’
नर्मदा पर पुल की कुल लंबाई लगभग 900 मीटर है. पुलों के अलावा एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सूरत मेट्रो के पहले चरण के निर्माण के तहत 11.6 किमी एलिवेटेड वायाडक्ट और 10 मेट्रो स्टेशनों के निर्माण के लिए गुजरात मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (जीएमआरसी) द्वारा भी चुना गया है.
कंपनी सद्भाव इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ 780 करोड़ रुपये के संयुक्त उद्यम में कदर्शा नी नल (Kadarsha Ni Nal) से ड्रीम सिटी तक इस खंड का निर्माण कर रही है.
परियोजना के मेट्रो स्टेशनों में कदर्शा नी नाल, माजुरा गेट, रूपाली नहर, अल्थन टेनमेंट, अल्थान गाम, वीआईपी रोड, वूमन आईटीआई, भीमराड, कन्वेंशन सेंटर और ड्रीम सिटी शामिल हैं, जहां हीरे का कारोबार शुरू हो रहा है.
मालूम हो कि बिहार के भागलपुर जिले में बीते 4 जून की शाम को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.
बिहार सरकार के अधिकारियों ने दावा किया था कि पुल के कुछ हिस्सों को विशेषज्ञों की सलाह के तहत योजनाबद्ध तरीके से जान-बूझकर ध्वस्त किया गया है, क्योंकि इसके डिजाइन में खामियां थीं.
खगड़िया जिले के अगुवानी को भागलपुर के सुल्तानगंज से जोड़ने वाले 3.1 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था और इसके 2019 में पूरा होने की उम्मीद थी. तब से समयसीमा को चार बार बढ़ाया जा चुका है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस संबंध में कहा था कि पिछले साल 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था. हमने तब एक अध्ययन कराया था, जिसमें पता चला कि इसके निर्माण में गंभीर खामियां हैं, इसलिए पुल के कुछ हिस्सों को गिराने का फैसला किया गया.