जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार स्पष्ट रूप से हार के डर से चुनाव की बात आगे नहीं बढ़ा रही है. उन्होंने जोड़ा की चुनाव आयोग को यह कहने का साहस जुटाना चाहिए कि वे दबाव में हैं और यहां चुनाव नहीं करा सकते.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि ऐसा लगता है कि भारत का चुनाव आयोग जम्मू कश्मीर में चुनाव नहीं कराने के लिए दबाव में है और उसे लोगों को यह बताने का साहस होना चाहिए.
द टेलीग्राफ के मुताबिक, उमर ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग को यह कहने का साहस जुटाना चाहिए कि वे दबाव में हैं और यहां चुनाव नहीं करा सकते हैं. एक ओर आप कहते हैं कि एक रिक्तता है और दूसरी ओर आप उस रिक्तता को भरने के लिए तैयार नहीं हैं. कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है.’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘अगर उस समय खालीपन था तो उसे भरा क्यों नहीं जा रहा है? ऐसी कौन-सी मजबूरी, दबाव है कि वे चुनाव में देरी कर रहे हैं?’
उमर अब्दुल्ला मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मार्च के उस बयान का जिक्र कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में एक खालीपन है जिसे भरने की जरूरत है.
उमर ने कहा, ‘चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए. हम उनसे सुनना चाहते हैं. क्या मुख्य चुनाव आयुक्त ने नहीं कहा कि एक खालीपन है और इसे भरने की जरूरत है?’
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लंबे समय से होने वाले हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार स्पष्ट रूप से हार के डर से चुनावों को आगे नहीं बढ़ा रही है.
ज्ञात हो कि सूबे में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. राज्य में 2018 से कोई विधानसभा नहीं है, जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था.
पिछले महीने उमर अब्दुल्ला ने आशंका व्यक्त की थी कि कर्नाटक में भाजपा की हार ने जम्मू कश्मीर में तत्काल चुनाव के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं.
उमर ने कहा कि केंद्र चुनाव न कराकर जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकार छीन रहा है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे.
उन्होंने कहा, ‘चुनाव हमारा अधिकार है लेकिन हम इसके लिए अपने घुटनों पर नहीं जा रहे हैं. अगर वे जम्मू कश्मीर के लोगों का अधिकार छीनना चाहते हैं, अगर उन्हें इससे कुछ खुशी मिलती है, तो उन्हें करने दें. हमारे पास कुछ स्वाभिमान और गरिमा भी है.’
गौरतलब है कि अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था.
विभिन्न राजनीतिक दल, खासकर जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक दल अक्सर केंद्र सरकार से राज्य में चुनाव कराए जाने की मांग करते रहे हैं.
पिछले महीने उमर के पिता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सवाल उठाया था कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने में देरी क्यों हो रही है.
उन्होंने कहा था, ‘अगर हालात ठीक हैं तो उन्हें चुनाव कराने से क्या रोकता है. आखिरकार, हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं और इतने सालों से हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार नहीं है. हमारे पास उपराज्यपाल (एलजी) हैं, पर वे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं, यह एक नौकरशाही सरकार बनकर रह गई है.’