ओडिशा के जाजपुर क्योंझर रोड रेलवे स्टेशन पर बीते बुधवार को हुआ हादसा. एक बयान में कहा गया है कि ठेका मज़दूरों ने रेलवे स्टेशन के पास हवा और बारिश से सुरक्षा पाने के लिए वहां खड़ी एक मालगाड़ी के नीचे शरण ली थी. बिना इंजन के खड़ी मालगाड़ी आंधी के कारण लुढ़कने लगी, जिससे दुर्घटना हुई.
नई दिल्ली: ओडिशा के जाजपुर क्योंझर रोड रेलवे स्टेशन पर बीते बुधवार (7 जून) को एक मालगाड़ी की चपेट में आने से कम से कम सात मजदूरों की मौत हो गई और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया. बताया जा रहा है कि मजदूरों ने भारी बारिश से बचने के लिए मालगाड़ी के नीचे शरण ले रखी थी, जब यह हादसा हुआ.
घायलों को कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईस्ट कोस्ट रेलवे ने एक बयान में कहा, ‘रेलवे के काम के लिए एक ठेकेदार द्वारा लगाए गए ठेका मजदूरों ने जाजपुर क्योंझर रोड (स्टेशन) के पास हवा और बारिश से सुरक्षा पाने के लिए वहां खड़ी एक मालगाड़ी के नीचे शरण ली थी.’
उन्होंने कहा कि बिना इंजन के खड़ी मालगाड़ी आंधी के कारण लुढ़कने लगी, जिससे दुर्घटना हुई.
समाचार वेबसाइट मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की. उन्होंने घटना में घायलों के उचित इलाज का आश्वासन भी दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह घटना ओडिशा के बालासोर जिले में दुखद ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना के पांच दिन बाद हुई है, जिसमें 288 लोग मारे गए थे और 1,000 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.
दुर्घटना में विश्वेश्वरैया (बेंगलुरु)-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12864), शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12841) और एक मालगाड़ी शामिल थीं.
हालांकि रेलवे अधिकारियों ने हरे कपड़े से दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र को बंद कर दिया है, लेकिन पटरियों के किनारों पर बिखरे डिब्बों को अब भी आसानी से देखा जा सकता है.
बीते 2 जून को हुए हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस एक खड़ी मालगाड़ी से टकराने से पहले लूप लाइन पर मोड़ दी गई थी. टक्कर से कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे दूसरे ट्रैक पर पलट गए.
बेपटरी हुए ये डिब्बे बेंगलुरु से हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, जो विपरीत दिशा में जा रही थी, के पिछले डिब्बों से टकरा गए थे.
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना को दो दशकों में सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना करार दिया गया है. प्रारंभिक जांच में दुर्घटना के कारण के रूप में सिग्नलिंग विफलता की ओर इशारा किया गया है. सरकार ने मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी है.
इस हादसे के बाद बीते 4 जून को देर रात इस ट्रैक से ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ था, वहीं बुधवार को दोबारा अपनी सेवा शुरू करते हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस इसी रास्ते से गुजरी थी.