पुलिस के दबाव में दिया था ऑटो चालक ने नजीब को जामिया छोड़ने का बयान: सीबीआई

सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को मामले की स्थिति रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि जांच के सिलसिले में ज़ब्त जेएनयू के नौ छात्रों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.

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नजीब अहमद. (फोटो साभार: फेसबुक)

सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को मामले की स्थिति रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि जांच के सिलसिले में ज़ब्त जेएनयू के नौ छात्रों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.

नजीब अहमद. (फोटो साभार: फेसबुक)
नजीब अहमद. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद के लापता मामले की जांच में मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट सौंपी. ऐसा कहा जा रहा है कि इसमें बताया गया है कि ऑटो रिक्शा चालक अपने बयान से मुकर गया है.

ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि एक ऑटो रिक्शा चालक ने जेएनयू छात्र को जामिया मिलिया इस्लामिया छोड़ा था. सीबीआई ने इस स्थिति रिपोर्ट में इस मामले में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है.

इस रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आईएस मेहता की पीठ के समक्ष सौंपा. विस्तृत जानकारी पर खुली अदालत में चर्चा नहीं की गयी.

सीबीआई सूत्रों के अनुसार एजेंसी के अधिकारियों ने जब ऑटो रिक्शा चालक से पूछताछ की तो उसने कहा कि उसे यह बयान देने के लिए मजबूर किया गया कि उसने 27 वर्षीय नजीब अहमद को बीते वर्ष 15 अक्टूबर को जामिया मिलिया इस्लामिया छोड़ा था.

एजेंसी सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय में सीबीआई द्वारा सौंपी स्थिति रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली पुलिस के दबाव में चालक का बयान दर्ज किया गया.

सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि पिछले वर्ष जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले की जांच के सिलसिले में जब्त किए गए जेएनयू के नौ छात्रों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है.

जांच एजेंसी ने अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दायर करके इस मामले में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आईएस मेहता की एक पीठ ने कहा, ‘सीबीआई ने एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में मामले में उठाए गए कदमों के बारे में बताया गया है. अदालत नहीं सोचती कि स्थिति रिपोर्ट में जांच के संबंध में दी गयी विस्तृत जानकारी पर खुली अदालत में चर्चा करना उचित है.’

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 15 अक्टूबर को जेएनयू के माही-मांडवी हॉस्टल से एम.एससी बॉयोटेक्नोलॉजी के एक छात्र नजीब (27) लापता हो गए थे. लापता होने से पहले पिछली रात को नजीब की कुछ अन्य छात्रों के साथ हाथापाई हुई थी

इन छात्रों को कथित रूप से संघ परिवार की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबद्ध बताया गया था.

इस बीच स्थिति रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि वह रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करेंगे क्योंकि इसे सीलबंद लिफाफे में सौंपा गया है और यह मामला विचाराधीन है.

मीडिया में विषय-वस्तु के लीक होने के कारणों का हवाला देते हुए जांच एजेंसी ने रिपोर्ट की एक प्रति नजीब की मां के वकील को देने से इनकार कर दिया. एजेंसी ने अदालत के भीतर शिकायतकर्ता के वकील को उनके अध्ययन के लिए रिपोर्ट दिखाई.

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील निखिल गोयल ने कहा कि उनकी जांच जारी है और उन्होंने नजीब के लापता होने के मामले में नौ संदिग्ध छात्रों के मोबाइल फोन जब्त किये है और इन्हें फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भेजा गया है जिसे अपनी रिपोर्ट अभी देनी है.

उन्होंने कहा कि उसके कॉल रिकार्ड के बारे में भी विश्लेषण किया गया है. उन्होंने कहा कि मामला चूंकि संवेदनशील प्रकृति का है और यदि मीडिया में रिपोर्ट के संबंध में जानकारियां सामने आयीं तो अधिकारियों के लिए सूचना निकालना मुश्किल होगा.

सीबीआई के वकील ने जब अदालत से मामले की सुनवाई चैम्बर के भीतर कराए जाने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा कि इस पर सुनवाई की अगली तिथि 21 दिसंबर को विचार किया जाएगा. अदालत ने विचार किया है कि एफएसएल निष्कर्षों का इंतजार करना उचित है.

नजीब की मां की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने पूछा कि सीबीआई ने सूचना निकालने के लिए किसी को भी हिरासत में क्यों नहीं लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि एबीवीपी छात्रों द्वारा किया गया यह एक राजनीतिक अपहरण है.

नजीब के लापता होने के एक महीने बाद उसकी मां ने बीते वर्ष 25 नवंबर को उच्च न्यायालय का रुख करते हुए पुलिस को उसके बेटे का पता लगाने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया था.

नजीब के लापता होने के सात महीने बाद भी पुलिस को इस संबंध में कोई सुराग नहीं मिला जिसके बाद इस मामले को 16 मई, 2017 को सीबीआई को सौंप दिया गया.