गैंगस्टर जीवा हत्याकांड पर कपिल सिब्बल ने अमित शाह से पूछा- क्या आपको चिंता नहीं होती?

जेल में बंद गैंगस्टर-राजनेता मुख़्तार अंसारी के क़रीबी सहयोगी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बीते 7 जून को लखनऊ की एक अदालत परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. दिनदहाड़े हुई इस हत्या को लेकर विपक्ष ने उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

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गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा. (फोटो साभार: फेसबुक)

जेल में बंद गैंगस्टर-राजनेता मुख़्तार अंसारी के क़रीबी सहयोगी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बीते 7 जून को लखनऊ की एक अदालत परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. दिनदहाड़े हुई इस हत्या को लेकर विपक्ष ने उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जेल में बंद गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी के करीबी सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (48 वर्ष) की बुधवार (7 जून) को लखनऊ की एक अदालत के बाहर गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना को लेकर विपक्षी नेताओं ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

गैंगस्टर माहेश्वरी को सुनवाई में शामिल होने के लिए बुधवार को लखनऊ जिला जेल से अदालत लाया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही वह अदालत कक्ष में प्रवेश करने वाला था, वकील के कपड़ों में आए एक हमलावर ने उस पर गोलियां चला दीं. कथित तौर पर उपस्थित वकीलों ने हमलावर को पकड़ लिया. हमलावर की पहचान विजय यादव के रूप में हुई. उसे पुलिस को सौंपने से पहले उसकी पिटाई भी की गई थी.

दिनदहाड़े हुए इस हत्या पर ​विपक्ष के कई नेताओं ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं. नेताओं ने पूछा है कि पुलिस सुरक्षा में एक व्यक्ति को दिनदहाड़े अदालत के अंदर गोली कैसे मारी जा सकती है.

यह हत्या गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में मीडिया से बात करते हुए गोली मारने के लगभग दो महीने बाद हुई है. दोनों पुलिस हिरासत में थे और उन्हें मेडिकल जांच के लिए एक अस्पताल ले जाया गया था, जब बंदूकधारियों ने पत्रकारों के भेष में उन्हें करीब से गोली मार दी.

गैंगस्टर माहेश्वरी की दिनदहाड़े हुई हत्या पर सवाल उठाते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, ‘क्या यह लोकतंत्र है? सवाल यह नहीं है कि किसे मारा जा रहा है, बल्कि सवाल यह है कि वहां मारा जा रहा है, जहां सुरक्षा सबसे ज्यादा है.’

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने स्थिति के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया. उन्होंने कहा, ‘कैसे और क्यों: यूपी में (2017-2022) पुलिस हिरासत में 41 लोग मारे गए हैं. हाल ही में लखनऊ की अदालत में पुलिस की हिरासत में रहते हुए जीवा की हत्या कर दी गई. अतीक और अशरफ की भी हत्या पुलिस हिरासत में की गई थी. टिल्लू ताजपुरिया को तिहाड़ जेल में मार दिया गया था. (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित जी क्या आप चिंतित नहीं, हम हैं.’

इस बीच, जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति के लिए बृहस्पतिवार (8 जून) को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

बार एंड बेंच मुताबिक, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी और शुक्रवार को आदेश पारित करेगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, साल 2003 में सीबीआई की एक अदालत ने माहेश्वरी और पूर्व विधायक विजय सिंह को भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में सजा सुनाई थी. तब से शा​मली निवासी माहेश्वरी जेल में था.

फरवरी 1997 में फर्रुखाबाद जिले में द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी. 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था.

माहेश्वरी को कई मामलों में नामजद किया गया था, जिसमें 2005 में गाजीपुर जिले में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या भी शामिल थी, जिसमें वह मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजल अंसारी के साथ आरोपी था. साल 2019 में एक अदालत ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया, क्योंकि सभी चश्मदीद और महत्वपूर्ण गवाह मुकर गए थे.

माहेश्वरी को 24 मामलों में नामजद किया गया था. वह 17 में बरी हो चुका था. मुजफ्फरनगर, शामली, गाजीपुर, फर्रुखाबाद और हरिद्वार में दर्ज इन मुकदमों में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप शामिल हैं.