लद्दाख: शिलान्यास पट्टिकाओं पर केवल भाजपा सांसद और पार्षदों के नाम लिखे जाने पर विवाद

लद्दाख के करगिल ज़िले में भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. हालांकि, जिन निर्वाचित पार्षदों के क्षेत्र में उक्त परियोजनाएं शुरू की गईं, उनके नाम शिलान्यास पट्टिकाओं पर न देकर नज़दीकी निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा पार्षदों के नाम लिखे गए हैं.

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परियोजना का शिलान्यास करते भाजपा सांसद जामयांग नामग्याल. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

लद्दाख के करगिल ज़िले में भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. हालांकि, जिन निर्वाचित पार्षदों के क्षेत्र में उक्त परियोजनाएं शुरू की गईं, उनके नाम शिलान्यास पट्टिकाओं पर न देकर नज़दीकी निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा पार्षदों के नाम लिखे गए हैं.

परियोजना का शिलान्यास करते भाजपा सांसद जामयांग नामग्याल. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

श्रीनगर: लद्दाख में भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल द्वारा करगिल जिले में कई विकास परियोजनाओं के लिए रखी गई आधारशिला पट्टिकाओं से निर्वाचित पार्षदों- जिनके निर्वाचन क्षेत्रों में परियोजनाएं बनाई जा रही हैं- के नाम गायब होने के बाद विवाद खड़ा हो गया है. इसके बजाय, भाजपा से संबद्ध पार्षदों और केंद्र शासित प्रदेश की हज समिति के अध्यक्ष, जो भाजपा से भी जुड़े हैं, के नाम पट्टिकाओं पर अंकित किए गए हैं.

लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी), करगिल ने इस मुद्दे पर केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल बीडी मिश्रा को पत्र लिखा है. एलएएचडीसी ने कहा कि यह निर्णय केंद्र शासित प्रदेश की सर्वोच्च निर्वाचित संस्था एलएएचडीसी की ‘गरिमा का अवमूल्यन’ करता है.

शिलान्यास समारोह

नामग्याल ने 5 जून को करगिल जिले के रणनीतिक द्रास क्षेत्र में रणबीरपोरा और भीमबाट निर्वाचन क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनाई जा रही सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी. इन हिल काउंसिल निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुबारक शाह नकवी और सईद मोहम्मद शाह करते हैं.

तख्तियों पर स्थानीय सांसद के अलावा प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अली मजाज का नाम भी लिखा हुआ है. मजाज भाजपा से जुड़े हुए हैं और इसकी लद्दाख इकाई के उपाध्यक्ष हैं. 18 नवंबर 2022 को लद्दाख के तत्कालीन उपराज्यपाल आरके माथुर ने उन्हें समिति का सदस्य मनोनीत किया था. बाद में उन्हें हज समिति के सदस्यों द्वारा इसके अध्यक्ष के रूप में चुन लिया गया.

रणबीरपोरा खंड का प्रतिनिधित्व करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नकवी ने द वायर  को बताया, ‘हम क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन हमें इन समारोहों में आमंत्रित नहीं किया गया.’

स्थानीय पार्षदों ने बताया कि विकास प्रक्रिया में उन्हें ‘दरकिनार’ करने के प्रशासन के कृत्य से वे अपमानित और नीचा महसूस कर रहे हैं. सईद मुहम्मद सईद, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी जुड़े हुए हैं और भीमबाट निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा कि वह पट्टिका से अपना नाम गायब पाकर दंग रह गए.

उन्होंने कहा, ‘मैं समारोह स्थल पर गया और सांसद से पूछा कि मेरा नाम शिलान्यास से क्यों गायब है.’ उन्होंने साथ ही कहा कि अधिकारियों द्वारा उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.

परियोजना का शिलान्यास करते भाजपा सांसद जामयांग नामग्याल. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

करशा पर्वतीय परिषद निर्वाचन क्षेत्र में 6 जून को भाजपा सांसद ने पीएमजीएसवाई के तहत बन रही चार सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया था. विडंबना यह है कि इन परियोजनाओं के शिलान्यास पर कांग्रेस के स्थानीय पार्षद स्टेनजिन जिगमत के बजाय पड़ोस के चा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा पार्षद स्टेनजिन लकपा और पार्टी से जुड़े मनोनीत पार्षद स्टेनजिन चोसग्याल के नाम लिखे गए थे.

जब लद्दाख तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर का हिस्सा था, तब सितंबर 2018 में स्टेनजिन चोसग्याल को राज्यपाल के प्रशासन द्वारा एलएएचडीसी करगिल के सदस्य के रूप में नामित किया गया था.

द वायर  से बात करते हुए स्थानीय पार्षद स्टेनजिन जिगमत ने कहा कि उन्हें समारोह के बारे में सूचित भी नहीं किया गया था. उन्होंने पूछा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या और एक गलत कार्य है. मेरे निर्वाचन क्षेत्र में किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र के पार्षद का नाम शिलान्यास पट्टिका पर कैसे हो सकता है?’

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने के लिए उन्होंने पिछले तीन साल से कड़ी मेहनत की है. उन्होंने कहा, ‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र में शिलान्यास पर जिस भाजपा पार्षद का नाम अंकित था, वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए पीएमजीएसवाई के तहत एक भी परियोजना लाने में विफल रहे.’

इस बीच, करगिल के स्थानीय लोगों ने भी इस कदम का विरोध किया है और दावा किया है कि इस तरह के कार्य हिल काउंसिल को कमजोर करते हैं.

लद्दाख के लिए राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग करने वाले विभिन्न समूहों के करगिल-आधारित गठबंधन करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के सदस्य सज्जाद करगिली ने ट्वीट किया, ‘लद्दाख सांसद लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (करगिल) की अनदेखी कर एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं. यह अफ़सोस की बात है कि अब हज समिति के अध्यक्ष करगिल में सड़कों का उद्घाटन कर रहे हैं, और एलएएचडीसी के अध्यक्ष और सदस्यों की अनदेखी की जा रही है.’

उन्होंने आगे लद्दाख के उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए लिखा कि लद्दाख में एकमात्र बचे प्रमुख निर्वाचित निकाय को शक्तिहीन करने वाले इस तरह के कदमों को रोकें.

पर्वतीय परिषद ने उपराज्यपाल को लिखा पत्र

इस कदम ने पर्वतीय परिषद के सदस्यों में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है. इसके अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) फ़िरोज़ अहमद खान ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए लद्दाख के उपराज्यपाल शर्मा को पत्र लिखा है.

पत्र में उन्होंने उपराज्यपाल से कहा है कि संबंधित विभाग (पीएमजीएसवाई) ने न तो पर्वतीय परिषद को सूचित किया और न ही उन पार्षदों को जिनके इलाके में सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया.

पत्र में कहा गया है कि करगिल जिले के आयुक्त, जो पर्वतीय परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, को भी समारोहों के बारे में सूचित नहीं किया गया था.

सीईसी ने एलजी से मामले में आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है, ताकि आगे यह दोबारा न हो.

बार-बार प्रयास करने के बावजूद भाजपा सांसद जामयांग नामग्याल से संपर्क नहीं हो सका. खुद को नामग्याल का पीए बताने वाले एक व्यक्ति ने वॉट्सऐप कॉल पर द वायर  को बताया कि ‘वह एक समारोह में व्यस्त हैं.’

पर्वतीय परिषद सर्वोच्च निर्वाचित निकाय हैं

अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अलग होने के बाद लेह और करगिल की पर्वतीय परिषदें लद्दाख में सर्वोच्च निर्वाचित निकाय बन गईं. दोनों निकायों में 26 निर्वाचित सदस्य और चार मनोनीत सदस्य हैं.

लेह के लिए पर्वतीय परिषद 1995 में अस्तित्व में आई, जबकि करगिल जिले के लिए 2003 में परिषद का गठन किया गया था.

करगिल पर्वतीय परिषद में वर्तमान में नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में है, जबकि लेह परिषद में भाजपा का शासन है.

यह उल्लेख करना उचित होगा कि तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य की विधायिका में लद्दाख के छह विधायक हुआ करते थे, जिनमें चार विधायक और दो विधान परिषद के सदस्य होते थे.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं) 

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)