भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ सांस की जांच के बहाने स्तन छूने और पेट पर हाथ फेरने का आरोप लगाने वाली दो महिला पहलवानों से दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों के समर्थन में फोटो, ऑडियो और वीडियो मांगे हैं. इससे पहले, सरकार द्वारा गठित निरीक्षण समिति ने भी ऑडियो-वीडियो सबूत देने के लिए कहा था.
नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर सांस की जांच के बहाने स्तन छूने और पेट पर हाथ फेरने का आरोप लगाने वाली दो शीर्ष महिला पहलवानों से दिल्ली पुलिस ने उनके आरोपों के पक्ष में सबूत के तौर पर फोटो, ऑडियो और वीडियो की मांग की है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें एक ‘गले लगाने’ की तस्वीर भी शामिल है, जिसे सिंह ने एक शिकायतकर्ता को दिया था, जिसे इस संबंध में दर्ज एफआईआर में दर्ज किया गया था.
एफआईआर के अनुसार, यौन उत्पीड़न की ये घटनाएं 2016 और 2019 के बीच कथित रूप से सांसद सिंह के दिल्ली स्थित बंगले के पते 21, अशोक रोड स्थित डब्ल्यूएफआई कार्यालय में और विदेश में टूर्नामेंट के दौरान हुईं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 5 जून को महिला पहलवानों को सीआरपीसी की धारा 91 के तहत अलग से नोटिस जारी किया गया और उन्हें जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिया गया.
एक पहलवान ने पुष्टि की, ‘हमारे पास जो भी सबूत हैं, हमने दे दिए हैं. हमारे एक रिश्तेदार ने भी पुलिस को वह दे दिया है, जो उन्होंने मांगा था.’
शिकायतकर्ताओं में से एक के अनुसार, जैसा कि एफआईआर में उल्लेख किया गया है, विदेश में एक बड़ा पदक जीतने के बाद सिंह ने उसे 10 से 15 सेकंड के लिए कसकर गले लगाया था. पहलवान ने दावा किया कि टटोले जाने से बचने के लिए उसे अपना हाथ अपने स्तन के पास रखना पड़ा. कहा जा रहा है कि पुलिस ने इस पहलवान से तब की तस्वीर मांगी थी, जब सिंह ने गले लगाया था.
7 जून को सरकार के साथ बातचीत के बाद पहलवानों ने 15 जून तक अपना विरोध प्रदर्शन रोकने पर सहमति व्यक्त की थी. पहलवानों के साथ छह घंटे लंबी बातचीत करने वाले खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक इसी तारीख तक दिल्ली पुलिस के द्वारा मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया जाएगा. पहलवानों ने कहा था कि वे 15 जून तक इंतजार करेंगे, लेकिन अगर तब तक कुछ नहीं हुआ तो एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
पुलिस ने शिकायतकर्ताओं से कथित घटनाओं की तारीख और समय, डब्ल्यूएफआई कार्यालय में बिताए गए समय और उनके रूममेट्स एवं अन्य संभावित गवाहों के नाम, खासकर जब वे विदेश में थीं, प्रस्तुत करने के लिए कहा है. पुलिस ने उस होटल का ब्योरा भी मांगा है, जहां एक पहलवान डब्ल्यूएफआई कार्यालय का दौरा करने के दौरान ठहरी थी.
एक पहलवान और उसके रिश्तेदार से भी सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद मिले कथित रूप से धमकी भरे कॉल का विवरण देने के लिए कहा गया था. रिश्तेदार को अलग से नोटिस जारी कर धमकी भरे कॉल से संबंधित वीडियो/फोटोग्राफ/कॉल रिकॉर्डिंग वॉट्सऐप चैट की मांग की गई थी.
कनॉट प्लेस पुलिस थाने के जांच अधिकारी द्वारा नोटिस पर हस्ताक्षर किए गए थे.
संयोग से, जनवरी में केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा गठित निरीक्षण समिति ने भी पीड़ितों से ऑडियो और वीडियो सबूत देने के लिए कहा था.
मालूम हो कि समिति ने कथित तौर पर तीनों पहलवानों को उनके उत्पीड़न के ‘ऑडियो या वीडियो’ सबूत देने को कहा था.
समिति के एक सदस्य ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता पहलवान से कहा था कि बृजभूषण शरण सिंह ‘पिता की तरह थे और उनके कृत्य निर्दोष भावना से किए गए थे, जिन्हें इन महिलाओं ने गलत समझ लिया.’
एक अन्य पहलवान ने बताया था कि डब्ल्यूएफआई के कर्मचारी और सिंह के करीबी एक कोच कमरे (जहां उनकी सुनवाई हो रही थी) के बाहर जमा हो गए थे, जो ‘डराने वाला’ था.
इस समिति की अध्यक्षता मुक्केबाज मैरी कॉम कर रही हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
बहरहाल, इन दोनों महिला पहलवानों ने अपनी शिकायतों और एफआईआर में दर्ज किया है कि कैसे सिंह ने कथित तौर पर उनके सांस लेने के पैटर्न की जांच के बहाने उन्हें अनुचित तरीके से और यौन रूप से छुआ.
महिला द्वारा बताई एक घटना 2016 में एक टूर्नामेंट के दौरान हुई, जहां एक रेस्तरां में बृजभूषण ने उनके स्तन और पेट को छुआ था, जिसके बाद वे काफी घबरा गई थीं.
इन्हीं महिला पहलवान ने 2019 में भी एक टूर्नामेंट के दौरान बृजभूषण द्वारा ऐसी हरकत किए जाने की बात कही है. उनका कहना है कि ‘वहां भी बृजभूषण ने बहाने से उनकी छाती और पेट को छुआ था.
अपनी शिकायत में इसी महिला पहलवान ने बृजभूषण पर आरोप लगाया है कि उन्होंने नई दिल्ली में अशोक रोड स्थित अपने बंगले के भीतर बने डब्ल्यूएफआई कार्यालय में उन्हें बुलाया था और दो दिन उसे अनुचित तरीके से छुआ और दबोचा.
बता दें कि बीते 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर माना था और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.