मध्य प्रदेश: क्या चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को सांप्रदायिकता से परहेज नहीं है

विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 'बजरंग सेना' का हाथ थामा है. 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देखने वाले इस संगठन की पहचान अब तक हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे बढ़ाने, मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने और नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वालों का समर्थन करने की रही है.

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मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यालय में बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को गदा थमाते हुए. (फोटो साभार: फेसबुक)

विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने ‘बजरंग सेना’ का हाथ थामा है. ‘हिंदू राष्ट्र’ का सपना देखने वाले इस संगठन की पहचान अब तक हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे बढ़ाने, मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने और नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वालों का समर्थन करने की रही है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यालय में बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को गदा थमाते हुए. (फोटो साभार: फेसबुक)

हिंदू राष्ट्र के निर्माण से ही देश की उन्नति संभव है… इस राष्ट्र की पुरातन संस्कृति एवं परंपरा को दृष्टिगत रखते हुए इसे पूर्ण हिंदू राष्ट्र घोषित करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है.

यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के किसी आनुषंगिक संगठन या उससे जुड़े नेता के नहीं हैं, बल्कि उस व्यक्ति और उसके संगठन के हैं जिसे बीते दिनों मध्य प्रदेश में बड़े धूमधाम एवं खूब प्रचार-प्रसार के साथ कांग्रेस में शामिल कराया गया है. हम बात कर रहे हैं ‘बजरंग सेना’ और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया की.

बता दें कि बीते 6 जून को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति (एमपीसीसी) के कार्यालय का माहौल पूरी तरह हिंदुत्व के रंग में रंग गया था, भगवा झंडे लहराए जा रहे थे और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जा रहे थे. कार्यालय में हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया. यह सब तब हुआ, जब हिंदुत्ववादी संगठन ‘बजरंग सेना’ एक रैली लेकर कांग्रेस कार्यालय पहुंचा, जिसका स्वागत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने किया. उन्होंने भी कमलनाथ को एक गदा थमाई. फिर सेना के कांग्रेस में विलय होने का ऐलान हुआ.

कांग्रेस और कमलनाथ द्वारा यह कदम मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘कट्टर हिंदुत्व’ की राजनीति का जवाब कांग्रेस भी ‘हिंदुत्व’ से देना चाहती है और इसी कवायद में मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी लगातार बढ़-चढ़कर धर्म संबंधी गतिविधियों में शरीक हो रही है.

लेकिन, धर्मनिरपेक्षता की नींव पर खड़ी कांग्रेस भाजपा के ‘कट्टर हिंदुत्व’ को हराने के लिए जिस ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की सवारी करने निकली थी, उसमें शायद उसे कुछ खास सफलता न मिलने पर अब लगता है कि वह भी सत्ता की चाह में हिंदुत्व के कट्टर संस्करणों को स्वीकारने से परहेज करना नहीं चाहती है.

कम से कम ‘बजरंग सेना’ का समर्थन लेने के मामले में तो ऐसा कह ही सकते हैं क्योंकि इस हिंदुत्ववादी संगठन का अस्तित्व ही ‘हिंदू राष्ट्र के निर्माण’ पर टिका है. संगठन के नियुक्ति पत्र से लेकर नेताओं के भाषणों तक सिर्फ और सिर्फ ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण को ही तरज़ीह दी जाती है. इस संबंध में सेना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामशंकर मिश्रा का यह बयान गौरतलब है,

‘जितनी भी आसुरी शक्तियां हमारे देश को पाकिस्तान बनाने में लगी हुई हैं, मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि 2024 के बाद… लगभग 2025 तक… भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा.’

अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पटेरिया की मौजूदगी में मिश्रा ने यह ऐलान 7 अप्रैल 2023 को एक फेसबुक लाइव में किया था. बजरंग सेना तब भाजपा की क़रीबी थी और संभव है कि 2024 से उनका आशय लोकसभा चुनावों से रहा हो.

बजरंग सेना का नियुक्ति पत्र, जिसमें ‘अखंड हिंदू राष्ट्र के निर्माण’ और ‘जनसंख्या नियंत्रण क़ानून’ लाने के संकल्प का उल्लेख है. (फोटो साभार: फेसबुक)

मध्य प्रदेश के छतरपुर के बागेश्वर धाम वाले विवादित धर्मगुरु पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना आदर्श बताने वाले बजरंग सेना के कर्ता-धर्ता पटेरिया का दावा है कि धीरेंद्र शास्त्री ने उन्हें बजरंग सेना के माध्यम से ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए देश भर में जनजागृति अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी है और उन्होंने भी संकल्प लिया है कि देश भर के बजरंग सेना के कार्यकर्ता इस अभियान में शामिल होकर धीरेंद्र शास्त्री के साथ चलने तैयार हैं.

गौरतलब है कि इन्हीं धीरेंद्र शास्त्री, जिनके साथ अक्सर ही पटेरिया और उनके संगठन के पदाधिकारी देखे जाते हैं, की आलोचना कई कांग्रेसी नेता कर चुके हैं.

कांग्रेस में शामिल होने के महीने भर से भी कम समय पहले बजरंग सेना के कार्यकर्ताओं को संगठन के राष्ट्रीय संयोजक रघुनंदन शर्मा ने शपथ दिलाई थी कि ‘भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ बजरंग सेना पूरी तरह हमेशा खड़ी रहेगी.’ बता दें कि कमलनाथ के साथ रघुनंदन शर्मा भी मंच पर मौजूद थे और वह कांग्रेस के सदस्य बन चुके हैं.

कह सकते हैं कि बजरंग सेना का कांग्रेस में विलय हो गया है, इसलिए शपथ का कोई औचित्य नहीं बचता लेकिन विलय की बात बेबुनियाद है. द वायर से बातचीत में पटेरिया ने कहा, ‘हमारे संगठन का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है, हमने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन दिया है. विलय की बात गलत है, हमारे पांच-सात पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल हुए हैं.’

पटेरिया का यह कथन कांग्रेस के उस दावे के विरोधाभासी है जो वह लगातार कर रही है कि ‘बजरंग सेना’ का पार्टी में विलय हो चुका है. जबकि, हक़ीक़त यह है कि बजरंग सेना के अंदर अभी भी नियुक्तियां और पद बांटना जारी है.

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को भारत माता की तस्वीर भेंट करते बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया. (फोटो साभार: फेसबुक)

कांग्रेस के नए सहयोगी में कट्टर हिंदुत्व की हर विशेषता

‘बजरंग सेना’ के अंदर हर वो विशेषता है जो एक कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन में पाई जाती है. महिलाओं का अपमान, नफ़रती भाषण (हेट स्पीच), अल्पसंख्यकों से घृणा आदि सभी (अव)गुण ‘बजरंग सेना’ के अंदर देखे जा सकते हैं.

खास बात यह है कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के ख़िलाफ़ ऐसे ही मुद्दों पर लड़ने की बात भी करती है, लेकिन मध्य प्रदेश में उसकी कथनी और करनी में अंतर आ जाता है.

कांग्रेस कह सकती है कि ‘बजरंग सेना’ ने विलय के बाद हमारी विचारधारा अंगीकार कर ली है, लेकिन द वायर  से बातचीत में रणबीर पटेरिया ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

उनकी इसी लड़ाई का एक हिस्सा जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी है, जिसको लेकर संगठन का कहना है,

‘.. जब से भारत आजाद हुआ है, तब से अब तक 80 प्रतिशत हिंदुओं को जिहादी मानसिकता द्वारा लक्ष्य बनाया जा रहा है. ऐसी परिस्थिति में दूसरे धर्मों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं हिंदू धर्म अपने एकमात्र राष्ट्र में भी कम होता जा रहा है. अगर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाता है तो भारत की संप्रभुता बची रह सकती है. क्योंकि जहां से हिंदू घटता है, वहां के जिहादी अलग राष्ट्र की मांग करने लग जाते हैं. भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए आवश्यक है कि भारत हिंदू राष्ट्र बने. भारत में तेज रफ्तार के साथ बढ़ती जनसंख्या के लिए जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी लागू किया जाए.’

जिन रणबीर पटेरिया का कांग्रेस दफ्तर में कमलनाथ पलक-पांवड़े बिछाकर स्वागत कर रहे थे, वह कुछ दिनों पहले उस ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का उदाहरण देकर मध्य प्रदेश के हिंदुओं को ‘जगा’ रहे थे जिसे कांग्रेस ‘प्रोपगेंडा फिल्म’ बताती आई है.

पटेरिया ने एक फेसबुक लाइव में कहा, ‘मध्य प्रदेश में हम लोग आज सुरक्षित हैं, लेकिन अगर सोते रहे तो ज्यादा दिन सुरक्षित नहीं रहेंगे. जिस तरह से जम्मू कश्मीर में हिंदुओं को भगाया गया, इस पर ‘कश्मीर फाइल्स’ मूवी तक बनी है, ऐसे ही हालात तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, केरल समेत और भी बहुत से राज्यों में हैं.’ उन्होंने इस दौरान हिंदुओं से लड़ने के लिए तैयार रहने का भी आह्वान किया था.

पटेरिया के साथ इसी फेसबुक लाइव में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामशंकर मिश्रा ने जमकर ‘कट्टर हिंदुत्व’ का ज़हर उगला था. तेलंगाना में उनके संगठन की रैली में पुलिस द्वारा व्यवधान डालने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था, ‘बजरंग सेना का कार्यक्रम न हो, इसके लिए तेलंगाना की पूरी सरकार और वहां जो ‘दो कुत्ते’ बैठे हुए हैं, उनकी पूरी टीम लगी रही. 2,000 पुलिसकर्मी तैनात थे, लग रहा था कि हम आतंकवादी हैं.’

यहां स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने ‘दो कुत्ते’ कहकर किसे संबोधित किया था, लेकिन बजरंग सेना द्वारा ऐसी अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करना आम है.

उदाहरण के लिए, अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों की तरह ही बजरंग सेना ने भी अभिनेता शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ में फिल्माए गए गाने ‘बेशरम रंग’ का विरोध किया था. विरोधस्वरूप, मुख्यमंत्री के नाम लिखे गए एक पत्र में लिखा था, ‘हिंदू आस्था के प्रतीक भगवा रंग के आलंब में अभिनेत्री को 90 प्रतिशत नंगी प्रदर्शित कर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है. इस अश्लीलता को देखकर कुतिया-बिल्ली भी शरमा जाए.’

हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा हर छोटी-बड़ी घटना में ‘जिहाद’ ढूंढ़ लेने की विशेषता भी बजरंग सेना में है और उसके द्वारा ‘हिंदू जिहाद’ का नारा दिया जा चुका है. ‘हिंदू जिहाद’ की व्याख्या संगठन की चिर-परिचित स्तरहीन भाषा में यह है,

‘विधर्मी कुत्ते हिंदू बनकर लोगों को संगठन से जुड़ने से रोक रहे हैं. वो जिस दिन पकड़े गए, उनका बजरंग सेना क्या हाल करेगी, बताने की जरूरत नहीं है… ‘लव जिहाद’ की तरह हम ‘हिंदू जिहाद’ भी खत्म करेंगे. इन कुत्तों को छोड़ेंगे नहीं.’

पटेरिया कहते हैं, ‘ये वही कुत्ते हैं, जिन्हें बाहर से फंडिंग हो रही है. हमारे हिंदू संगठन को तोड़ने का काम कर रहे हैं. ये राम-हनुमान उत्सवों में भीड़ देखकर डरे हुए हैं.’

वहीं, बीते दिनों सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पटेरिया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें एक तस्वीर में फिल्म अभिनेत्रियों की तुलना वेश्याओं से की गई थी. एक अन्य पोस्ट में उन्होंने ‘आईपीएल फाइनल में साड़ी पहनने वालीं क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की विधायक पत्नी रिवाबा को भारतीयता का प्रतीक बताते हुए विराट कोहली की पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा को बॉलीवुड की नचनिया लिखा था.’

अल्पसंख्यकों से घृणा में भी ‘बजरंग सेना’ पीछे नहीं

कुछ दिनों पहले ही पटेरिया ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘हिंदुओं की ये आखिरी पीढ़ी है, जिन्हें हिंदुत्व के लिए लड़ने का मौका मिल रहा है… अगर हम हार गए तो अगली पीढ़ी बचने का मौका ढूंढ़ेगी.’ एक अन्य पोस्ट कहती है, ‘जिस टीपू सुल्तान ने हिंदुओं का नरसंहार किया, शाहरुख (खान) अपनी फिल्म में उसी टीपू सुल्तान को महिमामंडित करने जा रहा है… इनका बहिष्कार होना चाहिए.’

एक अन्य पोस्ट में वे कर्नाटक में ‘विधर्मियों द्वारा एक हिंदू युवक की हत्या’ का हवाला देते हुए पूछते हैं कि ‘क्या हिंदुस्तान में हिंदू सुरक्षित हैं?’ वे आगे कुछ और उदाहरण देते हुए कहते हैं, ‘ये सब कट्टरवादी मजहब की बलि चढ़ गए. मैं मरने-मारने की बात नहीं करता, लेकिन आत्म सुरक्षा (की करता हूं), कम से कम आप इतने मजबूत हों कि किसी जिहादी की आप पर हमला करने की हिम्मत न हो.’

दिल्ली के बहुचर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड को लेकर भी उन्होंने लिखा था, ‘इनका (मुसलमानों) उद्देश्य केवल शत्रु को मारना नहीं होता, बल्कि अधिक से अधिक तकलीफ देकर मारना होता है.’

उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगालने पर ऐसे और भी कई पोस्ट मिल जाएंगे. इसी तरह क्रिसमस को लेकर उनका मानना है, ‘भारत संतों की भूमि है, सैंटा की नहीं. भारत में सैंटा गिफ्ट देने नहीं, धर्मांतरण कराने आता है.’

देश का एक बड़ा तबका शिरडी के साई बाबा में खासी आस्था रखता है, उनको लेकर बजरंग सेना के विचार हैं,

‘साईं ने ऐसा कौन-सा कार्य कर दिया जो भगवान मानें… उन्हें हिंदू/सनातन धर्म में इतनी ही आस्था थी तो धर्म परिवर्तन क्यों नहीं किया? क्यों एक मंदिर के अंदर उनकी मज़ार बनाई गई है?  उस मजार में दंडवत होकर, वहां की भभूति लाकर आपको क्या मिला? किसी ‘चांद मियां’ को भगवान मानने की कोई जरूरत नहीं है. ‘

साई के संदर्भ में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामशंकर मिश्रा का कहना है, ‘साई के भक्त विधर्मी हैं. हिंदुओं का पैसा साई के नाम पर लूटकर विदेशों को आतंकवाद के लिए फंडिंग कर रहे हैं. इसे रोकना होगा.’ उन्होंने लाइव आकर बजरंग सेना के कार्यकर्ताओं से मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के साई मंदिर के ख़िलाफ़ उपद्रव करने तक का आह्वान कर डाला था. संगठन की सोच है कि ‘जो राम को नहीं मानता, उसे हम इस देश में भगवान बनकर क्यों रहने दें?’

बजरंग सेना कांग्रेस की कथित ‘धर्मनिरपेक्षता’ से नहीं, बल्कि तेलंगाना के गोशमहल से निलंबित भाजपा विधायक टी. राजा सिंह से प्रेरणा लेती है. एक समुदाय विशेष को लेकर आए-दिन ज़हर उगलने वाले राजा सिंह के ख़िलाफ़ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. फेसबुक उनका एकाउंट बंद कर चुका है. वे हैदराबाद में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के चलते लंबे समय जेल में भी रहे हैं. यहां तक कि उनकी सांप्रदायिक सोच के चलते भाजपा ने उन्हें निलंबित तक कर दिया था. (जैसा अमूमन भाजपा करती नहीं है)

तेलंगाना में अपनी रैली में पुलिस के व्यवधान पर पटेरिया और रामशंकर मिश्रा ने कहा था, ‘अभी तो आपने (तेलंगाना) एक शेर राजा सिंह को देखा है. उन्हें नहीं झेल पाए. ये तो भारतवर्ष है, यहां तो असंख्य शेर हैं जो हिंदुत्व के लिए मर-मिटने को तैयार हैं. बजरंग सेना का एक-एक सैनिक अपने-आप में राजा सिंह है. हैदराबाद में 1,000 राजा सिंह तैयार कर रहे हैं.’

वे कहते नज़र आए थे, ‘हिंदू झुकने वाला नहीं है, संगठित हो रहा है. भारत का कोई राज्य अब केरल या बंगाल नहीं बनेगा.’

बजरंग सेना ने पैगंबर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी करके देश भर को सुलगाने वाली भाजपा से निष्काषित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में भी सड़कों पर प्रदर्शन किया था और ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर भी उसने हिंदुत्ववादी रुख अख्तियार किया था.

बजरंग सेना का ‘गोडसे प्रेम’

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिसंबर 2021 में एक धर्म संसद का आयोजन हुआ था, जिसमें स्वयंभू संत कालीचरण ने महात्मा गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘मोहन दास करमचंद गांधी ने देश का सत्यानाश किया, नमस्कार है नाथूराम गोडसे को जिन्होंने उन्हें मार दिया.’ इस टिप्पणी पर रायपुर में कांग्रेस ने कालीचरण के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई थी और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.

गिरफ्तारी के विरोध में बजरंग सेना ने मोर्चा खोल दिया था और छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पुतला भी फूंका था. पटेरिया ने गांधी के राष्ट्रपिता होने पर भी सवाल उठाया था.

कालीचरण के साथ (बाएं से) बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया, राष्ट्रीय संयोजक रघुनंदन शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष अमरीश राय. यही तीनों कमलनाथ के साथ भी मंच पर देखे गए थे. (फोटो साभार: फेसबुक)

वैसे, यह पहली बार नहीं है कि गांधी की ही कांग्रेस में गोडसे के उपासकों को कमलनाथ गले लगा रहे हों. वर्ष 2021 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब भी कमलनाथ ने हिंदू महासभा से ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया को फूल थमाकर पार्टी में शामिल कराया था. चौरसिया गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाकर उसमें प्रतिमा स्थापना के कार्य से जुड़े रहे थे.

तब कांग्रेस की ओर से कहा गया था, ‘चौरसिया ने गोडसे की हिंसा की विचारधारा को छोड़ दिया है और गांधी जी की सत्य और अहिंसा की विचारधारा पर चलने का फैसला किया है. जब वो हिंदू महासभा में थे, भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे, तब वो गोडसे की विचारधारा को मानते थे, आज वो कांग्रेस में आ गए तो उन्होंने गांधी जी की विचारधारा को अपना लिया है.’

कुछ ऐसा ही तर्क कांग्रेस अब दे रही है. मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना द वायर  से बातचीत में कहते हैं, ‘वह कांग्रेस के विचारों से प्रभावित होकर बिना शर्त के पार्टी में शामिल हुए हैं.’

जब उनसे बजरंग सेना की ‘हिंदू राष्ट्र’ की मांग के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘हिंदुस्तान वैसे भी हिंदू राष्ट्र ही है, यहां की 80 फीसदी आबादी हिंदू है. जहां बहुसंख्यक हिंदू हैं, वो निश्चित तौर पर हिंदू राष्ट्र है. जो पहले से ही हिंदू राष्ट्र है, उसे बनाने की क्या जरूरत है. जहां 80 फीसदी हिंदू रहते हों, जहां प्रमुख पदों पर- चाहे वो राज्य के मुख्यमंत्री हों, देश का राष्ट्रपति हो, देश का प्रधानमंत्री हो, तीनों सेनाध्यक्ष हों- हिंदू बैठे हों, जहां पुलिस और प्रशासन में 90 फीसदी हिंदू हों, क्या वो हिंदू राष्ट्र नहीं है?’

हालांकि, रणबीर पटेरिया ऐसा नहीं सोचते.

‘… केंद्र में सरकार आएगी तो हिंदू राष्ट्र के लिए भी प्रयास करेंगे’

जब पटेरिया से पूछा गया कि आपका मकसद हिंदू राष्ट्र है जबकि कांग्रेस इसके ख़िलाफ़ रही है, तो उन्होंने कहा, ‘देखिए, कांग्रेस तो हनुमान चालीसा भी नहीं कर रही थी. भगवा झंडे भी उनके साथ नहीं रहते थे. अब हनुमान चालीसा भी किया और भगवा झंडे भी उनके कार्यालय में लहाराए गए, तो धीरे-धीरे बदलाव होगा. हम लोग लगेंगे उस काम में. ‘

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ‘हिंदू राष्ट्र’ की आपकी मांग पर आगे बढ़ेगी, पटेरिया बोले, ‘बिल्कुल हमको ऐसा लगता है और हम लोग प्रयास करेंगे. जैसे हमें भाजपा का लगता था कि वे लोग हिंदू राष्ट्र बनाएंगे, वैसे ही इनका भी लगता है. अब इनके साथ भी हम वही प्रयास करेंगे.’

जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी पटेरिया बोले कि कांग्रेस से उनकी यह मांग बनी रहेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि केंद्र में सरकार बनने पर भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का प्रयास करेंगे.

बहरहाल, कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई द्वारा लिए गए इस फैसले पर द वायर  ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का रुख़ जानने के लिए मध्य प्रदेश में पार्टी प्रभारी जेपी अग्रवाल से भी संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. वहीं, पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस संबंधी में अधिक जानकारी न होने का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया.