मायावती के सीएम रहते भाई-भाभी को 261 फ्लैट 46% डिस्काउंट पर मिले, ऑडिट में ‘धोखाधड़ी’ के संकेत

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 में बसपा प्रमुख मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी को नोएडा के लॉजिक्स इंफ्राटेक के एक अपार्टमेंट प्रोजेक्ट में 261 फ्लैट आवंटित हुए थे. अब दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही इस कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि उनके द्वारा दिया गया करोड़ों का भुगतान 'संबधित पार्टी' को ट्रांसफर कर दिया गया था.

नोएडा में ब्लॉसम ग्रीन्स अपार्टमेंट्स. (फोटो साभार: लॉजिक्स ग्रुप वेबसाइट)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 में बसपा प्रमुख मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी को नोएडा के लॉजिक्स इंफ्राटेक के एक अपार्टमेंट प्रोजेक्ट में 261 फ्लैट आवंटित हुए थे. अब दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही इस कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि उनके द्वारा दिया गया करोड़ों का भुगतान ‘संबधित पार्टी’ को ट्रांसफर कर दिया गया था.

नोएडा में ब्लॉसम ग्रीन्स अपार्टमेंट्स. (फोटो साभार: लॉजिक्स ग्रुप वेबसाइट)

नई दिल्ली: रियल एस्टेट फर्म लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा नोएडा में डेवलप किए गए एक अपार्टमेंट परिसर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के भाई और उनकी पत्नी को आवंटित 261 फ्लैट के मामले में ‘फर्जीवाड़े’ और ‘असल कीमत से कम दाम देने’ का संकेत मिलता है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आधिकारिक दस्तावेजों की पड़ताल बताती है कि बारह सालों में- कंपनी के बनने से लेकर इसकी दिवालिया होने की कार्यवाही और मई 2023 के बाद के फॉरेंसिक ऑडिट में कथित अनियमितताओं का एक स्पष्ट पैटर्न नजर आता है.

अख़बार द्वारा जांचे गए आधिकारिक दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स के अनुसार, मायावती मई 2007 में विधानसभा चुनाव जीती थीं और मई 2010 में उनके मुख्यमंत्री रहते हुए लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड शुरू हुआ. जुलाई 2010 में जब इसे शुरू हुए दो महीने से भी कम समय हुआ था, तब कंपनी ने सीएम के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के साथ नोएडा में उनके प्रोजेक्ट ‘ब्लॉसम ग्रीन्स’ में लगभग 2 लाख वर्ग फुट जगह क्रमशः 2,300 रुपये प्रति वर्ग फुट और 2,350 रुपये प्रति वर्ग फुट पर बेचने का करार किया. आनंद कुमार के लिए कुल खरीद मूल्य 46.02 करोड़ रुपये और विचित्र लता के लिए 46.93 करोड़ रुपये था.

इन क़रार के तीन महीने के भीतर सितंबर 2010 यूपी सरकार के तहत आने वाले नोएडा प्राधिकरण ने ब्लॉसम ग्रीन्स में 22 टावर डेवलप करने के लिए लॉजिक्स इंफ्राटेक को 1,00,112.19 वर्ग मीटर (24.74 एकड़) जमीन लीज पर दी.

सितंबर 2010 से 2022-23 तक लॉजिक्स ने ब्लॉसम ग्रीन्स में कुल 2,538 आवासीय इकाइयों में से 2,329 बेचीं. अब तक, कंपनी ने 944 फ्लैटों वाले आठ टावरों का पजेशन ऑफर किया, जहां 848 खरीदार पजेशन ले चुके हैं. हालांकि बाकी 14 टावरों का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन ये पजेशन के लिए तैयार नहीं हैं.

इससे पहले 4 अप्रैल, 2016 को आनंद कुमार को 135 अपार्टमेंट और विचित्र लता को शेष 126 अपार्टमेंट आवंटित किए गए, जिसके लिए उन्होंने क्रमशः 28.24 करोड़ रुपये और 28.19 करोड़ रुपये का ‘एडवांस’ दिया.

फरवरी 2020 में लॉजिक्स इंफ्राटेक को कंस्ट्रक्शन कंपनी अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड से 7.72 करोड़ रुपये के अवैतनिक बकाया की मांग करने वाला पहला नोटिस मिला. इसे कंपनी ने ब्लॉसम ग्रीन्स के लिए 259.80 करोड़ रुपये के निर्माण संबंधी कामों का ठेका दिया था. इसके बाद अक्टूबर 2020 लॉजिक्स ने कोविड-19 महामारी, साल 2019 के अंत में एनसीआर में निर्माण पर लगे प्रतिबंध और स्किल्ड लेबर की कमी का हवाला देते हुए अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के बकाये का भुगतान करने में असमर्थता जताई.

29 सितंबर 2022 को एनसीएलटी ने लॉजिक्स के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही का आदेश दिया, जो कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के अनुसार था, जिसके तहत लॉजिक्स इंफ्राटेक पर जिन लोगों का पैसा बकाया था, उसे वसूला जा सके.

इन्सॉल्वेंसी नियमों के अनुसार, एनसीएलटी ने एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया, जिसने लॉजिक्स के हिसाब-किताब के ऑडिट का आदेश दिया. मई 2023 में उन्हें सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट के नवीनतम मसौदे के अनुसार, आनंद कुमार और विचित्र लता दोनों को बेची गई इकाइयां ‘अंडरवैल्यूड’ यानी असल से कम कीमत पर बेची गई थीं और लेन-देन में ‘धोखाधड़ी’ हुई थी.

यह बताते हुए कि दोनों ने दिवालिएपन की कार्यवाही के तहत 96.64 करोड़ रुपये की राशि का दावा किया है, ऑडिट में कई कथित अनियमितताओं के बारे में उल्लेख किया गया है.

उदाहरण के लिए, आनंद कुमार को 2,300 रुपये प्रति वर्ग फुट का बिल दिया गया था, जब वित्त वर्ष 2016-17 में औसत नेट रेट, जिस पर अन्य घर खरीदारों को फ्लैट दिए गए थे, वो 4,350.85 रुपये था. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसलिए इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट 2016 की धारा 45 के तहत लेन-देन को अंडरवैल्यूड बताया गया है.’

इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि उन्हें आवंटित की गई 36 इकाइयां पहले से ही अन्य पार्टियों के पजेशन में थीं. ऑडिट रिपोर्ट इशारा करती है कि ‘आवंटन प्रक्रिया में कुछ गलतबयानी या धोखाधड़ी शामिल है.’

लेन-देन के बारे में और सवाल उठाते हुए ऑडिट रिपोर्ट में कहती है कि आनंद कुमार के 28.24 करोड़ रुपये के भुगतान दिखाने वाले वाउचर को निवेश (इनवेस्टमेंट) की बजाय ‘ग्राहकों से मिला एडवांस’ दिखाया गया है. हालांकि, बैंक रसीदें और बैंक विवरण हैं जो राशि (27.60 करोड़ रुपये) मिलना दिखा रहे हैं, हमारी पड़ताल में उसे संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर कर दिया गया था.’

लगभग इसी तरह की अनियमितताओं के आरोप आनंद कुमार की पत्नी विचित्र लता वाली डील पर भी हैं. इसे भी अंडरवैल्यूड बताया गया है, साथ ही उनकी 125 इकाइयों में से 24 दूसरों को आवंटित हुईं और उनके भुगतान के 28.85 करोड़ रुपये लॉजिक्स द्वारा संबंधित पार्टियों को ‘बिना कोई कारण बताए’ ट्रांसफर किए गए. ऑडिट रिपोर्ट कहती है, ‘इसलिए, हम 28.85 करोड़ रुपये के उक्त लेनदेन को धोखाधड़ी के रूप में रख रहे हैं.’

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर लॉजिक्स के निदेशक विक्रम नाथ (जो 2016 तक कंपनी संभाल रहे थे) ने उन्हें भेजे गए सवालों को कोई जवाब नहीं दिया. इसी तरह, आनंद कुमार और विचित्र लता को भी अख़बार द्वारा भेजे गए सवाल अनुत्तरित रहे.

1997 में लॉन्च किए गए लॉजिक्स ग्रुप की कई कंपनियां हैं और यह समूह 4 मिलियन वर्ग फुट आईटी स्पेस बनाने का दावा करता है. 2021 की एक कैग रिपोर्ट बताती है कि 2005-18 के दौरान नोएडा प्राधिकरण ने लॉजिक्स समूह को सभी वाणिज्यिक भूखंडों का 22 प्रतिशत आवंटित किया था और 31 मार्च, 2020 तक समूह पर प्राधिकरण का बकाया 5,839.96 करोड़ रुपये था.