बीते 26 मई को मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति सहित दो युवकों द्वारा एक हिंदू लड़की के कथित अपहरण के प्रयास के बाद से उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला कस्बे में तनाव व्याप्त है. घटना को ‘लव जिहाद’ बताते हुए दक्षिणपंथी हिंदू समूह ‘बाहरी लोगों’ विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के सत्यापन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित किए जा रहे एक महापंचायत को रोकने के लिए एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार (15 जून) को राज्य सरकार को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिया और संबंधित पार्टियों को इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस से बचने को को कहा.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एपीसीआर को याचिका के साथ उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसने महापंचायत को सफलतापूर्वक रोक दिया है. अदालत ने राज्य को निर्देश दिया कि सरकार की अनुमति के बिना ऐसी कोई सभा नहीं होनी चाहिए.
अदालत ने आगे कहा कि राज्य सरकार को यह आकलन किए बिना ऐसी अनुमति नहीं देनी चाहिए कि (ऐसे आयोजनों से) कहीं हिंसा आदि का कोई खतरा तो नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों को इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस से परहेज करने का भी निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि अगर इस तरह की बहस होती है तो यह अदालत की अवमानना होगी.
याचिकाकर्ता ने उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए भी दबाव डाला, जिन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया था कि एक विशेष समुदाय क्षेत्र छोड़ दे, जिस पर अदालत ने कहा कि वह पुलिस द्वारा पहले मामले की जांच किए बिना कोई आदेश पारित नहीं करेगी.
बीते गुरुवार को जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने के साथ कथित ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को लेकर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पुरोला में आयोजित नहीं की जा सकी, क्योंकि भारी पुलिस तैनाती के बीच दुकानें बंद रहीं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल सहित दक्षिणपंथी हिंदू समूहों द्वारा बुलाई गई महापंचायत में शामिल होने का प्रयास कर रहे लोगों के कई वाहनों को पुलिस ने पुरोला से लगभग 20 किलोमीटर दूर नौगांव में रोक दिया था. इसके बाद कई लोग वहीं सड़क पर बैठ गए और ‘जय श्री राम’ और ‘हिंदू एकता’ के नारे लगाए.
इस बीच गुरुवार को 19वां दिन था जब पुरोला बाजार में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानें बंद रहीं.
मालूम हो कि बीते 26 मई को मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति सहित दो युवकों द्वारा एक हिंदू लड़की के कथित अपहरण के प्रयास के बाद से उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला कस्बे में तनाव व्याप्त है.
पुलिस के अनुसार, अपहरण के संबंध में उबैद खान (24 वर्ष) और जितेंद्र सैनी (23 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) और 366ए (नाबालिग लड़की की खरीद) के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. वहीं नाबालिग लड़की को उसके परिवार को सौंप दिया गया था.
इस घटना के बाद से दक्षिणपंथी हिंदू समूहों, स्थानीय व्यापार मंडल और कुछ स्थानीय निवासियों द्वारा राज्य में आने वाले सभी ‘बाहरी लोगों’ के सत्यापन की मांग को लेकर विरोध रैलियां निकाली गई हैं.
प्रदर्शनकारियों ने जल्द ही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया और 26 मई की घटना को ‘लव जिहाद’ का उदाहरण बताया.
हिंदू महिलाओं को लुभाने और बहकाने के लिए मुस्लिम पुरुषों द्वारा एक कथित साजिश का वर्णन करने के लिए दक्षिणपंथी समूहों द्वारा ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अदालतें और केंद्र सरकार इसे आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देती हैं.
बहरहाल तनाव के बीच बीते 5 जून को पुरोला बाजार में कुछ पोस्टर लगाए थे, जिसमें मुस्लिम व्यापारियों से 15 जून को होने वाली महापंचायत से पहले दुकानें खाली करने को कहा गया था. हालांकि पुलिस ने उसी दिन ये पोस्टर हटा दिए थे.
इससे पहले बीते 29 मई को पुरोला में एक विरोध मार्च उस समय हिंसक हो गया था, जब कुछ आंदोलनकारियों ने मुसलमानों की दुकानों और प्रतिष्ठानों पर हमला कर दिया था. यमुना घाटी हिंदू जागृति संगठन के बैनर तले बीते 3 जून को भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया था.