कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम को सीधे राज्य को चावल बेचने की अनुमति पर अचानक रोक लगाने के फैसले को ‘कन्नड’ और ‘ग़रीब’ विरोधी क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के ख़िलाफ़ क्यों हैं? वे ग़रीबों से भोजन क्यों छीनना चाहते हैं?
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के स्टॉक से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी है. केंद्र के इस कदम से कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से जनता को दी गई दूसरी गारंटी, सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो खाद्यान्न प्रदान करने वाली अन्न भाग्य योजना को लागू करने में झटका लगा है.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र की भाजपा सरकार पर कर्नाटक को गरीबों को अनाज की आपूर्ति करने से रोकने के लिए ‘राजनीतिक निर्णय’ लेने का आरोप लगाया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धारमैया ने एफसीआई को सीधे राज्य को चावल बेचने की अनुमति नहीं देने के ‘कन्नड विरोधी’ और ‘गरीब विरोधी’ फैसले के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है.
कर्नाटक सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी अन्न भाग्य योजना के लिए 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर 2.28 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने के लिए सोमवार (12 जून) को एफसीआई के साथ समझौता किया था.
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में इस योजना को शुरू करने का वादा किया था. यह उसके द्वारा किए गए पांच गारंटी के वादों में एक थी, जिसके तहत सभी बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारक 10 किलो मुफ्त चावल के पात्र होंगे. योजना एक जुलाई से शुरू होनी है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की आपूर्ति के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन अनाज की मांग की थी और 12 जून को एफसीआई ने दो पत्र भेजकर लगभग 2.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति करने की सहमति दी थी.
कर्नाटक सरकार के एफसीआई के साथ अपने समझौते पर पहुंचने के एक दिन बाद मंगलवार (13 जून) को केंद्र सरकार ने एफसीआई को खुले बाजार में 15 लाख मीट्रिक टन चावल और गेहूं जारी करने और उत्तर-पूर्व को छोड़कर अन्य राज्यों को सीधे बिक्री बंद करने के लिए कहा है.
एफसीआई से 36.6 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल प्राप्त करने की उम्मीद पर, अन्न भाग्य योजना के लिए कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा निर्धारित मासिक व्यय 840 करोड़ रुपये है.
सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक ने छत्तीसगढ़, तेलंगाना जैसे चावल की खेती करने वाले राज्यों के साथ-साथ उन एजेंसियों से भी संपर्क किया था, जो 1 जुलाई से योजना को शुरू करने के लिए चावल उपलब्ध करा सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम इस साजिश के बावजूद अनाज उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे. (इसमें किसी भी देरी के लिए) भारत सरकार जिम्मेदार होगी.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्न भाग्य योजना को शुरू करने की घोषणा करने से पहले उनकी सरकार ने 6 जून को एफसीआई को एक पत्र लिखा था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने एफसीआई के उप-महाप्रबंधक से बात की, जो 34 रुपये प्रति किलो और परिवहन शुल्क प्रति किलो 2.60 रुपये की दर से अनाज उपलब्ध कराने पर सहमत हुए थे. इससे सहमत होने के बाद उन्होंने 12 जून को हमें दो पत्र लिखे थे.’
उन्होंने कहा कि इनमें ओएमएसएस (डी) [Open Market Sale Scheme (Domestic)] के तहत जुलाई के लिए 2.08 लाख मीट्रिक टन चावल बेचने का वादा और 13,819.485 टन अतिरिक्त चावल शामिल है.
सिद्धारमैया ने कहा, ‘एक दिन बाद 13 जून को एक राजनीतिक फैसला लिया गया (एफसीआई से राज्यों को अनाज की बिक्री पर रोक), केंद्र सरकार (योजना) को विफल करने की कोशिश कर रही है.’
राज्यों को अनाज न बेचने के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा एफसीआई को लिखे पत्र का साझा करते हुए सिद्धारमैया ने एक ट्वीट में कहा, ‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने अन्न भाग्य योजना के कार्यान्वयन में मुश्किलें पैदा करने के लिए खुले बाजार में बिक्री योजना के तहत राज्य को चावल की बिक्री रोकने के लिए एफसीआई को पत्र लिखा है.’
उन्होंने सवाल उठाया, ‘नरेंद्र मोदी और कर्नाटक भाजपा योग्य लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के खिलाफ क्यों हैं? वे गरीब लोगों से भोजन क्यों छीनना चाहते हैं?’
In a desperate attempt to create problems for the implementation of Anna Bhagya 2.0, @narendramodi led Government of India writes to FCI to stop sale of rice to State under Open Market Sale Scheme.
Why is @narendramodi & @BJP4Karnataka against us giving 10 Kgs of free rice to… pic.twitter.com/OlclyUaTbF
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) June 15, 2023
उन्होंने कहा, ‘भाजपा हमेशा कर्नाटक विरोधी रही है और हम 2014 से यह कह रहे हैं. कर्नाटक के प्रति नरेंद्र मोदी के सौतेले व्यवहार ने 2014 से कन्नड लोगों को बड़ी परेशानी में डाल दिया है.’
सिद्धारमैया ने कहा, ‘भाजपा नेताओं ने चुनावों के दौरान कन्नड लोगों को खुले तौर पर यह कहकर धमकी दी थी कि अगर भाजपा सत्ता में नहीं आई तो सभी योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा. क्या एफसीआई को यह पत्र उसी का परिणाम है?’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सिद्धारमैया के दावों पर पलटवार करते हुए भाजपा महासचिव सीटी रवि ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें चावल का बाजार मूल्य गरीबों के बैंक खातों में ट्रांसफर करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार है, जो राज्य के सभी गरीब परिवारों को 5 किलो चावल दे रही है.’