शिक्षाविद, वकील, पूर्व राजदूत, सामाजिक कार्यकर्ता एवं सिविल सोसाइटी में शामिल कुल 848 लोगों ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार से मांग की है कि ऐसे घृणित कृत्यों के अपराधी की लोकसभा सदस्यता निलंबित करने के साथ पॉक्सो क़ानून के तहत गिरफ़्तार करने की अनुमति दी जाए.
नई दिल्ली: सिविल सोसाइटी के 848 प्रमुख सदस्यों- जिनमें शिक्षाविद, वकील, पूर्व राजदूत, सामाजिक कार्यकर्ता, अन्य शामिल हैं- ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए एक बयान जारी किया है.
उनके खुले बयान में कहा गया है, ‘एक लोकतांत्रिक देश के नागरिकों के रूप में, हम मानते हैं कि सभी नागरिकों की आवाज़ समान है. हमारी मांग बस यह है कि किसी व्यक्ति की स्थिति की परवाह किए बिना देश के कानून को समान रूप से लागू होने दिया जाए, और सरकार द्वारा किसी को संरक्षण प्रदान न किया जाए या कानून से बचने में मदद न की जाए.’
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार 15 जून को सिंह के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था, लेकिन साथ ही उनके खिलाफ दर्ज पॉक्सो मामले में कैंसलेशन रिपोर्ट भी दायर की थी. पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं इस पर आपत्ति जताई है.
उन्होंने केंद्र सरकार से तुरंत कार्रवाई करने और ऐसे घृणित कृत्यों के अपराधी की लोकसभा सदस्यता निलंबित करने के अलावा पॉक्सो कानून के तहत गिरफ्तार करने की अनुमति देने का आह्वान किया.
हस्ताक्षरकर्ताओं ने महिला पहलवानों, जिनके विरोध प्रदर्शन ने देश भर के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी समर्थन पाया है, के पक्ष में कोई कदम न उठाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की. उन्होंने सरकार के समर्थकों द्वारा ‘विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से सभी प्रकार की भ्रमित और भ्रामक जानकारी फैलाकर युवतियों को बदनाम करने’ के प्रयासों की भी आलोचना की.
हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व राजदूत मधु भादुड़ी, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के जगदीप छोकर और शिक्षाविद जोया हसन समेत अन्य शामिल हैं.
बयान में कहा गया है, ‘बृजभूषण के खिलाफ कानूनी मामले दर्ज होने के बाद भी वह ऊंचे पदों पर बने हुए हैं. इनमें से एक मामला पॉक्सो से संबंधित है. इस कानून के तहत आरोपी को बिना देरी गिरफ्तार किया जाना चाहिए था. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. आरोपी स्वतंत्र घूम रहा है. वह अपने शक्तिशाली पद पर बना हुआ है, जबकि पीड़ित अपने शांतिपूर्ण विरोध के चलते आरोपों का सामना कर रहे हैं. कई हफ्तों से जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहीं महिला पहलवानों को वहां उनका प्रदर्शन जारी नहीं रखने दिया गया. उनकी पीड़ा भरी आवाज भारत के बाहर भी पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलने लगा है लेकिन भारत के अंदर सरकार अब भी चुप्पी साधे है.’
(इस पूरे बयान और सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)