बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुस्तानी अवाम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ‘महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी’ का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी अब सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा नहीं है क्योंकि यह जदयू के साथ विलय के लिए तैयार नहीं है.
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा- सेकुलर (हम-एस) पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ‘महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी’ करने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी पार्टी अब सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा नहीं है क्योंकि यह जनता दल (यूनाइटेड) के साथ विलय करने के लिए तैयार नहीं है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मांझी पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक का हिस्सा बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें इस आशंका के बीच आमंत्रित नहीं किया गया है कि वह भाजपा को कार्यक्रम का विवरण लीक कर सकते हैं.
हालांकि, मांझी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन से बाहर निकलकर ‘मुक्त’ महसूस किया है और उनकी पार्टी जल्द ही अगले कदम पर फैसला करेगी.
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में महागठबंधन के 164 विधायक हैं. हम-एस के सदन में कुल चार विधायक हैं. हम-एस और जद (यू) के अलावा, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दल उन दलों में शामिल हैं जो गठबंधन का हिस्सा हैं.
कुमार की यह टिप्पणी मांझी के बेटे संतोष सुमन द्वारा हम-एस के जद (यू) में विलय के प्रस्ताव के बीच राज्य मंत्रिमंडल छोड़ने के दो दिन बाद आई है.
सुमन, जिनके पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग था और हम-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधान परिषद के सदस्य हैं, ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दिया क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी पार्टी नहीं छोड़ सकते थे.’
सोनबरसा विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक रत्नेश सदा को सुमन का मंत्रालय दिया गया है. उनके शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘वह (मांझी) महागठबंधन के सहयोगियों की जासूसी कर रहे थे और भाजपा नेताओं के साथ लगातार संपर्क में थे. उन्होंने हाल ही में कई भाजपा नेताओं से मुलाकात की थी. यह खुली बात है. वह विपक्ष की बैठक में भाग लेने के इच्छुक थे, लेकिन हम जानते थे कि वह क्या कर रहे हैं.’
नीतीश कुमार, जो अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं को एक साथ एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, ने कहा, ‘वह हमारे साथ रहे और बैठक में भाग लिया, उन्होंने भाजपा को सारी जानकारी दी होगी.’
उन्होंने कहा, ‘वह 23 जून को विपक्षी नेताओं की बैठक का हिस्सा बनना चाहते थे, लेकिन मुझे आशंका थी कि वह उन मुद्दों/मामलों को लीक कर सकते हैं जिन पर 23 जून को चर्चा होगी.’
उन्होंने जोड़ा, ‘मैंने मांझी से हम-एस को जद (यू) में विलय करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते. मैंने उनसे गठबंधन छोड़ने को कहा.. अच्छा हुआ कि उन्होंने छोड़ दिया.’
बिजनेस स्टैंडर्स के मुताबिक, कुमार ने कहा, ‘हमारी पार्टी ने मांझी को बहुत कुछ दिया है. उनकी पार्टी को जद (यू) के कोटे से राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री पद दिया गया था. इन सबके बावजूद… वह भाजपा नेताओं के संपर्क में थे.’
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव समय से पहले होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘इस बात की प्रबल संभावना है कि आम चुनाव अगले साल न हों. ये पहले भी हो सकते हैं. इसलिए सभी विपक्षी दलों को आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए एक साथ आना चाहिए. हमें 23 जून की बैठक के बाद तैयारी शुरू करनी चाहिए.’
उधर, मांझी ने कहा कि वे गठबंधन से बाहर निकलकर ‘मुक्त’ महसूस कर रहे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए मांझी ने कहा, ‘मैंने हमेशा कुमार के साथ रहने की कसम खाई थी. अब जबकि उन्होंने खुद ही मेरे लिए गठबंधन से बाहर निकलने का रास्ता दिखा दिया है, मैं मुक्त महसूस कर रहा हूं. जब कुमार भाजपा नीत एनडीए के साथ थे, तब सब कुछ ठीक था. अब, अचानक उन्हें भाजपा से एलर्जी हो गई है.’
हम-एस नेता ने यह भी कहा कि पार्टी 19 जून को पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी.
सुमन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि हम-एस भाजपा के साथ मेलजोल बढ़ा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी जद (यू) के साथ विलय करके अपनी पहचान के साथ कभी समझौता नहीं कर सकती.
उन्होंने कहा, ‘जद (यू) और गठबंधन के अन्य घटक नहीं चाहते कि छोटे दल आगे बढ़ें क्योंकि उन्हें डर है कि उनका अस्तित्व दांव पर लग सकता है.’