गुजरात के जूनागढ़ शहर का मामला. अतिक्रमण-रोधी अभियान के तहत नगर निगम ने एक दरगाह को नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर ज़मीन के स्वामित्व से संबंधित क़ानूनी दस्तावेज़ पेश करने को कहा था. लोगों ने निगम पर शहर में ‘सांप्रदायिक तनाव पैदा करने’ की कोशिश का आरोप लगाया है.
नई दिल्ली: गुजरात के जूनागढ़ शहर में अतिक्रमण-रोधी अभियान के तहत एक दरगाह को दिए गए नगर निगम के नोटिस के बाद हुई हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए.
अधिकारियों की बीते शनिवार को इस घटना की जानकारी दी.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार (16 जून) की रात जूनागढ़ के मजेवाड़ी दरवाजा दरगाह के पास लगभग 500 से 600 प्रदर्शनकारियों ने पथराव करने के साथ पुलिस के साथ संघर्ष किया. इस घटना के सिलसिले में कम से कम 174 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया.
#WATCH | Gujarat: Morning visuals from near Majewadi Gate in Junagadh, where police and mob clashed last night during an anti-encroachment drive https://t.co/2ezmjvKkb6 pic.twitter.com/ZMyie2krKk
— ANI (@ANI) June 17, 2023
अधिकारियों ने बताया कि जूनागढ़ नगर निगम ने बीते 14 जून को मजेवाड़ी दरगाह को एक नोटिस जारी कर दरगाह प्रबंधन से पांच दिनों के भीतर जमीन के स्वामित्व से संबंधित कानूनी दस्तावेज पेश करने को कहा गया था.
जूनागढ़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रवि तेजा वासमसेट्टी ने संवाददाताओं से कहा, ‘नोटिस से नाराज करीब 500-600 लोग दरगाह के पास जमा हो गए और शुक्रवार रात सड़कों को जाम कर दिया.’
एसपी ने कहा कि शहर के डिप्टी एसपी के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने प्रदर्शनकारियों को जाम हटाने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला कर दिया. रात करीब 10:15 बजे पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया गया. भीड़ ने एक वाहन में भी आग लगा दी.
एसपी ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तब पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे. इस घटना में डिप्टी एसपी सहित कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए.
एसपी ने कहा, ‘इस दौरान एक नागरिक की भी मौत हो गई और ऐसा प्रतीत होता है कि पथराव उसकी मौत का कारण है, लेकिन हम सटीक कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.’
इस बीच एक मुस्लिम वकील ने नगर निगम पर शहर में ‘सांप्रदायिक तनाव पैदा करने’ की कोशिश करने का आरोप लगाया.
वकील अशफाक ने आरोप लगाया, ‘दरगाह लगभग 150 से 200 साल पुरानी है और यह शहर के सर्वेक्षण रजिस्टरों में दर्ज है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि निगम अधिकारी इसके कागजात पेश करने के लिए क्यों कह रहे हैं. उन्होंने दरगाह की इमारत पर कल (16 जून) नोटिस चस्पा किया, लेकिन नोटिस पर तारीख 14 जून है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह उन्होंने अपरकोट किला क्षेत्र के अंदर स्थित एक अन्य दरगाह को भी झूठी तारीखों के साथ एक नोटिस दिया है.’
अशफाक ने कहा, ‘हममें से कुछ वकील इस संबंध में नगर आयुक्त और एसपी से मिलेंगे.’
हालांकि नगर निगम इन आरोपों को खारिज कर दिया कि एक विशेष समुदाय को उसके ‘अतिक्रमण-विरोधी’ अभियान के हिस्से के रूप में लक्षित किया जा रहा है.
जूनागढ़ नगर आयुक्त राजेश तन्ना ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा, ‘यह कोई नोटिस नहीं था. निगम ने सिर्फ दरगाह अधिकारियों से उनके दस्तावेज पेश करने को कहा है.’
उन्होंने कहा, ‘अतिक्रमण अभियान का किसी विशेष धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. हमने तीन-चार मंदिरों सहित लगभग सात-आठ धार्मिक संरचनाओं को इस तरह का नोटिस जारी किया है.’ उन्होंने कहा कि मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. क्या हम (नगर निगम) सवाल नहीं पूछ सकते?.