प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ‘अहिंसक और गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए अपने उत्कृष्ट योगदान’ के लिए गीता प्रेस का चयन किया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने फैसले की आलोचना करने के लिए कहा कि यह फैसला ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में स्थित गीता प्रेस को साल 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है.
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति ने रविवार (18 जून) को उचित विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से पुरस्कार के लिए गीता प्रेस का चयन किया.
समिति ने कहा कि ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए अपने उत्कृष्ट योगदान’ के लिए गीता प्रेस का नाम चुना गया है.
पिछले साल यह पुरस्कार बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान को प्रदान किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं. उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है.’
I congratulate Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021. They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people. @GitaPress https://t.co/B9DmkE9AvS
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू धार्मिक ग्रंथों के प्रकाशक, गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी और वर्तमान में यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है.
इसने अब तक 15 भाषाओं में 1,850 से अधिक धार्मिक पुस्तकों की 93 करोड़ प्रतियां बेची हैं, जिसमें इसकी मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ की प्रतियां भी शामिल हैं, जिसे 1926 में शुरू किया गया था.
गीता प्रेस ने गोस्वामी तुलसादास द्वारा लिखित ‘रामचरितमानस’ की 3.5 करोड़ से अधिक प्रतियां और ‘श्रीमद भगवद गीता’ की 16 करोड़ से अधिक प्रतियां भी बेची हैं.
गोरखपुर सदर सीट से विधायक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है.
आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, ‘भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलने पर हार्दिक बधाई. स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा. इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार.’
भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' प्राप्त होने पर हृदय से बधाई।
स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा।
इसके लिए आदरणीय…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 18, 2023
पुरस्कार की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने’ में गीता प्रेस के योगदान को याद किया.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस, गोरखपुर को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के अपने फैसले के लिए केंद्र की आलोचना की और इस कदम को ‘बेतुका’ बताया है.
जयराम रमेश ने फैसले की आलोचना करने के लिए ट्विटर पर कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने’ जैसा है.
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
उन्होंने कहा, ‘2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है, जो इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. साल 2015 में अक्षय मुकुल द्वारा लिखित इस संगठन की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी आई थी, जिसमें उन्होंने महात्मा के साथ इस संगठन के तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर इसके साथ चल रहीं लड़ाइयों का ब्योरा दिया है.’
बहरहाल, सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के 100 साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्था द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की मान्यता है.
उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों में विज्ञापन पर निर्भर नहीं रहा है.
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी कहते हैं, आजकल ऐसी मांग है कि हम अक्सर अपने पाठकों की मांगों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में हमने लगभग 111 करोड़ रुपये में अपनी पुस्तकों की 2.40 करोड़ से अधिक प्रतियां बेची हैं.
त्रिपाठी के अनुसार, गीता प्रेस हर साल रामचरितमानस की लगभग 10 लाख प्रतियां बेचता है और यह किसी भी दान पर निर्भर नहीं है.
गीता प्रेस वेबसाइट के अनुसार, ‘इसका मुख्य उद्देश्य गीता, रामायण, उपनिषद, पुराण, प्रख्यात संतों के प्रवचन और अन्य चरित्र-निर्माण पुस्तकों को प्रकाशित करके सनातन धर्म के सिद्धांतों को आम जनता के बीच प्रचारित करना और फैलाना है. साथ ही पत्रिकाओं को अत्यधिक रियायती कीमतों पर बेचना है.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘1923 से यह दुनिया भर में अपने साहित्य के माध्यम से नैतिकता और आध्यात्मिकता का प्रचार और प्रसार कर रहा है.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल जून में गोरखपुर में शताब्दी समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी. गोरखपुर में दो लाख वर्ग फीट में फैले गीता प्रेस परिसर का उद्घाटन अप्रैल 1955 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था.
इसकी पुस्तकें अंग्रेजी, उर्दू और नेपाली सहित 15 भाषाओं में प्रकाशित होती हैं. गीता प्रेस के देश में 20 आउटलेट हैं और इसकी पुस्तकें पूरे भारत के साथ-साथ नेपाल जैसे अन्य देशों में 2,500 से अधिक पुस्तक विक्रेताओं के माध्यम से बेची जाती हैं.
मुख्यालय में इसके लगभग 450 कर्मचारी हैं. कल्याण की अब 1.60 लाख प्रतियां हैं. प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि अब तक कल्याण की 17 करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं.
इस पुरस्कार विजेताओं में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, कन्याकुमारी में विवेकानंद केंद्र, अक्षय पात्र और सुलभ इंटरनेशनल जैसे संगठन शामिल हैं. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे, सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आम्टे और दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू और ओमान के सुल्तान कबूस बिन सईद अल सैद इस पुरस्कार को पाने वाले लोगों में शामिल रहे हैं.