मोरबी हादसा: ओरेवा समू​ह के मैनेजर की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से जज ने ख़ुद को अलग किया

गुजरात हाईकोर्ट के जज समीर दवे ने मोरबी केबल पुल हादसे के पांच आरोपियों को ज़मानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया. पिछले साल अक्टूबर में हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी.

मोरबी में माच्छू नदी पर टूटा पुल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

गुजरात हाईकोर्ट के जज समीर दवे ने मोरबी केबल पुल हादसे के पांच आरोपियों को ज़मानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया. पिछले साल अक्टूबर में हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी.

मोरबी में माच्छू नदी पर टूटा पुल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश समीर दवे ने मोरबी पुल ढहने के मामले में पांच आरोपियों को जमानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की जमानत याचिका पर सुनवाई से बृहस्पतिवार को खुद को अलग कर लिया.

इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दवे ने मई में तीन आरोपी सुरक्षा गार्डों और 9 जून को दो आरोपी टिकट क्लर्कों को जमानत दे दी थी. पीड़ितों द्वारा जमानत के दोनों आदेशों का विरोध किया गया था. टिकट क्लर्कों को जमानत देने के मामले में 38 लोगों ने, जो 70 मृतक पीड़ितों के निकटतम रिश्तेदार थे, ने विरोध किया था.

शुक्रवार को ‘ट्रेजेडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी’ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उत्कर्ष दवे, जिसे 9 जून को एक पंजीकृत ट्रस्ट के रूप में मान्यता दी गई थी और यह एक एसोसिएशन है जिसमें 111 मृतकों के परिजन शामिल हैं, ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें इसमें ओरेवा प्रबंधक दिनेश दवे द्वारा दायर जमानत आवेदन में एक पक्ष के रूप में शामिल होने की अनुमति दी जाए.

बीते बृहस्पतिवार को ‘ट्रैजडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी’ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील उत्कर्ष दवे ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें पुल की मरम्मत करने वाली ओरेवा कंपनी के प्रबंधक दिनेश दवे द्वारा दायर जमानत याचिका में एक पक्ष के रूप में शामिल होने की अनुमति दी जाए. हालांकि, जस्टिस दवे ने खुद को मामले से अलग करते हुए कहा, ‘मेरे समक्ष अपील नहीं कीजिए’.

ट्रैजडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी को बीते 9 जून को एक पंजीकृत ट्रस्ट के रूप में मान्यता दी गई थी और यह एक संगठन है, जिसमें मोरबी हादसे के 111 मृतकों के परिजन शामिल हैं.

मई महीने में तीन आरोपी सुरक्षा गार्डों को जमानत देते समय उस समय के सरकारी वकील ने अनुरोध किया था कि तीनों को जमानत देने के अदालत के आदेश में यह दर्ज किया जा सकता है कि यह केवल इन तीन व्यक्तियों तक ही सीमित है, ताकि कल को अन्य आरोपी जो संभवतः जेल में हों, अदालत के सामने आ सकते हैं और कह सकते हैं कि दूसरों को छूट (जमानत) दी गई है तो उन्हें भी छूट दी जाए.’

ओरेवा के एमडी जयसुख पटेल ने भी जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है, जिसका पंजीकरण होना बाकी है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में पुलिस द्वारा दायर आरोप-पत्र में कहा गया है कि दो आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंधकों – दीपक पारेख और दिनेशभाई दवे – ने मोरबी सस्पेंशन केबल ब्रिज के काम के बारे में कोई तकनीकी ज्ञान नहीं होने के बावजूद, देवप्रकाश सॉल्यूशन को मरम्मत, नवीनीकरण का काम सौंपा था और उप-ठेकेदार के साथ अनुबंध दो आरोपी प्रबंधकों द्वारा ‘ओरेवा समूह के आरोपी एमडी जयसुख पटेल के कहने पर’ तैयार किया गया था.

बता दें कि मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल 30 अक्टूबर 2022 को ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 135 लोग मारे गए थे. एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बाद पुल को 26 अक्टूबर 2022 को लोगों के लिए फिर से खोला गया था.

दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी में घड़ी और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ‘ओरेवा ग्रुप’ को शहर की नगर पालिका ने पुल की मरम्मत करने तथा संचालित करने के लिए 15 साल तक का ठेका दिया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओरेवा समूह ने यह ठेका एक अन्य फार्म को दे दिया था, जिसने रेनोवेशन के लिए आवंटित दो करोड़ रुपये में से मात्र 12 लाख खर्चे थे.

बता दें कि मोरबी पुलिस ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित 10 आरोपियों को आईपीसी की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत गिरफ्तार किया गया था.