भाजपा नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र में महामारी के दौरान कोविड जंबो फील्ड सेंटर स्थापित करने में घोटाले का आरोप लगाया था. इस संबंध में अगस्त 2022 में केस दर्ज किया गया था. आरोप है कि शिवसेना नेताओं से जुड़े ठेकेदारों को अत्यधिक दरों पर ठेके दिए गए, जबकि उनके पास स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्व अनुभव नहीं था.
नई दिल्ली: कथित 38 करोड़ रुपये के कोविड जंबो सेंटर घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया है कि एक प्रमुख कंपनी जो मृत कोविड-19 रोगियों के लिए बॉडी बैग की आपूर्ति कर रही थी, उसने बृह्नमुंबई महानगर पालिका बीएमसी को 6,800 रुपये प्रति बैग की दर से बैग की आपूर्ति की थी. यह राशि इसी अवधि के दौरान निजी अस्पतालों सहित अन्य से ली गई कीमत से तीन गुना अधिक थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी की जांच से यह भी पता चला है कि बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मुंबई की तत्कालीन मेयर किशोरी पेडनेकर ने भी कथित तौर पर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनके निर्देश पर ही उक्त इकाई को ठेका दिया गया था, जो अब जांच के दायरे में है.
अधिकारियों ने संकेत दिया कि एजेंसी जल्द ही पेडनेकर को मामले की जांच में शामिल होने के लिए बुला सकती है. हालांकि, सूत्र ने जिस इकाई को ठेका दिया गया था, उसका नाम बताने से इनकार कर दिया, क्योंकि जांच अभी भी जारी है.
अधिकारियों ने यह भी कहा कि बीएमसी संचालित अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेमडेसिविर सहित अन्य दवाएं भी बाजार कीमतों से 25-30 प्रतिशत अधिक दरों पर खरीदी गईं. सूत्र ने कहा कि भारी अनियमितताएं सामने आने के बाद भी बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के आग्रह पर खरीददारी जारी रही.
जांच में यह भी पता चला कि लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की वास्तविक तैनाती बीएमसी को की गई बिलिंग में दिखाई गई तैनाती से 60-65 प्रतिशत कम थी.
सूत्र के अनुसार, बिलिंग के लिए कंपनी ने उन डॉक्टरों के नाम प्रदान किए, जो लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर के संबंधित केंद्रों में काम नहीं कर रहे थे.
सूत्र ने कहा, धन के दुरुपयोग के लिए 200 से अधिक डॉक्टरों के नामों का गलत इस्तेमाल किया गया. अधिकारी ने बताया कि अपनी जांच के दौरान ईडी ने ईमेल के जरिये इन डॉक्टरों से संपर्क किया और उनके बयान दर्ज किए.
रिपोर्ट के अनुसार, कथित घोटाले से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों के परिसरों पर एजेंसी ने बीते बुधवार (21 जून) को 15 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 150 करोड़ रुपये से अधिक की 50 संपत्तियों के दस्तावेज, 15 करोड़ रुपये की सावधि जमा और निवेश, 68.65 लाख रुपये नकद और 2.46 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए गए.
इसके अलावा ईडी अधिकारियों ने एक दर्जन से अधिक मोबाइल फोन के साथ-साथ कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे लैपटॉप आदि और विभिन्न आपत्तिजनक रिकॉर्ड, दस्तावेज भी जब्त किए हैं.
बुधवार को ही ईडी ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के करीबी सहयोगी सूरज चव्हाण के चेंबूर आवास और पार्टी नेता संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर के सांताक्रूज आवास पर तलाशी ली.
एजेंसी ने आईएएस अधिकारी और बीएमसी के पूर्व अतिरिक्त नगर आयुक्त संजीव जायसवाल और उप नगर आयुक्त रमाकांत बिरादर, जो महामारी के दौरान बीएमसी के केंद्रीय खरीद विभाग के प्रमुख थे, के बांद्रा स्थित आवास की भी तलाशी ली.
मुंबई के वर्ली इलाके में सस्मिरा मार्ग पर स्थित लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के साथ-साथ कथित घोटाले में शामिल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं, ठेकेदारों और बिचौलियों की भी तलाशी ली गई.
ईडी ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज से जुड़ी अनियमितताओं पर अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है, जो कि शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पार्टनरशिप फर्म है. अब एजेंसी इस फर्म से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
बीते गुरुवार (22 जून) को मुंबई और उसके बाहर चार स्थानों पर तलाशी अभियान जारी रहा, जिसमें मुख्य रूप से संदिग्ध वरिष्ठ बीएमसी अधिकारियों से जुड़ी संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
एजेंसी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी संजीव जायसवाल को भी पूछताछ के लिए बुलाया, हालांकि, उन्होंने इसके लिए समय मांगा है.
क्या है मामला
इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, कथित कोविड जंबो फील्ड सेंटर घोटाले में ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया की शिकायत पर मुंबई पुलिस द्वारा अगस्त 2022 में आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज एक केस पर आधारित है.
अक्टूबर 2022 में मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को स्थानांतरित कर दिया गया. बाद में ईडी ने मामले में पीएमएलए केस दर्ज किया था.
मामला कोविड-19 महामारी के दौरान महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई में स्थापित फील्ड अस्पतालों से संबंधित है. बीएमसी अनुबंध के आधार पर स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य सुविधाएं प्रदान करने का काम देख रही थी.
भाजपा का आरोप था कि शिवसेना नेताओं से जुड़े ठेकेदारों को अत्यधिक दरों पर ठेके दिए गए, जबकि उनके पास स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्व अनुभव नहीं था.
ठेके देते समय अपनाए गए मानदंडों की कथित घोटाले के आपराधिक पहलू के साथ जांच चल रही है, जबकि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की जांच कर रहा है और मनी ट्रेल को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है.
24 अगस्त 2022 को दर्ज की गई एफआईआर में लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज का नाम है, जिसे मुंबई में कोविड जंबो केंद्र स्थापित करने के लिए बीएमसी द्वारा अनुबंधित किया गया था.
एफआईआर में इसके साझेदार सुजीत मुकुंद पाटकर, डॉ. हेमंत रामशरण गुप्ता, संजय मदनलाल शाह और राजू नंदकुमार सालुंखे के नाम भी शामिल हैं. इस साल जनवरी में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज को अनुबंधों की मंजूरी और भुगतान से संबंधित विवरण प्राप्त किया था.
शिकायतकर्ता किरीट सोमैया ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी फर्म के पास स्वास्थ्य या चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का कोई अनुभव नहीं था. शिकायत में कहा गया है कि फर्म को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ठेका मिला, जिसमें उसका पार्टनरशिप दस्तावेज भी शामिल था.
सोमैया ने यह भी आरोप लगाया कि फर्म को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया था, लेकिन फर्म ने बीएमसी से इस तथ्य को छुपाया और जंबो केंद्रों में सेवाएं प्रदान करने का अनुबंध प्राप्त करने में कामयाब रही.
सोमैया ने पहले आरोप लगाया था कि 25 जून, 2020 को दहिसर में 100 बिस्तरों वाली जंबो सुविधा के लिए बोली लगाने से पहले एक बैठक बुलाई गई थी और 27 जून को जंबो सुविधा के लिए निविदाएं (Expression of Interest) आमंत्रित की गई थी, जबकि लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज की स्थापना 26 जून 2020 को हुई थी.
आर्थिक अपराध शाखा ने इस संबंध में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के साझेदारों में से एक 48 वर्षीय राजू नंदकुमार सालुंके उर्फ राजीव और 58 वर्षीय बाला रामचंद्र कदम उर्फ सुनील शामिल है.
अपराध शाखा की जांच से पता चला है कि सालुंके के बैंक खाते से लगभग 82 लाख रुपये कदम के बैंक खाते में स्थानांतरित किए गए थे. इसके अलावा लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के बैंक खाते से कदम के बैंक खाते में 87.31 लाख रुपये और 45 लाख रुपये भी ट्रांसफर किए गए थे.
जब बाला रामचंद्र कदम से 87.31 लाख रुपये के लेनदेन के बारे में पूछताछ की गई, तो उन्होंने दावा किया कि इसका इस्तेमाल लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज कार्य के लिए किया गया था, लेकिन अपने दावों के समर्थन में कोई भी दस्तावेज उपलब्ध कराने में विफल रहे.
इसी तरह जब उनसे 45 लाख रुपये के लेनदेन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दावा किया कि इसका इस्तेमाल कंपनी के ऑफिस के किराये का भुगतान करने के लिए किया गया था. हालांकि, ऑफिस के मकान मालिक ने आर्थिक अपराध शाखा को बताया कि उन्हें कदम से कोई पैसा नहीं मिला है.
सोमैया ने इसे 100 करोड़ रुपये का घोटाला बताया है, लेकिन आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक यह 38 करोड़ रुपये का होगा.