सर्वे में राज्य के 56 ज़िलों के 14,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें यह भी पाया गया कि 65% घर एक दिन में तीन या इससे अधिक बार बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं.
नई दिल्ली: एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, इस महीने उत्तर प्रदेश में लगभग 94% घरों को दैनिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि सर्वे में राज्य के 56 जिलों के करीब 14,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें यह भी पाया गया कि 65% घरों को एक दिन में तीन या अधिक बार बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल लगभग 6% लोगों ने कहा कि उन्हें ’24×7 पावर बैकअप’ के कारण बिजली कटौती के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) से उत्तर देने वाले 86% लोगों ने कहा कि उन्हें दैनिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है, जिनमें से 35% ने बताया कि कटौती दो घंटे से अधिक की होती है.
सर्वे में पाया गया कि जवाब देने वाले औसतन 43% लोगों को दिन में एक या दो बार अपने घरों में बिजली कटौती का सामना करना पड़ा, वहीं, 32% ने कहा कि ऐसा तीन से पांच बार होता है, जबकि 4% ने बताया कि उनको हर दिन 10 से 20 बार बिजली कटौती का सामना करना पड़ा.
सर्वे में शामिल गौतम बौद्ध नगर के लगभग 14% लोगों ने यह भी कहा कि उनके पास 24×7 पावर बैकअप है और इसलिए उन्हें कटौती के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
नोएडा से कुल 4,141 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें से 62% पुरुष और 38% महिलाएं थीं.
इकोनॉमिक टाइम्स ने सर्वे आयोजित करने वाले मंच के हवाले से बताया, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में बिजली निगमों की तैयारियों के दावों के बावजूद इस महीने में 90 प्रतिशत से अधिक घरों को दैनिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.’ साथ ही इस मंच ने यह पुष्टि भी की कि सभी जवाब देने वाले लोग वैध नागरिक थे जिन्हें सर्वे में भाग लेने के लिए उनके साथ रजिस्ट्रेशन किया था.
इस बीच, राज्य भीषण गर्मी से जूझ रहा है और पूर्वी हिस्से में बलिया और देवरिया जिलों में पांच दिनों में (14 जून से 18 जून तक) 150 मौतें हुई हैं, जिनकी वजह अभी तक हीटवेव ही बताई जा रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) ने गुरुवार को नोएडा में अनियमित बिजली कटौती के खिलाफ सेक्टर 19 में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे भीषण गर्मी के बीच बलिया में हुई मौतों के कारण आंदोलन कर रहे हैं.
वहीं, नोएडा से भाजपा के मीडिया प्रभारी तन्मय शंकर ने आप के दावों का खंडन किया और कहा, ‘पिछले पांच-छह सालों में बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है. यह सच है कि बिजली कटौती होती है लेकिन यह केवल कुछ सेकेंड की होती है और नोएडा में कुछ ही समय में आपूर्ति बहाल हो जाती है. ये बेबुनियाद आरोप हैं और इसमें कोई तथ्य नहीं हैं.’
इंडिया टुडे के अनुसार, पिछले महीने राज्य की अधिकतम बिजली मांग 25,000 मेगावाट को पार कर गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीसीएल) रखरखाव और कर्मचारियों की कमी के मुद्दों से जूझ रहा है, जो 23 मई को राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 25,800 मेगावाट तक पहुंचने के बाद ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है.