बदायूं ज़िले के एक तहसील कार्यालय में एक 71 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया. उनके द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में दो राजस्व अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि दोनों ने रिश्वत लेकर उनकी ज़मीन किसी और के नाम हस्तांतरित कर दी थी. एक अन्य घटना में लेखपाल से कथित तौर पर परेशान होकर 52 वर्षीय किसान ने जान दे दी है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक 71 वर्षीय किसान ने कथित तौर पर सदर तहसील कार्यालय में जहर खा लिया और शुक्रवार (23 जून) को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दो राजस्व अधिकारियों ने उसके नाम दर्ज जमीन के एक टुकड़े को रिश्वत के बदले किसी अन्य व्यक्ति के नाम हस्तांतरित कर दिया, जिसके बाद उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने किसान की पहचान बदायूं जिले के नगला शर्की गांव के रूम सिंह के रूप में की है. बदायूं जिला मुख्यालय के तहसील कार्यालय में जहर खाने के बाद शुक्रवार तड़के इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
कोतवाली पुलिस थाने में दो राजस्व अधिकारियों- लेखपाल कुलदीप भारद्वाज और तहसीलदार आशीष सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिन्होंने शिकायत के अनुसार एकता वर्णन (तीसरे आरोपी) से पैसे लिए थे, जिसके नाम पर दोनों अधिकारियों ने अवैध रूप से राजस्व रिकॉर्ड में जमीन हस्तांतरित की थी.
तीनों लोगों पर आईपीसी की धारा 167 (लोक सेवक द्वारा नुकसान पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करना) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. तहसीलदार सक्सेना को जहां जिला मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है, वहीं लेखपाल भारद्वाज को निलंबित कर दिया गया है.
बदायूं के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट वीके सिंह द्वारा विभागीय जांच की जा रही है.
परिवार के सदस्यों और गांव के निवासियों ने शुक्रवार को जवाहरपुर पुलिस चौकी पर विरोध प्रदर्शन किया. कोतवाली के एसएचओ राजीव कुमार ने कहा कि शिकायत में आरोपियों के नाम हैं. जांच चल रही है.
मृतक के बेटे संदीप राठौड़ द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है, ‘मेरे पिता ने 1 जून 2016 को परिवार की सदस्य मुन्नी देवी और उनके बेटे कुलदीप राठौड़ के साथ जमीन के एक टुकड़े के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था. इस अनुबंध के आधार पर 7 मार्च 2017 को एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया गया था और जमीन मेरे पिता के नाम पंजीकृत की गई थी और इसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘करीब छह साल बाद लेखपाल कुलदीप भारद्वाज और तहसीलदार आशीष सक्सेना ने रिश्वत लेकर जमीन एकता वर्णन और उनके नाबालिग बच्चे के नाम कर दी. यह जानने के बाद मेरे पिता ने कई बार अधिकारियों (ऊपर नामित) से बात की, लेकिन उन्होंने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया.’
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, बदायूं के बिल्सी तहसील क्षेत्र के गांव सिरासौल पट्टी सीताराम में एक अन्य किसान ने भी घर के अंदर फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली.
52 वर्षीय किसान भगवान दास की 1.5 बीघा जमीन चकबंदी में जा रही थी. उन्होंने अपनी जमीन बचाने के लिए लेखपाल के यहां कई चक्कर काटे. आरोप है कि भगवानदास लेखपाल से परेशान हो चुके थे और इसी के चलते शनिवार सुबह उन्होंने आत्महत्या कर ली.
घटना के संबंध में एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि मामला जानकारी में आया है. शव का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा. रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.